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तीर्थों की पवित्रता की हर हाल में हो रक्षा- अखिल भारतीय जनसंघ

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जनसंघ। अखिल भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य भारतभूषण पाण्डेय ने प्रसिद्ध जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को झारखण्ड सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित करने का विरोध करते हुए कहा कि जनसंघ तीर्थों की पवित्रता से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ का विरोधी है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में जैन मतानुयायी इसके विरोध में प्रबल आन्दोलन कर रहे हैं। किंतु हेमन्त सोरेन की सरकार ने अभी तक अपना निर्णय वापस नहीं लिया है।



जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सनातन व जैन पवित्र स्थलों को पूरे देश में पर्यटन स्थल घोषित कर वहाँ मद्य- मांस व अश्लील मनोरंजन का केन्द्र बनाया जा रहा है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसमें केन्द्र सहित विभिन्न राज्यों की सरकारें लगी हुई हैं। हमारे तीर्थ और पवित्र स्थलों को श्रध्दा, शिक्षा और साधना के केन्द्र के रूप में पूर्वजों ने सुरक्षित रखा था। जिसे आज की पाश्चात्य सभ्यता से ग्रसित सरकारें व्यापार का कुत्सित अड्डा बनाना चाहती हैं।

विश्वनाथ दरबार से धाम से कारीडोर तक के सफर में सनातन संस्कृति की विरासत विश्वनाथ दरबार का अस्तित्व समाप्त। सनातन संस्कृति के विनाश के लिये तथाकथित हिन्दुत्व वादी सरकार द्वारा इंगलैण्ड के कांट्रैक्टर नियुक्त।

आचार्य पाण्डेय ने इस क्रम में काशी विश्वनाथ जहाँ मंदिर परिसर में अतिथि गृह बनाए गए हैं, और वीआईपी कल्चर लागू कर श्रद्धालुओं में असुविधाजनक भेदभाव किया जा रहा है, तथा जगन्नाथ पुरी जहाँ ओडिशा सरकार पुरी बीच विकसित पर्यटन के नाम पर सुरा- सुन्दरी का अड्डा बनाना चाहती है, का विरोध किया और सरकार से कदम वापस लेने को कहा।



जैन समाज के आन्दोलन का समर्थन करते हुए उन्होंने सरकारों से तीर्थों के स्वरूप और स्वभाव की रक्षा का आह्वान किया। राजस्थान प्रदेश प्रभारी डॉ अनिल शर्मा जी ने अखिल भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष जी अपना पूर्ण रुप में सहयोग समर्थन कर रहे हैं इस बात को राजस्थान प्रदेश में जैन धर्म के अनुयायियों तक यह जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।


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