वाणिज्यिक न्यायालय ने 40 सालों बाद ब्याज सहित 48 लाख रुपये न चुकाने पर सिंचाई विभाग सपरार प्रखंड का खाता किया सीज।
झांसी। चालीस साल पहले एक ठेकेदार को छह लाख रुपये न चुकाना सिंचाई विभाग को भारी पड़ गया। वाणिज्यिक न्यायालय ने 40 सालों बाद ब्याज सहित 48 लाख रुपये न चुकाने पर सिंचाई विभाग (सपरार प्रखंड) का खाता सीज कर दिया है। खाता सीज होते ही अफसरों के बीच खलबली मच गई। इससे मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, एक्सईएन समेत 400 से अधिक कर्मचारियों का वेतन फंस गया।
सिंचाई विभाग के अफसरों के मुताबिक वर्ष 1983 में सिंचाई विभाग ने पहाड़ी डैम में राठ निवासी ठेकेदार राम स्नेही राजपूत से मिट्टी भरवाने का काम कराया था। विभाग ने ठेकेदार को कुछ रकम का भुगतान कर दिया गया लेकिन, बकाया छह लाख रुपया नहीं दिया गया। इसके बाद मामला मध्यस्थता न्यायालय में पहुंचा। इसमें विभाग के अधीक्षण अभियंता को सदस्य बनाया गया।
इस मामले में वर्ष 2016 में अधीक्षण अभियंता ने ठेकेदार के पक्ष में फैसला सुनाया। लेकिन सिंचाई विभाग ने यह फैसला भी नहीं माना। इसके बाद मामला वाणिज्यिक न्यायालय पहुंच गया। इस मामले में 03 जनवरी 2023 को अपना फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने भी राम सनेही के पक्ष को सही माना और सिंचाई विभाग को ब्याज समेत 48 लाख रुपये देने को कहा। लेकिन सिंचाई अभियंताओं ने विभाग के पास बजट न होने की बात कहते हुए भुगतान करने से हाथ खड़े कर दिए।
ऐसे में भुगतान न होने पर वाणिज्यिक न्यायालय के आदेश से सिंचाई विभाग (सपरार खंड) का खाता सीज कर दिया गया। इस खाते से ही सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता (दक्षिणांचल), मुख्य अभियंता (बेतवा), अधीक्षण अभियंता (चतुर्थ), झांसी मंडल, सपरार प्रखंड, आईसीडी (द्वितीय), आईसीडी (मऊरानीपुर) के अधिकारियों समेत 400 से अधिक कर्मचारियों का वेतन बनता है। खाता सीज होने से इन सभी वेतन फंस गया है।
खाता सीज होने से कर्मचारियों को अभी तक वेतन नहीं मिल सका है। आवश्यक धनराशि के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। जल्द ही इसका हल निकाला जाएगा।
अजय कुमार भारती
एक्सईएन, सपरार प्रखंड