महाराष्ट्र। शिवसेना’ से बगावत के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का समर्थन किया है। यह समर्थन महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद के बीच आया है। दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा ने कर्नाटक में स्थित 865 मराठी भाषी गांवों का अपने प्रदेश में विलय करने पर ‘‘कानूनी रूप से आगे बढ़ने’’ के लिए एक प्रस्ताव मंगलवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। अब उद्धव ठाकरे ने शिंदे सरकार के इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा, “हमने आज के प्रस्ताव का समर्थन किया है। महाराष्ट्र के पक्ष में जो भी होगा, हम उसका समर्थन करेंगे।” इसके साथ ही ठाकरे ने कुछ सवाल भी पूछ लिए। उन्होंने कहा कि 2 साल से अधिक समय से लोग (सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले) उन्हें महाराष्ट्र में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, इसको लेकर हम क्या कर रहे हैं?” गौरतलब है कि महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे ने इस साल जून में 39 विधायकों को साथ लेकर शिवसेना से बगावत कर दी थी। इससे उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
उद्धव ने रखी विवादित क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में मांग की कि इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक 865 गांवों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए। ठाकरे ने कहा, “आज सरकार ने जवाब दिया कि विवादित क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश (UT) घोषित नहीं किया जा सकता जैसा कि 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था। हालांकि, स्थिति अब वैसी नहीं है। कर्नाटक सरकार इसका पालन नहीं कर रही है। वे वहां विधानसभा सत्र कर रहे हैं, जिसका नाम बेलगावी रखा गया है। इसलिए हमें सुप्रीम कोर्ट में जाना चाहिए और शीर्ष अदालत से इसे UT घोषित करने के लिए कहना चाहिए।” हालांकि, प्रस्ताव में यह मांग शामिल नहीं की गई। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और यह सुनिश्चित करना होगा कि इस मांग को आगे रखते हुए न्यायालय की अवमानना न हो।
इससे पहले ‘सीमा विवाद’ से जुड़ा प्रस्ताव मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा पेश किया गया था। प्रस्ताव में कहा गया है कि कर्नाटक राज्य विधायिका ने सीमा विवाद को जानबूझकर भड़काने के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया था। महाराष्ट्र विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘राज्य सरकार 865 गांवों और बेलगाम (जिसे बेलगावी भी कहा जाता है), कारवार, निपाणी, बीदर और भाल्की शहरों में रह रहे मराठी भाषी लोगों के साथ मजबूती से खड़ी है। राज्य सरकार कर्नाटक में 865 मराठी भाषी गांवों और बेलगाम, कारवार, बीदर, निपाणी, भाल्की शहरों की एक-एक इंच जमीन अपने में शामिल करने के मामले पर उच्चतम न्यायालय में कानूनी रूप से आगे बढ़ेगी।’’
महाराष्ट्र के प्रस्ताव में कहा गया है कि जब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी तो यह तय हुआ था कि मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक यह सुनिश्चित किया जाए कि इस मामले को और न भड़काया जाए। हालांकि, कर्नाटक सरकार ने अपनी विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर इससे विपरीत कदम उठाया। भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद 1957 से ही दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद है।