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भोपाल करणी सेना व सहयोगी संगठनों की जिद के सामनें झुकनें का नाटक कर रही सरकार, अब तक कई दौर वार्ता, परिणाम शून्य, कुत्सित प्रयास भी कर सकती है सरकार।

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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में विगत 8 जनवरी को जंबूरी मैदान से शुरू होकर आज तक सुचारू रूप से जारी प्रदर्शन जोकि करणी सेना के नेतृत्व में विभिन्न आरक्षण विरोधी व एससी एसटी एक्ट विरोधी संगठनों के संयुक्त तत्वाधान में लड़ा जा रहा है। जिसके क्रम में प्रथम दृष्टया मध्य प्रदेश सरकार ने बातचीत करने से ही इन्कार कर दिया था। लेकिन करणी सेना व सहयोगी संगठनों के जांबाज सिपाहियों के पराक्रम के दम पर मध्य प्रदेश सरकार को झुकना पड़ा वह बातचीत का दौर शुरू करना पड़ा।



हम आपको बताते चलें कि दिनांक 8 जनवरी को शुरू हुए इस महाआंदोलन को सुनने के लिए सरकार कतई तैयार नहीं हो रही थी। उसका यह आडियल रुख 10 तारीख तक लगातार बना रहा। जबकि करणी सेना के सिपाहियों के द्वारा अपनी जिद पर अटल रहते हुए प्रशासन को बातचीत के लिए विवश किया गया, प्राप्त जानकारी तक संगठन व सरकार के बीच पांच दौर की वार्ता हुई जिसमें सरकार की तरफ से सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया वह गृह मंत्री नरोत्तम दास मिश्रा सम्मिलित रहे।

 

लेकिन एक भी बार सरकार की नेतृत्व कर्ता सवर्ण समाज के जारी समय के कर्णाधारों द्वारा बातचीत पर लिखित सहमति देने की बात पर हां नहीं की गई। जबकि दूसरी तरफ सरकार के प्रति अपनी निष्ठा व समर्पण को दिखाते हुए समाज के प्रति इनका विमुख रवैया सार्वजनिक हुआ।



आखिरी सच के पास विभिन्न स्थानीय स्रोतों से यह भी जानकारी निकल कर आई है, कि सरकार इस आंदोलन को दबाने के लिए जब भी करणी सेना व सहयोगी संगठनों के सैनिकों की संख्या कम पड़ेगी सरकार उन्हें दबाने का और आंदोलन को कुचलने का कुत्सित प्रयास भी कर सकती है। स्थानीय लोगों की राय।


यूपीआई aakhirisach@postbank

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