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गोंडा अब बिना गेट बुक पर एन्ट्री किए ही होती है मुलाकात, सुनिये उत्पीड़न की दास्तां यह केवल गोण्डा का नही बल्की सम्पूर्ण देश की यही दशा।

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गोण्डा। गोण्डा जेल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। वर्ष 2022 में अब तक जेल में आधा दर्जन कैदियों की मौत हो चुकी है। हिरासत में हुई मौत प्राकृतिक या फिर हत्या इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बीते दिनो जेल के अंडर ट्रॉयल बंदी श्री सुनील कुमार त्रिपाठी (अध्यक्ष) जनसंवाद मंच नें जेल में फैली अनियमितताओं, बंदियों के शोषण व भोजन सहित विभिन्न मांगों को लेकर भूख हड़ताल भी की।

वहीं दूसरी ओर एक अधिवक्ता ने पुलिस अधीक्षक गोण्डा व जेल के अन्य उच्चाधिकारियों को दिए गए पत्र के माध्यम से जेल अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है। अधिवक्ता का आरोप है कि वर्तमान में जनपद की जेल अधीक्षक विहीन है, ऐसे मे पूरा दारोमदार डिप्टी जेलर व जेलर पर निर्भर हैं प्रभारी जेल अधीक्षक पर और भी कई जिम्मेदारियां हैं। ऐसे में जेलर व डिप्टी जेलर जेल में बंदियों से मनमानी कर रहे हैं। बंदियों से आने वाले बंदियों को उनके अधिवक्ता से मिलने से वंचित किया जाता है।



अधिवक्ता का आरोप है कि 21 दिसम्बर 2022 को अधिवक्ता बंदियों से मिलने जिला जेल पहुंचे तो वहां जेल अधिकारियों ने बंदियों से विधिक मुलाकात नहीं कराई तो बंदी से मिलने आए अधिवक्ता ने बंदी के कुछ प्रपत्र जो जेल अधीक्षक, जेलर, डिप्टी जेलर द्वारा नियमानुसार अग्रसारित कर सम्बंधित पटल पर अग्रसारित करने का प्राविधान है। इसलिए अधिवक्ता ने बंदी की प्रपत्र मूल रूप से गेट मैन को देकर उनसे जेल अधिकारियों से अग्रसारित कराने को कहा तो गेट मैन ने अधिवक्ता को अगले दिन आने को कहा। अगले दिन जब अधिवक्ता जेल में बंदी से मुलाकात करने गए तो उन्हें बंदी से मिलने नहीं दिया गया और कुछ देर बाद डिप्टी जेलर व जेलर ने गेट मैन से अधिवक्ता को अन्दर आने को कहा।

जब अधिवक्ता अन्दर गए और जेल गेट पर मौजूद गेट बुक पर अपनी एण्ट्री करने पहुंचे तो गेट मैन नें रजिस्टर पर इन्ट्री करने से रोंकते हुए कहा कि बगैर इन्ट्री के ही अन्दर जाईये। अधिवक्ता इससे पहले भी कई बार जेल में बंदियों से मुलाकात करने गए थे। लेकिन हर बार एन्ट्री करने के बाद ही जेल गेट के अंदर प्रवेश दिया जाता है। बिना गेट बुक पर इन्ट्री किये जेल के अन्दर किसी का प्रवेश स्वतः ही जेल की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह है।

जब अधिवक्ता अन्दर आए तो उन्हें सामने ही जेल के अधिकारी मिले और बोले की ऐसे ही कोई कागज गेट पर देकर चले जांएगे आप पहले मुझे पढ़ाना चाहिए। अधिवक्ता ने कहा कि सर मैने पढ़ने और अग्रसारित करने के लिए ही गेट मैन को मूल प्रपत्र दिए थे। तो जेल अधिकारियों ने हाथ से मुॅंगफली आगे बढ़ाते हुए कहा कि सर बिना सुविधा शुल्क के यहॉं कुछ नहीं होता हैं। अगर सुविधा चाहिए तो हम लोगों का भी खयाल करिये और फिर कागजात अग्रसारित करने के लिए 5000 रूपए की मांग करने लगे। जिस पर अधिवक्ता ने इतनी भारी रकम बंदी द्वारा दे पाने में असमर्थता ब्यक्त करने पर और यह आपका कर्तब्य है। अग्रसारित करना कहते ही जेल अधिकारियों ने अधिवक्ता को ही जेल में चरस ले कर आने के जुर्म में फंसा कर जेल में ही परमानेन्ट बुला लेने की धमकी दे डाली।



अधिवक्ता का आरोप है कि ये पूरी प्रक्रिया करीब आधे घण्टे तक चली होगी। ऐसे ही पता नहीं कितनों को बिना गेट बुक पर इन्ट्री किए बगैर जेल के अंदर जेल अधिकारियों द्वारा ले जाया जाता होगा। हो सकता है जेल में मरे बंदियों की मौत के पीछे भी इसी प्रकार की कोई अदृश्य वजह है। खबर लिखे जाने तक जेल अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया और न ही अब तक उच्चाधिकारियों द्वारा किसी कार्यवाही का ही कोई आश्वासन अधिवक्ता को दिया गया है। जिले के आलाकमान अधिकारी जेल अधिकारियों को संरक्षित करते हैं या फिर उन्हें क्लीन चिट देते हैं ये देखना अभी बाकी है।


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