केरल। हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि न तो सरकार और न ही अदालत एंडोस्लफान पीड़ितों और उनके रिश्तेदारों की दुर्दशा से बेखबर रह सकती है। हाईकोर्ट ने एक एंडोसल्फान पीड़िता के इलाज के लिए परिवार की ओर से लिए गए कर्ज को माफ करने का राज्य सरकार को आदेश दिया।
जस्टिस एजी अरुण ने कहा कि इस प्रकार के मामलों में पैतृक एवं सुरक्षात्मक भूमिका सिद्धांत लागू किया जाना चाहिए, जिसके तहत सरकार के पास नाबालिग, मानसिक रूप से अस्वस्थ, शारीरिक रूप से अक्षम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण असहाय हुए लोगों समेत उन व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने की अंतर्निहित शक्ति और अधिकार हैं, जिनके पास स्वयं कार्य करने की कानूनी क्षमता नहीं है।
जस्टिस अरुण ने कहा, इस मामले में कर्तव्य व जिम्मेदारी, शक्ति और अधिकार से जुड़े हुए हैं, ऐसे में राज्य परिवार की मदद करने के लिए बाध्य है। 11 वर्षीय एन मारिया कासरगोड के 11 गांवों में 1978 से 2001 के बीच एंडोसल्फान के इस्तेमाल के कारण पीड़ित हुए हजारों लोगों में से एक थी। उसकी मां ने उपचार के लिए कैनरा बैंक से तीन लाख रुपये और एसबीआई से 69,000 का कर्ज लिया था।