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अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में शुक्रवार भारत और चीनी सैनिकों की झड़प हुई, जिसमें ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब मिला एक रिपोर्ट।

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भारत चीन सीमा विवाद। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में शुक्रवार को भारत और चीन के सैनिकों की झड़प हुई, जिसमें ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब मिला। गलवान के बाद तवांग में भी उसका यह हाल होगा, ऐसा उसने सोचा नहीं होगा। अब चीन अपने पुराने पैंतरे पर उतर आया है। चोरी करने के बाद अब चीन सीनाजोरी पर उतारू हो गया है। अपनी गलती मानने की जगह चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में ड्रैगन ने भारत पर ही ठीकरा फोड़ दिया है। ग्लोबल टाइम्स के लेख में चीन की तरफ से भर-भर कर झूठ बोला गया है।



9 दिसंबर को चीनी सैनिकों का जमावड़ा

भारत और चीनी सेना में झड़प के दौरान दोनों पक्षों के कई सैनिकों के घायल होने की खबर है। घटना 9 दिसंबर की है। सेना के सूत्रों के अनुसार, इस भिड़ंत में भारतीय सेना के कम से कम 20 जवान घायल हुए हैं। वहीं चीनी सेना का भी भारी नुकसान हुआ है। अभी तक किसी मौत की सूचना नहीं है। घायलों का इलाज गुवाहाटी के सैनिक अस्पताल में हो रहा है। सैनिकों में कई के हाथ और पांव टूटने की खबर है। सेना सूत्रों के मुताबिक घटना के समय दूसरी तरफ करीब 600 चीनी सैनिक मौजूद थे।

हालांकि सेना ने इस घटना की पुष्टि की है लेकिन किसी तरह का ब्यौरा साझा नहीं कर रहे। सेना के मुताबिक इस एलओसी पर भी सीमा रेखा को लेकर विवाद है और गश्त के दौरान अक्सर तनातनी हो जाती है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, एलएसी पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों का जमावड़ा 9 दिसंबर को देखा गया था। भारतीय सेना के जवानों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया और दृढ़ता से उन्हें आगे बढ़ने से रोका। इसके बाद हुई झड़प में दोनों पक्षों के सैनिकों को चोटें आईं। झड़प के तत्काल बाद दोनों पक्ष अपने इलाकों में लौट गए। घटना के बाद भारत के स्थानीय कमांडर ने चीनी पक्ष के कमांडर के साथ फ्लैग मीटिंग की और पहले से तय व्यवस्था के तहत शांति और स्थिरता कायम करने पर चर्चा की। सेना के सूत्रों ने बताया कि तवांग में एलएसी के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां दोनों ही पक्ष अपना दावा करते हैं और यहां दोनों देशों के सैनिक गश्त करते हैं। यह ट्रेंड 2006 से चल रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, तवांग में आमने- सामने के क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया। घायल चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों की तुलना में कहीं अधिक है। सामने आया है कि इस झड़प में 20 भारतीय जवान घायल हुए हैं, जिन्हें इलाज के लिए गुवाहाटी लाया गया है। चीनी लगभग 600 सैनिकों के साथ पूरी तरह से तैयार होकर आए थे, लेकिन उन्हें भारतीय पक्ष से मुस्तैदी की उम्मीद नहीं थी। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से लगे कुछ क्षेत्रों पर भारत और चीन दोनों अपना-अपना दावा करते हैं। ऐसे में 2006 से इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं।

मई- जून 2020 में हुआ था पूर्वी लद्धाख सेक्टर में विवाद

गौरतलब है कि 1 मई, 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। यहीं से तनाव की स्थिति बढ़ गई थी। इसके बाद 15 जून की रात गलवान घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने- सामने आ गए।

बताया जाता है कि चीनी सैनिक घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय जवानों ने उन्हें रोका तो वह हिंसा पर उतारू हो गए। इसके बाद विवाद काफी बढ़ गया। इस झड़प में दोनों ओर से खूब पत्थर, रॉड चले थे। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवान मारे गए थे। इनमें कई चीनी जवान नदी में बह गए थे। हालांकि, चीन ने केवल चार जवानों के मौत की पुष्टि की। अमेरिका की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, इस झड़प में 45 से ज्यादा चीनी जवान मारे गए थे।

अक्तूबर 2021 में भी हुई थी तनातनी

15 जून, 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवां में हुई भिड़ंत के बाद यह पहली घटना है जब दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई है। अक्तूबर, 2021 में इसी जगह पर दोनोंं सेनाएं आमने सामने आई थीं। तब भारतीय सेना ने चीन के कई सैनिकों को घंटों बंधक बना कर रखा गया था। जिन्हें बातचीत के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था।

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इसके बाद क्या- क्या हुआ?

15 जून 2020 को सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक कई राउंड की बातचीत हो चुकी है। हालांकि अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।

2021 में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू हुई

तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने बैठक की। इसके बाद फरवरी 2021 में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की गई। सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिणी तटों और गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने (डिसइंगेजमेंट) की प्रक्रिया पूरी कर ली। हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के संवेदनशील सेक्टर में दोनों देशों के 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं।

सितंबर में लद्दाख के गोगरा- हॉट स्प्रिंग से हटी है चीनी सेना

भारत- चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में दो साल से अधिक समय तक तनाव रहा और चीन की सेना ने सीमा के कई ऐसे इलाकों में घुस कर कैंप बना लिए थे जो साझा गश्त के दायरे में आते थे। दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की वार्ता के बाद इस वर्ष सितंबर में दोनों देशों की सेनाएं गोगरा और हॉट स्प्रिंग इलाके से पीछे हटी थी।

अरुणाचल को अपना हिस्सा बताता है चीन

चीन के साथ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारत का सीमा विवाद है। अरुणाचल प्रदेश को तो चीन अपना हिस्सा बताता है। उसका कहना है कि यह तिब्बत का अंग है। 1962 में यहां हमला कर उसने अरुणाचल के एक हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। पिछले साल उसने अरुणाचल की सीमा से लगे 15 स्थानों के नाम बदल दिए थे।

1962 से चला आ रहा है विवाद

भारत और चीन के बीच लगभग 3,440 किलोमीटर लंबी सीमा है। 1962 की जंग के बाद से ही इसमें से ज्यादातर हिस्सों पर विवाद है। अभी तक हुई बैठकों में दोनों देशों ने स्थिति पर नियंत्रण, शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए समाधान तलाशने की बात पर सहमति जताई है। विवादित क्षेत्रों में यथास्थिति कायम रखने और सेना के डिसइंगेजमेंट को लेकर भी समझौता किया है।

चीन नें यह कहा

चीन ने कहा कि पीएलए नियमित पेट्रोलिंग पर थी और भारतीय सैनिकों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पार की और चीनी सैनिकों का रास्ता रोका। दुनियाभर में विस्तारवाद के लिए बदनाम चीन को जब मुंह की खानी पड़ी तो उसने भारत को ही ज्ञान देना शुरू कर दिया। चीन ने भारत से अग्रिम पंक्ति के सैनिकों पर लगाम लगाने और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया है। चीन की वेस्टर्स थियेटर कमांड के प्रवक्ता सीनियर कर्नल लांग शाहोहुआ ने कहा कि दोनों पक्ष के बीच डिसएंगेजमेंट हो गया है और पीएलए पेशेवर, मानक और शक्तिशाली तरीकों के साथ स्थिति से निपटी और उसे स्थिर किया।



इससे पहले मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग में चीनी मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि फिलहाल स्थिति स्थिर है, और दोनों पक्षों के बीच जो समझौते हुए हैं, उनका भारत को पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों ही पक्षों ने बातचीत के लिए सैन्य और कूटनीतिक चैनल खोले हुए हैं, ताकि सीमा से जुड़े मुद्दों को हल किया जा सके।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तीसरी बार पांच साल के कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद सीमा पर पहली बड़ी घटना है। शुक्रवार की झड़प ऐसे समय हुई, जब दोनों देश मई 2020 में पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद शुरू हुए पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के बाद से विभिन्न बिंदुओं पर इसे हल करने के लिए कमांडर स्तर की 16 दौर की बातचीत कर चुके हैं। पिछले दौर की वार्ता सितंबर में हुई थी, जिसके दौरान दोनों पक्ष गोगरा- हॉट स्प्रिंग क्षेत्र के पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से अपने सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हुए थे। भारत लगातार यह कहता रहा है कि एलएसी पर अमन- चैन द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए जरूरी है।


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