गुदड़ी के लाल की पावन पुण्यतिथि पर भावपूर्ण श्रद्धांजली शत- शत नमन।
भारत रत्न देश के दूसरे प्रधानमंत्री, लाल बहादुर शास्त्री जी की पावन पुण्यतिथि आज 11 जनवरी को पुण्यतिथि पर भावपूर्ण श्रद्धांजली शत शत नमन। शास्त्री जी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश को कई संकटों से उबारा। साफ- सुथरी छवि के कारण उनका बहुत सम्मान किया जाता था।
1964 में जब वह प्रधानमंत्री बने तब देश में खाने की कई चीजें आयात करनी पड़ती थी। 1965 में पाकिस्तान से जंग के दौरान देश में भयंकर सूखा पड़ा। तब उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की। उन्होंने कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए, ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया।
नेहरू के देहावसान हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया। उनके शासनकाल में 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे तीन वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी।
इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। जिस रात शास्त्री की मौत हुई, उस रात खाना उनके निजी सहायक रामनाथ ने नहीं, बल्कि सोवियत रूस में भारतीय राजदूत टीएन कौल के कुक जान मोहम्मद ने पकाया था। खाना खाकर शास्त्री जी सोने चले गए थे। उनकी मौत के बाद शरीर के नीला पड़ने पर लोगों ने आशंका जताई थी कि शायद उनके खाने में जहर मिला दिया गया था। उनकी मौत 10-11 जनवरी की आधी रात को हुई थी।
उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से उन्हें सम्मानित किया गया।
शत शत नमन भावपूर्ण श्रद्धांजली विनय कुमार श्रीवास्तव।। 💐
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