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भोपाल के जंबूरी मैदान में देश प्रदेश के लाखों युवा व्यवस्था में सुधार को लेकर धरना के समर्थन में क्यों आये कमलनाथ।

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मध्यप्रदेश। भोपाल के जंबूरी मैदान में देश प्रदेश के हजारों युवा व्यवस्था में सुधार को लेकर धरना – प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसके समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश आये तो लेकिन सवालों के जवाब देनें के नाम पर मौन धारण कर लिया।



भाजपा सरकार द्वारा कार्यक्रम की अनुमति को रद्द कराना, परिवहन व्यवस्था में बाधा डालना और फिर युवाओं के दबाब में पुनः अनुमति देना, पूरे आंदोलन को बाधित करने और लोकतांत्रिक प्रणाली में शिवराज सरकार के विश्वास न होने को दर्शाता है।

लोकतांत्रिक आंदोलन, विरोध और प्रदर्शन को पुलिस, पैसा और प्रशासन से कुचलना भाजपा सरकार की नीति बनती जा रही है।
लोकतांत्रिक तरीके से विचारों तथा मांगों को रखना और शांतिपूर्ण आंदोलन करना, देश के हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन भाजपा सरकार युवाओं की मांगों को सुनना भी नही चाहती थी और आंदोलन को रद्द कराने में लगी रही परंतु आज का मुखर आंदोलन नाटक नौटंकी कर गुमराह करने के… भाजपाई प्रयासों का लोकतांत्रिक जवाब है।

युवा अब दमन बर्दाश्त नहीं करेंगे और बाधाओं को पार कर संघर्ष के लिए तैयार है। गुमराह करने की स्थाई राजनीति के स्थान पर भाजपा सरकार युवाओं से मांगों पर चर्चा कर विचार करे और जायज मांगों के लिए आगे कदम बढ़ाए।

वही जब एक टि्वटर यूजर ने कमलनाथ जी के ट्वीट के क्रम में जवाब कर पूछा कि क्या आप इसका (मांगों) समर्थन करते हैं तो उनका जवाब मौन धारण कर रहा तो मतलब कमलनाथ जी के इस मौन का आशय क्या समझा जाए या केवल एक संगठन को छलावा देकर अपने तरफ जोड़ना मात्र समझा जाए जैसा कि हाल-फिलहाल हिमाचल की राजनीति में हुआ है।



ऐसे सभी राजनेता व राजनैतिक दल आने वाले कल के लिए तैयार रहें कि उन्हें गैर दलित समुदाय का 1% भी वोट नहीं मिलने वाला है या तो वह समानता की बात कर एससी एसटी एक्ट को हटाने का उपकरण नियोजित करने की बात करें अन्यथा गैर दलित वर्ग का राजनीतिक पार्टी यू व राजनेताओं से मोह भंग हो चुका है जिसका परिणाम भविष्य में जरूर दिखाई पड़ेगा।


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