पूरे एशिया महाद्वीप में रोज सैकड़ो करोड़ की हेरोइन की सप्लाई, सब खा रहे अडानी के साथ मलाई।
पाकिस्तान व अफगानिस्तान के रास्ते से आती है अफीम, समुद्र के किनारे साहेब के सबसे खास उद्योगपति के कारखाने में अफीम से बनती है हेरोइन।
मुंद्रा पोर्ट से हेरोइन पानी के जहाज से एशिया के कई देशों में होता है रवाना।
नारकोटिक्स व कस्टम को है साहेब का फरमान, अडानी पोर्ट के जहाजों की चेकिंग न करे साहेबान।
गुजरात से देशभर में फैला रहा है नशे का कारोबार, मामले पर चुप्पी साधे है मोदी सरकार।
अंतराष्ट्रीय सुरक्षा को धता बताकर ड्रग्स तस्करों ने अडाणी के मुंद्रा पोर्ट को बनाया केंद्र।
इंटेलिजेंस एजेंसियों के नाक नीचे खुलेआम हो रही है आपूर्ति।
पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित कई देशों से हो रही भारत मे ड्रग्स की आपूर्ति।
पहले भी पकड़ी गई थी पाकिस्तानी नाव
आपको बता दें कि ड्रग्स लदे पाकिस्तानी नाव को भारतीय जल सीमा क्षेत्र के 6 मील अंदर से पकड़ा गया था। भारतीय तटरक्षक बल (ICG) और गुजरात एटीएस की संयुक्त कार्रवाई में ये पाकिस्तानी नाव पकड़ी गई थी। इसके अलावा नौका चालक दल के सदस्य छह पाकिस्तानी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया था।
गुजरात में अडाणी का मुंद्रा पोर्ट बना देशभर में ड्रग्स तस्करी का हब
देश के बड़े उद्योगपतियों में शुमार गौतम अडाणी के निजी स्वामित्व वाले गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नशे का कारोबार में संलिप्त होने जैसे तथ्य स्पष्ट हो रहे हैं। देखा जा रहा है कि अन्य सीमावर्ती राज्यों के अलावा विदेशों से गांजा और ड्रग्स की आपूर्ति बड़े पैमाने पर हो रहा है। जो भारत के कई राज्यों में फल-फूल रहा है। नशे के कारोबार से परेशान राज्यों में अपने स्तर पर बड़े पैमाने पर करवाई तो हो रही है, लेकिन इस कारोबार का वास्तविक सिंडिकेट का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है।
अबतक मुंद्रा पोर्ट से लगभग 10 हजार करोड़ तक की हेरोइन पकड़ी गई
गौरतलब है कि 16 सितंबर 2021 को गुजरात के कच्छ में स्थित अडानी के स्वामित्व वाले मुंद्रा बंदरगाह पर 9000 करोड़ से अधिक कीमत की हेरोइन, दो कंटेनर में भरकर रखी गई थी, मुंद्रा पोर्ट के ऑपरेटर अडानी ग्रुप ने भी इस घटना के 5 दिन बाद एक बयान जारी कर सफाई दी थी,कि उस मामले में जांच चल रही है। जिसका परिणाम अभी तक देश के सामने नहीं आया है।
इंटेलिजेंस एजेंसियों पर उठ रहे है सवाल
अडाणी के स्वामित्व वाले मुंद्रा पोर्ट के ड्रग्स तस्करी में इस्तेमाल के साथ अब कई सवाल भी उभरने लगे हैं, कि एक साल से लगातार मुंद्रा बंदरगाह पर ही सबसे ज्यादा नशीले पदार्थो की बरामदगी क्यों हो रही है? क्या देश के शीर्ष उद्योगपति अवैध कमाई के जरिए अकूत संपति जोड़ रहे हैं और देश की युवा पीढ़ी को नशा की ओर भटकाने में लगे हैं?
कुछ महीने पूर्व भी गुजरात एटीएस ने कच्छ जिले के पास एक कंटेनर से 376.5 करोड़ के रुपये की कीमत वाले 75.3 किलोग्राम हेरोइन ज़ब्त किया था, रिपोर्ट की माने तो हेरोइन के खेप को कपड़े के थान में छिपाकर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से दुबई, फिर भारत लाया गया था। इस खेप को पंजाब भेजा गया था, पंजाब पुलिस व गुजरात एटीएस की एक टीम पंजाब पुलिस के एक सब- इंस्पेक्टर के साथ मुंद्रा बंदरगाह तक पहुंच गई थी और एक कंटेनर से हेरोइन के इस बड़े खेप को ज़ब्त कर लिया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह कंटेनर मई के महीने में ही मुंद्रा पोर्ट पंहुच गया था। जबकि पुलिस के मुताबिक कंटेनर में कपड़े के 540 थान थे, जिनमें से 64 थानों के अंदर हेरोइन पाउडर मिला। कपड़े के रोल के अंदर स्थित जगह रहने से हेरोइन को कपड़े में लपेटकर रखा गया था। नॉर्मल पाइप के ऊपर एक और प्लास्टिक पाइप डाला गया था। दोनों के बीच खाली जगह पर ड्रग्स को पैक किया गया था, फिर दोनों तरफ से टेप से चिपका दिया गया था।
इसके साथ ही क्लासिकल पाइप और प्लास्टिक पाइप पर नीला कार्बन पेपर चिपकाया गया था, ताकि एक्स-रे अंशों के दौरान यह खेप पकड़ में न आ सके। तस्करी के मामले का खुलासा करने वाली टीम ने मीडिया से कहा था कि उच्च शुद्धि की 75.3 किलो हेरोइन बरामद की है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 376.5 करोड़ रुपये मूल्य होने का अनुमान लगाया गया है, इस मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
मुंद्रा बंदरगाह पर कई बार हो चुकी है ड्रग्स की बरामदगी
गुजरात के कच्छ में अडाणी का मुंद्रा बंदरगाह दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग तस्कर का अड्डा बन रहा है। आकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में इसी वर्ष के मई माह में डीआईआरआई ने मुंद्रा बंदरगाह के पास एक कंटेनर से 56 किलोग्राम कोकीन ज़ब्त किया था, जिसकी कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में लगभग 500 करोड़ संभावित थी। पुनः इसी वर्ष के अप्रैल माह में कच्छ में कांडला बंदरगाह के पास एक कंटेनर से लगभग 1,439 करोड़ रुपये की 205.6 किलोग्राम हेरोइन ज़ब्त की गई थी। डीआरआई ने पिछले साल मुंद्रा बंदरगाह पर दो कंटेनरों से लगभग 3,000 किलोग्राम हेरोइन ज़ब्त की थी। मानदंड ने अपनी राय रखते हुए कहा कि यह हेरोइन अफगानिस्तान में तैयार हुई थी। इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमत लगभग 21,000 करोड़ रुपये लगी थी। यह देश में पकड़ी गई अब तक की सबसे बड़ी ड्रग खेप के रूप में जानी जाती है।
वहीं अफगानिस्तान से निकली यह खेप 13 सितंबर को ईरान के अब्बास बंदरगाह से गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह के लिए निकली थी। इसे दक्षिण भारत के एक क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाना था। फर्म ने इस खेप को ‘टेल्कम पाउडर’ घोषित किया था। उसी समय संदिग्ध फर्मों की पहचान अफगानिस्तान के कंधार स्थित हसन हुसैन लिमिटेड के रूप में की गई थी। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और कस्टम के संयुक्त ऑपरेशन में इस हेरोइन की बरामदगी हुई थी।
देश भर में अडाणी का मुंद्रा पोर्ट बना विशिष्ठ पदार्थों व विदेशी तस्करों का प्रवेश हब
अडाणी समूह के स्वामित्व वाले निजी पोर्ट, मुंद्रा पोर्ट पिछले कई वर्षों से नशीले पदार्थों की आपूर्ति का केंद्र बना हुआ है, विगत कुछ वर्षों से कच्छ के समुन्द्र के रास्ते से नशीले पदार्थों की बरामदगी इस बात की गवाही दे रहा है, नशीले पदार्थों की आपूर्ति के मामले में पड़ोसी देश और मुंद्रा बंदरगाह से निश्चित रूप से साठ- गांठ चल रही है। जिसका इस्तेमाल देशविरोधी गतिविधियों में हो रहा है, मादक पदार्थों की तस्करी के दृष्टिकोण से इसके केंद्र में गुजरात कभी भी शामिल नहीं हो रहा था, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में जून महीने में भी तस्करी हुई थी लेकिन यह पकड़ में नहीं आया था। लेकिन सितंबर माह में भी 3000 किलो का खेप पकड़ी गई। जो यह साबित कर दिया कि गुजरात में भी नशीले पदार्थो की तस्करी जारी है। इससे कत्तई इनकार नहीं किया जा सकता है कि बिना किसी पोर्ट अधिकारी की संलिप्तता से यह तस्करी हो रही है, लेकिन जांच अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है है।
अडाणी समूह ने सरकार पर ही फोड़ा ठीकरा फिर भी सरकार चुप है
पिछले साल सितंबर में अडानी समूह की ओर से पहली बार 3000 किलो ड्रग्स के खेप पकड़े जाने का दावा किया गया था, समूह के अधिकारियों ने कहा था कि पोर्ट का स्वामित्व हमारे पास होने के बावजूद, चेकिंग करने का अधिकार सरकारी अधिकारियों को ही है। किस कंटेनर में क्या आ रहा है और क्या हो रहा है, इसकी जांच करने का अधिकार मुंद्रा पोर्ट निगरानी में नहीं है?
मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण हाल ही में मुंद्रा पोर्ट पर बरामद हेरोइन के मामले में ट्वीट कर कहते हैं कि गुजरात में अडानी का मुंद्रा पोर्ट दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग तस्करों का अड्डा बन गया है। पिछले एक साल में यहां कई मौकों पर 20 हजार करोड़ से ज्यादा तस्करों द्वारा नशीली दवाएं पकड़ी गई थी। मामले को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट करते हुए यह सवाल उठाया है कि देश में प्रतिबंधित पदार्थों की तस्करी अडाणी के मुंद्रा पोर्ट से जब हो रही है,तो उसका संज्ञान सरकार को भी लेना चाहिए आखिर कार्रवाई से क्यों बचा रहा है सरकार?
देशविरोधी गतिविधियों में शामिल तो नहीं है मुंद्रा पोर्ट?
प्रतिबंधित पदार्थों के अवैध कारोबार की पड़ताल करने पर यह मिलता है कि भारत में ड्रग्स अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान, म्यांमार, ब्लूस, कंबोडिया, थाईलैंड और भूटान से लाया जाता है। जो देश के विभिन्न राज्यों में तस्करों द्वारा भेजे जाते हैं। पंजाब और हरियाणा के अलावा गुजरात के कई सीमावर्ती राज्यों में इसकी बड़े पैमाने पर खपत हो रही है। चूंकि अडाणी के स्वामित्व वाला निजी बंदरगाह मुंद्रा पोर्ट गुजरात के कच्छ से सटे समुंद्र से लाल रंग वाला है, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित अन्य पड़ोसी मुल्कों से भारत में ड्रग आपूर्ति के लिए तस्करों के लिए सबसे मुफीद जगह भी माना जा सकता है।
विगत पिछले वर्षों से मुंद्रा पोर्ट पर पकड़े गए ड्रग्स के खेप, इस बात को पूरी तरह साबित करता है कि इस पोर्ट का देश विरोधी गतिविधियों को संचालित करने के लिए किया जा रहा है। और इस मामले में इंटेलिजेंस एजेंसियां भी सवालों के घेरे में है, और मुंद्रा बंदरगाह के अधिकारियों की संलिप्तता से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
इसके बावजूद ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा कोई भी कठोर कदम न उठाया जाना समझ से परे है।
दिल्ली में इंटेलिजेंस एजेंसियों के नाक के नीचे धड़ल्ले से होता है ड्रग्स का इस्तेमाल
देशभर में फैले ड्रग्स तस्करों का बेखौफ धंधा अब दिल्ली के होटलों और पब में भी पहुंच चुका है, जिसका इस्तेमाल नौजवान धड़ल्ले से कर रहे है, हैरानी की बात यह है कि यह सब देश की राष्ट्रीय राजधानी में इंटेलिजेंस एजेंसियों और दिल्ली पुलिस के नाक के नीचे हो रहा है, ज्ञात हो कि इंटेलिजेंस एजेंसियां और दिल्ली पुलिस दोनों ही गृहमंत्रालय के अधीन है, और शीर्ष उद्योगपति गौतम अडाणी सरकार के सबसे करीबी मित्र के रूप में माने जाते है, इस बात को देश का बच्चा-बच्चा जानता है।
इससे इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि इंटेलिजेंस एजेंसियों और सरकार को इस बात की खबर नही होगी लेकिन कार्रवाई के नाम पर अबतक दिल्ली में ड्रग्स की कोई भी बड़ी खेप नही पकड़ी गई है।