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केशव प्रसाद मौर्य व आशीष पटेल उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोगियों को नगवारा लगा हाईकोर्ट का निर्णय, सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती।

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उत्तर प्रदेश। नगर निकाय चुनाव को लेकर सरकार द्वारा जारी ओबीसी आरक्षण को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले पर सरकार की ओर से पहली प्रतिक्रिया आ गई है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करके कहा कि पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आते हुए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करके कहा, ‘नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, परंतु पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा!’



HC के फैसले को SC में चुनौती दे सकती है UP सरकार।

इस बीच चर्चा है कि यूपी सरकार, इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है। नगर निकाय चुनाव को लेकर हाई कोर्ट के फैसले के बाद आज शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक अहम बैठक कर सकते हैं, जिसमें आगे की रणनीति पर फैसला होगा। फिलहाल सरकार के रूख से लग रहा है कि वह मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जा सकती है।

सरकार की प्रमुख सहयोगी पार्टी अपना दल (यस) नें दिया गीदड़ भभकी

ओबीसी आरक्षण को रद्द होते ही उत्तर प्रदेश की सियासत तेज हो गई। एनडीए की सहयोगी और अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल अपना दल (एस ) ने कोर्ट के फैसले पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि हम इस फैसले से खुश नहीं है।  इस फैसले के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा हम इस फैसल का विशेषज्ञों से अध्यक्ष करा रहे है।  उसके बाद हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव सही नहीं है।

पीठ मामले में आज अपना फैसला सुनाया है। पीठ पहले ही मामले के निपटान तक अधिसूचना पर रोक लगा चुकी है। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कोटे को लेकर राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर शनिवार को सुनवाई पूरी की।

अधिवक्‍ता एलपी मिश्रा ने अदालत को विस्तार से मामले की दी जानकारी।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्‍ता एलपी मिश्रा ने अदालत को विस्तार से मामले की जानकारी दी और उसके बाद अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता अमिताभ राय ने राज्य सरकार की ओर से मामले में लंबी बहस की। राय ने कहा कि रैपिड सर्वे ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले जितना ही बेहतर है। पीठ प्रथम दृष्टया राज्य सरकार के तर्कों से सहमत नहीं दिखी। पीठ अब मामले में 27 दिसंबर को फैसला सुनाएगी। मामले में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार को इस राज्य में ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन का अध्ययन करने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन करने संबंधी ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला अपनाना चाहिए और इसके बाद ही आरक्षण तय करना चाहिए।

‘चुनाव के लिए तैयार है बीजेपी’

वहीं यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा, ‘जहां चूक हुई है, उसे देखा जाएगा, हम हर वक्त चुनाव के लिए तैयार रहते हैं, हम कोर्ट के फ़ैसले की समीक्षा करेंगे और आगे की तैयारी में जुटेंगे, पिछड़ा विरोधी होने के आरोप निराधार हैं, हम सभी वर्गों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले लोग हैं, कभी भी चुनाव हो, बीजेपी चुनाव के लिए हमेशा तैयार रहती है।’

क्या है हाई कोर्ट का फैसला?

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ ने मंगलवार को यूपी नगर निकाय चुनाव को लेकर अहम फैसला सुना दिया। कोर्ट ने निकाय चुनावों को लेकर 5 दिसंबर को ओबीसी आरक्षण सूची को रद्द कर दिया है। साथ ही हाई कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने का आदेश दिया है। तुरंत चुनाव कराए जाने पर ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें सामान्य मानी जाएंगी।



इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने फैसले में कहा कि ओबीसी आरक्षण देने के लिए एक डेडिकेटेड कमीशन बनाया जाए, तभी ओबीसी आरक्षण दिया जाए, सरकार ट्रिपल टी फॉर्मूला अपनाए, इसमें समय लग सकता है, ऐसे में अगर सरकार और निर्वाचन आयोग चाहे तो बिना ओबीसी आरक्षण ही तुरंत चुनाव करा सकता है, तुरंत चुनाव कराने पर ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें सामान्य मानी जाएंगी।

गौरतलब है कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकाय चुनाव की सीटों की आरक्षण सूची जारी कर दी थी। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं में कहा गया कि सरकार ने ओबीसी आरक्षण जारी करने के लिए ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला नहीं अपनाया था। इस फॉर्मूले को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाया गया था। इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को झटका दिया है।


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