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4 मिश्रा बच्चे जिनके माता- पिता की हो चुकी है मौत, जिसमें नेता पप्पू यादव के आश्वासनों का सच, चाचा नीरज बनें जिम्मेदार, आज 2.5 वर्ष बाद आखिरी सच की रिपोर्ट।

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बिहार। रोहतास जिले के ब्लॉक तिलौथू के अंतर्गत आने वाली ग्रामसभा चंदनपुर के गांव कोडर मे ऐसे ही गरीब बच्चे रहते हैं जिनके सर पर माता पिता का साया नहीं है। माता पिता के न होने के चलते इन चारों बच्चों की देखरेख का जिम्मा उनके चाचा नीरज मिश्रा उठा रहे हैं। जिनको सरकार की ओर से 4000 रूपये महीने परवरिश योजनान्तर्गत मिलते हैं।



चार भाई-बहनो में दो भाई व दो बहन है। साथ ही किसी भी बच्चे की उम्र 12 वर्ष से अधिक नहीं है। मिट्टी के कच्चे मकान में न तो सोने को चारपाई है ना बिछाने को बिस्तर। उन बच्चों से उनके माता– पिता के बारे में पूछा तो पता चला कि उनके पिता सुरेंद्र मिश्रा की मृत्यु तीन वर्ष पहले हो चुकी है और मां भी नहीं है। पिता की मौत अधिक कुपोषणता के चलते असमय बीमारी के हो जाने के कारण हो गई थी। जिसके बाद बच्चों की हालत और खस्ता हो गई।

सोशल मीडिया में खबर वायरल हुई तो प्रशासन जागा

जब गाँव के शशि रंजन सिंह ने इन बच्चो की हालत सोशल मीडिया के माध्यम से बयान कि तो प्रशासन हरकत में आया। गांव के ही देव कुमार मिश्रा की मदद से शशि रंजन सिंह ने मिलकर इन बच्चो को तात्कालिक सहयोग करते हुए प्रशासन तक बात सोशल मीडिया के माध्यम से सन् 2020 में पहुंचाई थी। जिसके बाद प्रशासन की नींद टूटी और बच्चो के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी। वहीं बच्चो के चाचा नीरज मिश्रा को गार्जियन बनाते हुए आधार कार्ड तैयार कर बच्चों का नाम प्राइमरी स्कूल में लिखाया गया है।



जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव ने सहयोग किया

वहीं बिहार के बाहुबली नेता पप्पू यादव को जब यह बात पत्रकारों के माध्यम से पता चली तो उन्होंने तत्काल 25 हजार रूपए बच्चों तक पहुंचाया। साथ ही बच्चो के बालिग होने तक 4 हजार रूपए प्रति माह देने की घोषणा की थी। वहीं पप्पू यादव की घोषणा का हाल यह है, कि मीडिया में 1 लाख नगद डोनेशन राशन व 4000 महीना देनें की बात कही थी, लेकिन वास्तविकता यह है कि 25000 रूपया नगद व कोरे आश्वासन देकर नेता जी चले गये।

चारों बच्चों की वर्तमान दशा।

चारो बच्चों में किशन मिश्रा उम्र 12 वर्ष कक्षा पांचवीं, कुमारी नंदिनी मिश्रा उम्र 11 वर्ष कक्षा चौथी, कुमारी स्वीटी मिश्रा उम्र 8 वर्ष कक्षा दूसरी, कृष कुमार मिश्रा उम्र 5 वर्ष शालापूर्व शिक्षा। वहीं हम आपको बताते चलें कि इन बच्चों के पास पैतृक विरासत के नाम पर एक कच्चा जर्जर माकान है, व जमीन नही है, परिसम्पत्तियों के नाम पर 4000 की प्रति माह मिलनें वाली इमदाद मात्र है।

जमीन भू- आवंटन के नाम पर क्या मिलेगी इनको?

भू- आवंटन के नाम पर क्या सरकार की कोई योजना शेष है, जिसके द्वारा इन बच्चों के नाम थोड़ी जमीन हो सके, सरकारी इमदाद के नाम पर एक आवास मिल सके तो ज्यादा बेहतर होगा।


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