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एसीबी के नवनियुक्त कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने अपना विवादित आदेश किरकिरी के बाद वापस लिया।

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राजस्थान। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के नवनियुक्त कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने एक ही दिन में अपना विवादित आदेश मीडिया और विपक्ष के भारी दबाव और किरकिरी के बाद वापस ले लिया है। सूत्रों के मुताबिक सीएम और गृहमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश के बाद आदेश वापसी हुई है। सरकार के कई मंत्री भी इस तरह का आदेश चुनावी साल की शुरुआत और विधानसभा सत्र से पहले निकाले जाने से नाराज थे। एसीबी डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने अब नया आदेश निकालकर सभी चौकी और यूनिट प्रभारियों को लिखा है कि ट्रैपशुदा आरोपी और संदिग्ध का नाम, फोटो सार्वजनिक नहीं करने के मामले में 4 जनवरी को जारी आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है।



सीएम गहलोत ने कहा था- जरूरत पड़ी तो विदड्रॉ करवा लेंगे

सीएम गहलोत ने गुरूवार को उदयपुर में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए एसीबी कार्यवाहक डीजी के आदेश पर कहा था कि अभी जो आदेश निकला है वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मंशा को देखते हुए चार्ज लेने वाले डीजी ने निकाल दिया होगा। इस आदेश का और कोई मकसद नहीं है। सरकार का वही स्टैंड है जो पहले था। जीरो टोलरेंस करप्शन में रहेगी। मीडिया पर कोई रोक नहीं है, जो चाहे तो वो छापें।



ज्यूडिशियरी का सम्मान करना हमारा कर्तव्य बनता है, इसलिए उस ढंग से काम करना पड़ता है। ये ऑर्डर भी उस ढंग से निकला हुआ है। मीडिया को पब्लिक को भी बाइंड नहीं करना चाहिए। टेक्नीकली सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा- उसको आधार बनाकर यह किया है। फिर भी मीडिया में रिपोर्टिंग आई है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला और किसी परपज के लिए था। उसको मैं दिखवा दूंगा। जरूरत पड़ी तो हम आदेश को विदड्रॉ करवा लेंगे। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है।



नेता प्रतिपक्ष ने कहा था-मुख्यमंत्री के इशारे पर ही ऑर्डर दिया

नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा था कि इतना बड़ा निर्णय सरकार की जानकारी के बिना अधिकारी कर लें, ये मुझे सम्भव नहीं लगता है। फैसला लेने के इतने घंटे बाद भी गृहमंत्री और मुख्यमंत्री एक शब्द नहीं बोलते हैं, इसका मतलब मुख्यमंत्री के इशारे पर ही ऑर्डर दिया गया है।



तुगलकी फरमान भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष और विधायक सतीश पूनिया ने सरकार को इस आदेश पर घेरते हुए कहा था कि जीरो टोलरेंस और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बात कहने वाली अशोक गहलोत सरकार ने एक तुगलकी फरमान जारी किया है, जिसमें साफ दिख रहा है कि यह आदेश भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है। खुद मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में पब्लिक डोमेन में स्वीकार किया गया कि तबादलों के लिए रिश्वत ली जाती है। पूनिया ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार का मेन्यू कार्ड बना हुआ है। यह आदेश निकालकर सरकार ने भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टोलरेंस की बात से यू-टर्न ले लिया है।


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