चाय पर बुलाकर दो पत्रकारों पर समाचार न लिखनें का दबाव बनाया, मना करनें पर चौथ वसूली का मामला किया दर्ज, गभाना अलीगढ़।
अलीगढ़। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा पत्रकारों को सम्मान दिए जाने और उनके खिलाफ झूठी शिकायत पर कार्यवाही न किए जाने के बारे में लगातार निर्देश जारी किए जा रहे हैं, किंतु उसके बाद भी पत्रकारों का उत्पीड़न थमने का नाम नहीं ले रहा है। चाहे कोई माफिया हो, गैंगस्टर हो, सट्टेबाज या कोई भी अपराधी किस्म का व्यक्ति हो, पत्रकारों को उनके विरूद्ध समाचार लिखने की सजा लगातार भुगतनी पड़ रही है, जो कि मुख्यमंत्री के साफ- साफ निर्देश हैं कि पत्रकार का न तो उत्पीड़न किया जाए, ना ही फर्जी एफआई आर दर्ज की जाए। यदि मामला संज्ञान में आता भी है तो पहले जांच की जाएगी, इसके बाद एफआईआर की कार्रवाई की जाएगी।
किंतु आए दिन ऐसे मामले देखे जा रहे हैं जिनमें माफिया प्रवृत्ति के लोगों के द्वारा नाम मात्र के झूठे आरोप लगाए जाने से पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है, फिर भले ही पत्रकार की मान सम्मान की हानि हो, समय की बर्बादी या मानसिक उत्पीड़न, पुलिस को इससे कोई सरोकार नहीं होता है। एक तरह से देखा जाए तो माननीय मुख्यमंत्री के निदेशों को पुलिस प्रशासन धाता बताता नजर आ रहा है।
हाल के मामले में अलीगढ़ जनपद के गभाना थाने के अंतर्गत दो पत्रकारों पर चौथ वसूली का मुकदमा दर्ज किया गया है, जबकि मुकदमा दर्ज कराने वाले महोदय स्वयं राशन की कालाबाजारी में लिप्त है। मामले में पत्रकारों के द्वारा कालाबाजारी का समाचार बनाने के चलते कुछ जानकारी की जा रही थी, जिसके चलते संबंधित व्यक्ति का वक्तव्य भी महत्वपूर्ण था, दोनों पत्रकार संबंधित स्थल पर पहुंचे और चावल की मिल मालिक से बात करने की चौकीदार को कहा। चौकीदार का जवाब भी असंतुष्ट करने वाला लगा जिसके चलते दोनों पत्रकार वहां से वापस चले आए।
पत्रकारों की हुई मान की हानि के लिए आखिर कौन है जिम्मेदार?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश रख दिए जाते हैं ताक पर…
माफियाओं से सांठगांठ और पत्रकारों पर कार्रवाई के लिए सदैव उतावली रहती है पुलिस।