GA4

31 वर्ष पूर्व 11 सिखों के फर्जी एनकाउंटर मामले में 43 पुलिसकर्मियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया।

Spread the love

हाईकोर्ट। पीलीभीत जनपद में 31 वर्ष पूर्व 11 सिखों के फर्जी एनकाउंटर मामले में 43 पुलिसकर्मियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को गैर इरादतन हत्या का दोषी माना है। साथ ही सभी को 7- 7 साल की सजा सुनाई है।

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने अभियुक्त पुलिसकर्मियों की ओर से दाखिल अपीलों पर सुनवाई के बाद दिया। ट्रायल कोर्ट ने इन पुलिसकर्मियों को हत्या का दोषी पाते हुए 4 अप्रैल 2016 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उक्त फैसले को निरस्त कर दिया है।



जानें क्या है पूरा मामला…?

12 जुलाई 1991 में पीलीभीत के 11 सिखों को पुलिस ने कथित एनकाउंटर में मार गिराया था। एनकाउंटर में मार… एनकाउंटर में मारे गए सभी लोगों की लाशें पीलीभीत व आसपास के इलाके में बरामद हुई थीं। सीबीआई जांच के दौरान एनकाउंटर फर्जी साबित हुआ था। वहीं पूरे मामले पर पुलिस का तर्क था कि एनकाउंटर में मारे गए लोग आतंकवादी संगठन के लोग थे। अब इस पूरे मामले में पुलिसकर्मियों द्वारा राहत के लिए दायर की गई अपील पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई की। जिसमें 43 पुलिसकर्मियों को गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए 7 साल कैद की सजा सुनाई है।

जो पुलिस जीप में बैठे थे सुबह उनके शव मिले

घटना के इकलौते प्रत्यक्षदर्शी मेजर सिंह बताते हैं कि वो दिन मुझे आज भी याद है। 31 साल पहले उस दिन मैं अपने खेत से वापस आ रहा था। मेरे ट्रैक्टर में खेत बराबर करने वाला लकड़ी का पटेला भी बंधा हुआ था। अचानक पुलिस की कुछ गाड़ियां निकलीं। इस दौरान मेरे ट्रैक्टर का पटेला एसपी की गाड़ी से टकरा गया। कुछ पुलिसकर्मियों ने गाड़ी रोककर मुझे डंडा मार दिया। इस पर मेरी पुलिसकर्मियों से काफी नोंकझोंक भी हुई। उसके बाद एसपी ने बाहर आकर हम लोगों को शांत करवाया।

बाहर आने पर बन सकते हैं खतरा

फिर पुलिस की गाड़ी वहां से जाने लगी। तभी मेरी नजर पुलिस की गाड़ी में बैठे 3 सिखों पर पड़ी। उनके बाल खुले थे और शरीर पर कपड़ा नहीं था। सुबह उन तीनों की लाश की फोटो मैनें पेपर में देखी। उनकी तस्वीरें देखकर मैं सन्न रह गया और पीड़ित परिवारों को तलाश कर मैं मुकदमे से जुड़ गया। बीते 31 सालों में कई बार मुझे धमकाया गया, पैसे का लालच भी दिया गया। लेकिन मैं डरा नहीं। अब सिर्फ एक ही डर है कि यदि उन पुलिसकर्मियों को जमानत मिल जाएगी तो वे मेरे व मेरे परिवार के लिए खतरा हो सकते हैं।



मृतकों के परिजन कर रहे थे फांसी की मांग

एनकाउंटर में मारे गए लखविंदर सिंह के भाई हरमेल सिंह बताते हैं कि महाराष्ट्र के हजूर साहिब गुरुद्वारे में दर्शन के बाद उत्तर प्रदेश और पंजाब के 25 सिख बस से लौट रहे थे। दो बुजुर्ग सहित 13 पुरुष, 9 महिलाएं और 3 बच्चे बस में सवार थे। यात्रा 29 जून 1991 को नानकमत्था गुरुद्वारे से शुरू हुई थी। ये लोग कई धार्मिक स्थलों पर भी गए थे। लौटते समय पीलीभीत से 125 किलोमीटर दूर यूपी पुलिस की एक वैन ने बस को रोक लिया था। वैन से कुछ पुलिस कर्मी बस में चढ़े और 11 जवान पुरुषों को उतार लिया। इनमें से दो लोग पीलीभीत के भी थे। एक दिन बाद इन 10 सिखों के शव पीलीभीत और उसके आस-पास के जिलों में मिले। जबकि एक युवक का आज तक कुछ पता नहीं लग पाया है। घटना के बाद अपने परिवार के लोगों के शव देखकर कोई कुछ समझ नहीं पाया। सब जगह खबर चलने लगी कि 11 आतंकवादियों को यूपी पुलिस ने मार गिराया। मृतक के परिजनों इस पूरे मामले में लगातार दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ फांसी की मांग करते नजर आ रहे थे।


Share
error: Content is protected !!