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नोयडा के दफ्तरों में ही अब मिलेगी शराब, इन कंपनियों में बार खोलने को मिली मंजूरी।

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नोएडा। आईटी कंपनियों के परिसर में अब बार भी खोले जा सकते हैं। इसका मतलब है कि जल्द ही आईटी पार्क यानी आईटी कंपनियों के कैंपस में शराब भी खरीदी और बेची जा सकेगी। नोएडा अथॉरिटी ने इसकी मंजूरी दे दी है। अथॉरिटी ने ये फैसला अपनी हालिया बोर्ड मीटिंग में लिया है। लंबे समय से IT कंपनियां नोएडा अथॉरिटी से अपने परिसर में बार खोलने की मांग कर रही थीं।



पहले लाइसेंस लेना होगा

मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक नोएडा अथॉरिटी के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है। अधिकारी के मुताबिक बोर्ड की मीटिंग में 5 एकड़ या उससे अधिक की संस्थागत संपत्तियों पर अथॉरिटी ने अपनी नीति में बदलाव किया है। अब नोएडा में आईटी कंपनियों के परिसर में खुले मौजूदा रेस्टोरेंट में शराब बेची जा सकेगी, लेकिन इसके लिए जरूरी लाइसेंस लेना होगा। वहीं लाइसेंस लेकर कंपनियों के कैंपस में नये बार भी खोले जा सकेंगे।

इससे पहले नोएडा में संस्थागत संपत्तियों यानी इंस्टिट्यूशनल प्रॉपर्टीज में रेस्टोरेंट, स्पोर्ट्स क्लब और जिम खोले जाने की मंजूरी थी, लेकिन शराब के लाइसेंस जारी नहीं किए जाते थे। एक अधिकारी ने बताया कि कई नामी आईटी क्लाइंट्स ने कंपनियों के परिसर में खुले रेस्टोरेंट्स में बार फैसिलिटी दिए जाने की सलाह दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक आईटी कंपनियों के परिसर में बार खोलने की मंजूरी देने का फैसला नोएडा अथॉरिटी ने 28 दिसंबर को हुई बोर्ड मीटिंग में लिया था।

नोएडा के एक आबकारी अधिकारी ने कहा कि आईटी पार्कों के कई रेस्टोरेंट ने बार खोलने के लाइसेंस की मांग की थी। नोएडा अथॉरिटी की ओर से परमिशन नहीं होने के चलते लाइसेंस नही दिया जाता था। अब ऐसे रेस्टोरेंट को लाइसेंस दिया जा सकेगा।



कैसे मिलता है बार खोलने का लाइसेंस?

रिपोर्ट के मुताबिक बार खोलने के लाइसेंस पर डीएम की देखरेख में काम करने वाली डिस्ट्रिक्ट लिक्वर बार कमिटी फैसला लेती है। कमिटी के साथ ही अथॉरिटी, पुलिस और एक्साइज डिपार्टमेंट तीनों लाइसेंस के लिए मंजूरी देते हैं। पहले कंपनी को इसके लिए एक्साइज डिपार्टमेंट में एप्लिकेशन देना होता है। एक्साइज डिपार्टमेंट सारे डॉक्यूमेंट्स देखता है। इसके बाद ये एप्लिकेशन डीएम के ऑफिस भेजा जाता है। एप्लिकेशन पर पुलिस, अथॉरिटी और डिप्टी एक्साइज कमिश्नर को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देना होता है। इसके बाद ही कमिटी फाइनल फैसला लेती है कि लाइसेंस दिया जाय य नही।


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