हाल ही में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए हैं, जिसमें कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त दे डाली। जिसके बाद भाजपा से गहरा नाता जोड़ कर देखे जाने वाले आडानी ग्रुप ने हिमाचल स्थित हाल ही में खरीदी अम्बुजा व ऐसीसी सीमेंट फक्ट्रियों पर ताला लगा दिया। जिससे हजारों लोगों की रोजी रोटी पर संकट आन पडा। जिसके बाद एक खेमे ने फैक्ट्रियां बंद होने के कारणों को कोंग्रेस पर मढ़ने के प्रयास तो किए, लेकिन सीमेंट फैक्ट्रियों के साथ जुड़े लोगों ने इसे मानने से साफ इंकार कर दिया। जनता ने प्रश्न करना शुरू कर दिया कि सदैव प्रॉफिट में रहने वाली सीमेंट फैक्ट्रियां आडानी ग्रुप द्वारा खरीदे जाने के मात्र एक महीने बाद अचानक घाटे में कैसे चली गईं।
सोशल मीडिया पर तरह- तरह की बातें होने लगी। कईयों ने तो यहां तक कह डाला कि भाजपा की हार का बदला लिया जा रहा है, क्योंकि याराना गहरा है। गौरतलब हो कि हिमाचल प्रदेश में सभी वर्गों सहित बड़ी तादात में गरीब सवर्णों की रोजी रोटी उक्त सीमेंट फैक्ट्रियों से जुड़ी हुई है, फिर चाहे वे ड्राइवर तबका हो याँ मकैनिक आदि। ऐसे मैं जहां हिमाचल प्रदेश वासियों पर आए संकट से निजात पाने के लिए चिंतन करने की आवश्यकता है, वहीं सोशल मीडिया पर सक्रिय एक तबके द्वारा इसे हिमाचल प्रदेश में बनी कांग्रेस की नई सरकार पर मडटे हुए मजे लेना शुरू कर दिया गया। जिसके बाद शोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप, तंज आदि की होड़ सी लग गई। इसी कढ़ी के चलते सवर्ण नेता व आरक्षण संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय महासचिव (मीडिया प्रकोष्ठ) साहिल गुप्ता ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की। जिसमें उन्होंने प्रश्न चिन्ह लगाता हुए लिखा कि
“अडानी की संपत्ति 122 बिलियन, अंबानी की 97 बिलियन और अं••क्तों की संपत्ति सिर्फ 5 किलो राशन, गांजा और चीलम ?”
साहिल गुप्ता द्वारा की गई इस पोस्ट के बाद पहली प्रतिक्रिया पूर्व कैबिनेट मंत्री व पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता तीक्ष्ण सूद ने दी। जिसमे उन्होंने प्रश्न किया किया कि
“और चमचों की?”
श्री तीक्ष्ण सूद द्वारा किए कमेंट के बाद पहले तो साहिल गुप्ता समझ नही पाए के ये कोन है और उन्होंने श्री सूद को साधारण रिप्लाई देते हुए बस इतना ही जवाज़ दिया की अंधभक्त व चमचे एक जैसे ही हैं। लेकिन इसके बाद अश्विनी शर्मा नामक एक सवर्ण ने श्री सूद को रिप्लाई में सवर्णों पर किए जा रहे अत्याचारों की दुहाई देते हुए अंधभक्त चमचे आदि को एक समान करार दिया। श्री शर्मा ने तीक्ष्ण सूद को रिप्लाई देते हुए लिखा की “सूद साब प्रतिभा का हनन करने वाली राजनीतिक पार्टियों का साथ देने वाले चाहे अंधभक्त हों याँ चमचे याँ भेड़ बकरियां आदि कोई भी।
सब एक समान हैं। आंखे बंद करके यदि कोई किसी भी राजनीतिक पार्टी का समर्थन करता है तो वह दूसरों के साथ साथ अपने बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ ही करता है।
राजनैतिक पार्टियों ने गरीब में जातियां ढूंढ कर गरीबी का मजाक बना डाला, जबकि गरीब की कोई जाति ही नही होती, गरीब सिर्फ गरीब भी होता है।
सवर्णो (सामन्य वर्ग) की जातियों के नाम पर की जा रही दुर्दशा के जिम्मेदार आप भी हो, क्योंकि आप भी सरकारों द्वारा सवर्णों के विरुद्ध किए जा रहे फैंसलों पर सदैव चुप रहे।”
अश्विनी शर्मा द्वारा दिए रिप्लाई के बाद साहिल गुप्ता का भी ध्यान एकाएक इस और गया कि यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि पूर्व कैबिनेट मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता माननीय श्री तीक्ष्ण सूद हैं। जिसके बाद साहिल गुप्ता ने अपनी पोस्ट पर श्री सूद का स्वागत किया और अपने अंदाज से उन्हें वह सब कह डाला जिसका तीक्ष्ण सूद ने भी कभी सोचा ना होगा। साहिल गुप्ता ने अपनी अगली रिप्लाई में लिखा कि…..
“माननीय तीक्ष्ण सूद जी। सर्वप्रथम आपका इस तुच्छ सेवक की पोस्ट पर हार्दिक स्वागत है। आज का पोस्ट केवल हिमाचल सीमेंट प्रकरण पर तंज मात्र था। क्योंकि हिमाचल की सीमेंट फैक्ट्रियों से लाखों गरीब सवर्णों की रोटी जुड़ी है। मेरा इस और ध्यान आपका ही कमेंट लेकर आया कि आजकल राजनीतिक पार्टियों के समर्थकों के नाम रख दिए गए हैं। लेकिन हमारी निगाह में हर उस राजनीतिक पार्टी जो सनातन व समानता को जातियों में बंटती है का अंधा हो कर सहयोग समर्थन करता है वह अंधभक्त ही है। जो आज भाजपा कर रही है वही पहले कांग्रेस करती आई है। इसलिए हमारी निगाह में कांग्रेस और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सवर्णों को प्रताड़ित करती आई हैं। सवर्णों में भी अमीर गरीब व मध्यमवर्गीय हैं। लेकिन आप नेताओं ने आंखे बंद करके सवर्णों का उत्पीड़न होने दिया और गरीबी को जाती में परिभाषित कर दिया।
एक छोटा सा उदाहरण आपको देना चाहूंगा। राजनीतिक दृष्टि से मैं अपना गुरु स्वर्गीय श्री जगदीश जी साहनी (बटाला) को मानता हूं। भाजपा का समर्थक हूं लेकिन अंधभक्त नहीं। गलत को गलत और सही को सही कहना मेरी आदत है। पंजाब में भाजपा का सर्वश्रेष्ठ नेता मैं आप ही को मानता हूं। लेकिन आप ही के शहर में अनुसूचित जाति के दिग्गज नेता माननीय श्री विजय सांपला हैं, जो अपने समाज के लिए ना केवल खड़े हैं, बल्कि उनकी आवाज विधानसभा लोकसभा आदि तक पहुंचते हैं। इसके विपरीत आपने सवर्ण होने के नाते कभी सवर्णो की आवाज नही उठाई। ऐसे ही किसी भी सवर्ण सांसाद य विधायक ने सवर्णों की आवाज नही उठाई। हमारे बच्चे 90 अंक लाकर भी 40 अंक वाले से सिर्फ इस लिए हार जाते हैं क्योंकि दुर्भगय वश वे सवर्ण परिवार में जन्म लिए। मजबूरन उन्हें देश छोड़कर विदिशों में न केवल पढ़ाई करनी पड़ रही है, बल्कि जीवन यापन भी अपने देश से दूर विदेशों में करने को मजबूर हैं।
क्योंकि मोदी सरकार द्वारा 2018 में एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन करके एक तरह का खतरनाक हथियार बना डाला है, जो हमारे बच्चों पर गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। यह सब देख कर भी जो सवर्ण विरोधी पार्टियों की झूठी वाहवाही कर रहे हैं वे हमारे लिए अंधभक्त, चमचे, भेड़ बकरियाँ आदि सब हैं। साहिल गुप्ता के इस कमेंट के बाद सवर्ण मोर्चा के नेता अनूप ठाकुर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। श्री ठाकुर ने तीक्षण सूद को रिप्लाई देते हुए कहा की
“Tikshan Sud Ex-Minister परम् श्रद्धेय सूद साहब पहले तो आपको प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻। सर चमचे और अंधभक्तों में कोई ज्यादा फ़र्क नहीं है बस नाम अलग अलग हैं, और आजकल आपने चमचों को गांजा और चिलम से वंचित कर दिया है। आपकी सरकार बहुत जल्द जनता की हालत वैसी कर देगी जैसी सवर्णों की लंबे समय से है।जैसे सवर्ण पैदा होते ही अमीर होता है उसी तरह आपकी सरकार ये भी बहुत जल्दी ही suppose करेगी कि भारत में पैदा होने वाला हर नागरिक अमीर ही पैदा होगा। दमन सबका होगा मगर धीरे- धीरे।”
इस सारे प्रकरण में देखने वाली बात यह रही कि किसी भी सवर्ण ने ना तो अपना आपा खोया और ना ही किसी बद्धि शब्दावली का उपयोग किया। सामान्य वर्ग के लोगों ने बड़े ही सहनशीलता से ना केवल अपनी बात रखी बल्कि भाजपा नेता को खरी खोटी सुना डाली।
इस सारे प्रकरण के बाद कांग्रेस भाजपा या अन्य राजनीतिक पार्टियों को सवर्णो का दुख दर्द सुनाई पड़ता है कि नहीं यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन पोस्ट पर ब्राह्मण बनिया व राजपूतों की एकता ने इस ओर इशारा जरूर कर दिया की अब देश में अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध सवर्ण समाज जागरूक होकर एकजुट होने लगा है।