मध्यप्रदेश। मध्य प्रदेश के जनपद मुरैना के अंतर्गत दो ऐसे गांव का विवरण निकल कर सामने आया है जहां से प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दर्जनों की संख्या में सैनिक लड़ने के लिए गए थे यह पोस्ट आज के सामाजिक संचार माध्यम फेसबुक से साभार ली गई है।
मुरैना जिले का यह गाँव है ‘ खांड़ौली ‘।
पहले विश्वयुद्ध में इस गाँव से बारह लोग लड़ने गये थे। किस मोर्चे पर लड़ने गये होंगे इसका पता नहीं है। शायद मेसोपोटामिया या उससे और आगे मिस्र की तरफ़। मुरैना जिले में और भी कई जगह ऐसे पत्थर आपको मिल जायेंगे। संगमरमर के इस पत्थर को खांड़ौली से लाकर जिला संग्रहालय में सजा दिया गया।
आपको कहानी याद होगी ‘उसने कहा था’।चंद्रधर शर्मा गुलेरी की। हिन्दी की श्रेष्ठतम कहानी मानी जाती है। इस पर फिल्म भी बनी। कहानी पहले विश्वयुद्ध के समय की ही है। अमृतसर की जिस दुकान पर दही लेने गये लड़के ने लड़की से पूछा था- ‘तेरी कुड़माई हो गयी’? और ‘लड़की’ धत् ‘कहकर चली गई थी, वह दुकान अब भी वहीं है। मुरैना के कथाकार रामवरन शर्मा अमृतसर की उस दुकान को देखकर आये थे।
खांड़ौली की वीर गाथा कहता यह पत्थर महज पत्थर तो न होगा। जाने कितनी कहानियाँ होंगी इसके पीछे। कोई उन कहानियों को सुनाने वाला न रहा।
डकैत नही वीर भूमि चंबल
पोरसा तहसील का गाँव है ‘छोटीकौंथर’।
पहले विश्वयुद्ध में इस गाँव से सत्तरह लोग लड़ने गये थे। किस मोर्चे पर लड़ने गये होंगे इसका पता नहीं है। मुरैना जिले के खांडौली के बाद छोटी कौंथर में भी ऐसा पत्थर है जिसमे ग्रामीणों के प्रथम विशव युद्ध में शामिल होने के संकेत लिखे हुए हैं लेकिन आज यह पत्थर किसी संग्रहालय में सुरक्षित न होकर अपनी और चंबल की पहचान खोता हुआ नजर आ रहा है। हो सकता है जिले में और भी कई जगह ऐसे पत्थर आपको मिल जायेंगे।