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666 दिन जेल में रहने वाले कांतु भील की कहानी… वकील के माध्यम से सरकार पर 10.6 हजार का मुआवजा।

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मध्यप्रदेश। रतलाम का यह मामला इन दिनों सुर्खियों में है। जिला कोर्ट में कांतिलाल भील ने एडवोकेट की मदद से राज्य सरकार और पुलिस के खिलाफ 10.6 हजार करोड़ 2 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति दावा लगाया है। इस चौंकाने वाले मामले की पड़ताल करने आखिरी सच की टीम कांतु से मिलने रतलाम जिला उसके गांव घोड़ाखेड़ा टेलीफोनिक माध्यम से पहुंची।

666 दिन जेल में रहने वाले कांतु भील की कहानी …

20 जुलाई 2018। ये तारीख मैं कभी नहीं भूल सकता। गांव की एक महिला ने मुझ पर और भेरू उर्फ भैरू निवासी मनासा पर गैंगरेप का आरोप लगाया। उसने बाजना थाने में सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज करा दिया। उसका आरोप था कि 18 जनवरी 2018 को मैं उसे बाइक पर बैठाकर उसके भाई के घर पहुंचाने का कहकर जंगल में ले गया। उसके साथ रेप किया। इसके बाद उसे भेरू के सुपुर्द कर दिया, जो उसे इंदौर ले गया। जहां छह महीने तक उसके साथ दुष्कर्म करता रहा। दरअसल, महिला 18 जनवरी से ही लापता हो गई थी। उसका पति मुझ पर संदेह जताने लगा, जबकि मुझे नहीं मालूम था कि महिला कहां गई है।



18 जनवरी को महिला के लापता होने के बाद से ही उसका पति मुझे प्रताड़ित करने लगा। गांव में मेरा विरोध होने लगा। घर से निकलना मुश्किल हो गया था। यह सबकुछ चल ही रहा था कि जुलाई में महिला वापस लौट आई। पति के साथ थाने जाकर मेरे खिलाफ गैंगरेप का केस कर दिया। मेरे साथ भैरू सिंह और भैरू गमना पर भी आरोप लगाया। पुलिस ने प्रकरण बनाकर मुझे जेल भेज दिया। मैं निर्दोष होकर भी जेल में 666 दिन तक प्रताड़ित होता रहा। कोर्ट ने सुनवाई के बाद 20 अक्टूबर 2022 को आरोप प्रमाणित नहीं होने पर मुझे और भैरू दोनों को दोषमुक्त कर बरी कर दिया।

बेगुनाही साबित करने के लिए गिरवी रखी जमीन

बेगुनाही साबित करने के लिए मुझे वकील की फीस जुटानी थी। परिवार सड़क पर आ चुका था। ऐसे में मुझे यह केस लड़ने के लिए पैसों की जरूरत थी। जमानत और अन्य कानूनी प्रक्रिया के लिए एक बीघा जमीन को भी डेढ़ लाख रुपए में गिरवी रखनी पड़ी। अब जबकि आरोप झूठा साबित हो चुका है। मुझे बरी कर दिया गया है, फिर भी परिवार गांव में अलग-थलग पड़ा है। गांव में कोई काम भी नहीं देता है। परिवार के खाने को अनाज और कपड़ों की व्यवस्था भी मैं नहीं कर पा रहा हूं।

मैंने जो खोया, उसकी कीमत नहीं

10.6 हजार करोड़ 2 लाख रुपए की इतनी बड़ी क्षतिपूर्ति का दावा लगाने वाले फरियादी कांतु से जब पूछा गया कि जानते हो यह राशि कितनी होती है, तो कांतु ने कहा कि मैं अनपढ़ हूं, इसलिए मुझे नहीं पता कि जिस क्षतिपूर्ति की मांग मेरे वकील ने की है, उसमें कितने जीरो लगते हैं। मैंने जो खोया है, उसे कोई नहीं लौटा सकता। उसकी कीमत तय नहीं की जा सकती। बेगुनाह होते हुए भी मैं 2 साल तक जेल की प्रताड़ना सहता रहा।

रेपिस्ट की मां बोलते हैं गांव वाले

कांतू की मां का कहना है कि बेटे के जेल जाने के बाद गांव वाले मुझे रेपिस्ट की मां बोलने लगे। अब जबकि बेटा जेल से छूटकर लौट आया है। उसकी बेगुनाही साबित हो चुकी है, लेकिन अभी भी विरोधी पक्ष के लोग बेटे को रेपिस्ट की तरह की देखते हैं। कांतु की बहन, पत्नी और बच्चों को भी सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता। इस झूठे मुकदमे ने जिंदगी भर नहीं भरने वाला जख्म दिया है। परिवार का खोया हुआ सम्मान तो वापस नहीं लौट सकता। सरकार से यही मांग है कि कुछ आर्थिक मदद मिले तो मुश्किलें थोड़ी कम हो जाएंगी।

वकील ने बताया- इतनी बड़ी क्षतिपूर्ति की मांग क्यों…

कांतु के वकील विजय सिंह यादव ने राज्य सरकार और पुलिस अफसरों के विरुद्ध 10 हजार 6 करोड़ 2 लाख रुपए का क्षतिपूर्ति दावा जिला कोर्ट में पेश किया है। जहां 10 जनवरी को मामले में अगली सुनवाई होगी। वकील विजय सिंह यादव का कहना है कि मानव जीवन का कोई मूल्य तय नहीं किया जा सकता। पुलिस और राज्य सरकार की वजह से कांतु का जीवन बर्बाद हो गया। बेगुनाह होने के बावजूद 2 साल तक जेल में रहना पड़ा। कांतु के परिवार में बुजुर्ग मां मीरा, पत्नी लीला और 3 बच्चे हैं। सभी के पालन पोषण की जिम्मेदारी उसी पर है।

कांतु की लंबी हिरासत के कारण उसका परिवार भुखमरी की स्थिति में आ गया। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई छूट गई है। समाज में वापसी और रोजगार के लिए उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से इतना बड़ा दावा लगाया गया है। कांतु के साथ उसके परिवार के 6 सदस्यों का जीवन भी प्रभावित हुआ है, इसलिए इतनी बड़ी क्षतिपूर्ति का दावा किया गया है।

वकील बोले- मानव जीवन अनमोल, इसलिए लगाया हजारों करोड़ का दावा

वकील विजय सिंह यादव का कहना है कि मानव जीवन का कोई मूल्य तय नहीं किया जा सकता है। पुलिस और राज्य सरकार की वजह से कांतु का जीवन बर्बाद हो गया। उसे बेगुनाह होने के बावजूद 2 साल तक जेल की प्रताड़ना सहनी पड़ी। कांतु के परिवार में बुजुर्ग मां मीरा, पत्नी लीला और 3 बच्चे हैं। सभी के पालन पोषण की जिम्मेदारी उसी पर है। कांतु की लंबी हिरासत के कारण उसका परिवार भुखमरी की स्थिति में आ गया। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई छूट गई। समाज में वापस जाने के लिए और रोजगार के लिए उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से दावा लगाया गया है। समाज को यह भी संदेश देना चाहते हैं कि महिलाएं अपने अधिकारों का दुरुपयोग न करें।



यह है मामला…

मामला 18 जनवरी 2018 का है। पीड़िता ने बाजना थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि दोपहर 12 बजे वह घर पर थी। कांतु अमलियार घर आया और बोला कि साथ चलो, मुझे भाई के घर पर छोड़ देगा। मैं उसके साथ बाइक पर बैठकर चली गई। कांतू भाई के घर न ले जाकर घोड़ाखेड़ा के जंगल में ले गया। वहां उसके साथ रेप किया। इसके बाद उसने भैरू सिंह को बुलाकर मुझे उसके सुपुर्द कर दिया। भैरू गमनाका मनासा का रहने वाला है। भैरू उसे मजदूरी कराने के लिए इंदौर तरफ ले गया। 6 महीने तक साथ रखा। इस बीच रेप भी करता रहा। इसके बाद भैरू ने मुझे भैरू सरपंच के हवाले कर दिया। वह मुझे बाजना छोड़ गया। घटना पति को बताई।

दो आरोपियों को मिली रिहाई, एक अभी भी फरार

एडवोकेट विजय सिंह यादव ने बताया कि कांतु पर लगे आरोप साबित नहीं होने के कारण उसे रिहाई मिली है। फैसले में कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सामने आए सभी साक्ष्यों की विवेचना के बाद कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि आरोपियों के खिलाफ लगे आरोपों को प्रमाणित करने में अभियोजन विफल रहा है। इसलिए अभियुक्त कांतु को धारा 366 एवं 376 के तहत दंडनीय आरोप से और आरोपी पूर्व सरपंच भैरू को धारा 366 और 376 की धारा 120 बी के दंडनीय आरोप से दोषमुक्त किया जाता है। वहीं, फरार चल रहे तीसरे आरोपी भैरू पिता दित्या का प्रकरण सुरक्षित रखा गया है।


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