माफिया मशीनरी गठजोड़। जिला मजिस्ट्रेट अयोध्या की अनुमति के बाद पटरंगा पुलिस ने तीन अभियुक्तों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश गिरोह बद्ध अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया था। मुकदमे की विवेचना क्षेत्राधिकारी रुदौली संदीप कुमार सिंह ने शुरू कर दी है। यूपी गैंगस्टर एक्ट के दर्ज मुकदमे में पटरंगा पुलिस ने आरोप लगाया है कि पवन कुमार पांडे पुत्र राम लखन पांडे निवासी इंछोई थाना खंडासा एक शातिर किस्म का अपराधी है जिसका एक संगठित गिरोह है।
मुकदमों में दाखिल आरोप पत्र के आधार पर पटरंगा थाने के प्रभारी निरीक्षक शिव बालक ने जिला मजिस्ट्रेट अयोध्या की अनुमति के बाद अभियुक्तों पवन कुमार पांडे गैंग लीडर व गैंग सदस्य शिव कुमार पांडे, आशीष कुमार पांडे निवासी इंछोई थाना खंडासा के विरुद्ध उत्तर प्रदेश गिरोह बंद अधिनियम के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत कराकर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। क्षेत्राधिकारी रुदौली संदीप कुमार सिंह ने मुकदमे की विवेचना शुरू कर दी है।
साक्ष्य विहीन तथ्यों के आधार पर गैंगेस्टर बनाये जानें की बुनियाद का सच
इतने सारे अभियुक्तों की गलतियों को सत्यापित करने के लिए अयोध्या पुलिस वह उनके आकाओं के पास कोई भी तथ्यपरक जानकारी नहीं है केवल किवदंती मात्र पर इतने मुकदमें एक नियोजित षडयंत्र में है। किसी शरीफ पर इतनें मुकदमें लाद देना आखिर कहां का न्याय है? या इससे जो उस परिवार को सामाजिक आर्थिक क्षति पहुंची है उसकी भरपाई सरकार इन माफियाओं की संपत्तियों को नीलाम कर पीड़ितों को दिलायेगी।
खैर हम आपको वह सच दिखलायेंगे जिसे पूर्ण यथार्थ के साथ किसी नें नही दिखाया है, हम आपको बता दें कि इस सारे नाटक की शुरूआत एक ही ग्राम पंचायत के विभिन्न पुरवों के रहनें वाले पांच नवोदित क्षमताओं को आपस में टकराव से है। जिसमें भी चार क्षमताऐं एक ओर एक अकेली एक ओर जिसमें षड़यंत्र पूर्ण तरीके से पवन कुमार पाण्डेय से सहयोग सन् 2002 से लगातार अपनें परिवारिक आवश्यकताओं को पूरा करनें के लिये राम अचल दुबे द्वारा लिया गया, फिर धीरे- धीरे करके राम अचल दूबे नें बेटे की बेटियों की शादी के लिये कर्ज की मांग की पर पवन कुमार पाण्डेय द्वारा दे पानें मे असमर्थता दिखाई गयी।
जिस पर राम अचल द्वारा जमीन बेचनामे की बात हुई व 2 लाख पच्चीस हजार का मूल्य तय हुआ, व 2 लाख 10 हजार रूपये लेकर एग्रीमेंट किया गया, व एक साल में बैनामें की बात कही गयी। वहीं जबकि पारिवारिक विसंगतियों में आशीष व पवन में अनबन हो गयी तो, इसी जमीन का एक और एग्रीमेंट आशीष कुमार पाण्डेय पुत्र पवन कुमार पाण्डेय के नाम लिखवाया गया जिसका मूल्य 2 लाख 25 हजार पुनः रखा गया, 2 लाख 10 हजार पुनः आशीष से भी राम अचल नें लिये। फिर बैनामें में भी अपनें इकरार नामें से अलग अपनी शर्तों के आधार पर उक्त इकरार नामें से पृथक सम्पूर्ण भूखंड से मात्र एक बीघे का बेचनामा लिखवाया गया। वही प्राथमिकी संख्या 230/2022 थाना खंडासा जनपद अयोध्या पर वर्णित कहानी के पीछे का सत्य। जबकि शेष जमीन को अवधेश कुमार शुक्ला के साले के नाम लिखी गयी।
अयोध्या पुलिस के एक थानाध्यक्ष की एक और तथ्यविहीन पंजीकृत मुकदमे का सच।
पवन कुमार पाण्डेय को जैसा कि अयोध्या पुलिस नें गैंग का लीडर कहा है व उनके परिजन शिव कुमार पांडे पुत्र राम लखन पांडे व आशीष कुमार पांडे पुत्र पवन कुमार पांडे निवासी इंछोई थाना खंडासा गिरोह के सदस्य है। गैंग लीडर अपने गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर अपनी तथा अपने गैंग के सदस्यों के आर्थिक, भौतिक एवं दुनियाबी लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से जालसाजी, धोखाधड़ी, कूट रचना, षड़यंत्र करके पैसे की मांग करना मारपीट, गाली- गलौज एवं जानमाल की धमकी देना तथा महिलाओं के साथ छेड़छाड़ व दुष्कर्म करने जैसा जघन्य अपराध कारित करने में अभ्यस्त अपराधी हैं। ऐसा कहा गया है ऐसा आखिरी सच टीम नही बल्कि थानें की शिकायत संख्या 186/2022 थाना पटरंगा कहती है, लेकिन उसका सच तो श्री राम जानकी महाविद्यालय के प्रबंधक के घर के ड्राइंग रूम से नियोजित होती है, लाल रंग के कागजी टुकड़ों नें थानाध्यक्ष शिव बालक को नाम व दायित्व से विमुख कर दिया।
जिसके क्रम में शिक्षा माफिया, भूमाफिया, व चरित्रिक हनन कर्ता पैडलर नें एक नियोजित षड़यंत्र में फरवरी 2020 को तथाकथित गैंग के लीडर पवन कुमार पांडे पर सरकारी वकील बनाने के नाम पर एक महिला से तीन लाख रूपये लेने और दो बार दुष्कर्म करने का प्रयास करने का मुकदमा पंजीकृत करवाया है, जिसमें खण्डासा पुलिस द्वारा न्यायालय मे आरोप पत्र दाखिल किया गया है। जबकि उक्त महिला द्वारा जो भी जानकारी विभिन्न शिकायती पत्रों में जो कि दस्तावेजों में संरक्षित हैं। दी गई हैं उनमें बहुत ही विसंगतियां हैं मसलन अभ्यावेदिका का नाम अलग- अलग शिकायतों में अलग-अलग है, व उनके पिता का नाम भी अलग- अलग है। थाने में पंजीकृत शिकायत में वर्णित शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर लगाने पर कोई बातचीत या प्रत्युत्तर नहीं होता है। यह नम्बर सदैव बंद जाता है। जबकि उक्त महिला नें पूर्व में भी ऐसे ही मुकदमें और भी पंजीकृत करवायें हैं लेकिन नाम भिन्न हैं।
फरवरी 2021 को पटरंगा पुलिस द्वारा बिना जांच किये पंजीकृत उक्त महिला के आरोप कचहरी से वापस जाते समय के क्रम में बयान न देने के लिए धमकाये जाने पर गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया। जिसमें भी पटरंगा पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। जबकि पुलिस ने महिला व कथित आरोपियों के मोबाइल का लोकेशन अपनी जांच में सेम जगह मिलना नहीं दिखाया है। यह लोकेशन के क्रम में कोई जानकारी जांच आख्या में नहीं संलग्न की गई है आखिर क्यों?
जबकि उक्त महिला से सम्पर्क करनें का विभिन्न आयामों से हमारी टीम नें किया लेकिन उक्त महिला अधिवक्ता से सम्पर्क नही हो सका और न ही हमारी टीम के किसी सदस्य से मुलाकात हो पायी है। वही अयोध्या पुलिस के द्वारा जानकारी लेनें के लिये बुलाये जानें के नाम पर तत्काल उपस्थित होती है।
दिसंबर 2019 में महात्मा गांधी चौराहा अमानीगंज निवासी ओम प्रकाश मिश्र ने आरोप लगाया कि पवन कुमार पांडे द्वारा सरकारी नौकरी दिलाये जाने के नाम पर पैसा हड़प लिया एवं फर्जी नियुक्ति पत्र दे दिया, पैसे वापस मांगने पर जानमाल की धमकी दी। खंडासा पुलिस द्वारा अभियुक्त के विरुद्ध धोखाधड़ी एवं कूट रचना की धाराओं में मुकदमा संख्या 452/2019 पंजीकृत कर आरोप पत्र दाखिल किया गया है। जबकि उक्त ओम प्रकाश मिश्रा द्वारा पैसा कैसे दिया गया या किसको दिया गया, किसके सामने दिया गया, कैसे दिया गया, देने की तारीख क्या थी, आदि के बारे में कोई सार्थक जानकारी नहीं उपलब्ध कराई जा पा रही है। आखिरी सच टीम इस षड़यंत्र को लगातार पटाक्षेप के क्रम में यह भी जानकारी निकल कर सामनें आयी है कि उक्त शिकायत पत्र की जांच किस जांच अधिकारी नें व कैसे किया कि गलत पते की जानकारी देकर ओमप्रकाश मिश्र नें यह मुकदमा पंजीकृत करवाया लेकिन अयोग्य जांचकर्ताओं नें जांच में अभ्यावेदक के पते व उसके मूल दस्तावेजों का शायद मिलान करना ही भूल गये थे जो कि इछुई के मूल निवासी के दोनों पते अलग- अलग हैं। आखिर एक बेईमान व कपटी व्यक्ति किसी शरीफ पर बेईमान होनें का तमगा लगाये कितना सही है, वैसे आखिरीसच टीम प्रयासरत है कि दूध का दूध व पानी का पानी सामनें आ सके, लेकिन शिक्षा माफिया, भू माफिया व चरित्र हंता महिला के गैंग द्वारा टीम को गोल गोल घुमाया जा रहा है।
26 दिसंबर 2019 को खंडासा थाना क्षेत्र के रामनगर अमावासूफी निवासी अवधेश कुमार शुक्ला ने रंगदारी मांगने और जानमाल की धमकी देने का मुकदमा पंजीकृत कराया। खंडासा पुलिस द्वारा धोखाधड़ी कूटरचना व रंगदारी मांगने की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर मामले में न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। शुक्ला जी से आखिरी सच टीम यह जानना चाहती है कि आखिर 2019 के पहले शुक्ला जी ने पवन पांडे एडवोकेट साहब को रंगदारी में कुल कितना रुपया दिया था वह कब कब दिया था क्या फर्जी मार्कशीट वह फर्जी डिग्री के मुद्दे को नेस्तनाबूद करने के पहले भी आपसे कोई रुपया मांगा गया था? उसके क्रम में आपने किस को किस को शिकायत की थी और उन शिकायतों में उक्त जिम्मेदारों द्वारा क्या कार्यवाही की गई थी? इसका भी कुछ डाटा हो तो महोदय उपलब्ध कराएं। शेष फर्जी मार्कशीट व बिना उपस्थिति के प्रथम श्रेणी मे उत्तीर्ण छात्रों का डेटा हम आपको समाचार में फैक्ट के साथ दिखायेंगे।
एक पत्र जो कि पवन कुमार पाण्डेय की पत्नी श्रीमती दयावती का पत्र जो मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को सीबीआई जांच करवाये जानें के लिये अनुरोध भेजा गया था।
प्रार्थिनी दयावती पाण्डेय पत्नी श्री पवन कुमार पाण्डेय ग्राम इछोई पत्रालय अमानीगंज, थाना खण्डासा जनपद- अयोध्या की स्थायी निवासिनी है। निवेदन है कि प्राथिनी के पति पवन पाण्डेय जो इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता हैं, भारत सरकार के सी० जी० सी० रह चुके हैं और उत्तर प्रदेश काँग्रेस कमेटी के तीन बार प्रवक्ता रहे और आपके नेतृत्व क्षमता व राष्ट्र निर्माण के संकल्प को देखकर 26 अगस्त 2016 को तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के समक्ष भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये थे।
कहना न होगा के विश्वसनीय सूचना पर प्रार्थिनी के पति ने उच्च शिक्षा क्षेत्र के अब तक के सबसे बड़े फर्जीवाड़े/ घोटाले की पहले R.T.I. Act 2005 के तहत जानकारी माँगी पुन: इसका खुलासा किया। अयोध्या स्थित डॉ० राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में एम० एस० सी० सहित अनेक क्लिष्ट और श्रम साध्य विषयों में बिना परीक्षा दिये सैकड़ों छात्र प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गये हैं। लेकिन आपके प्रभावी नेतृत्व व करिष्माई छवि का प्रभाव है कि तत्काल इसकी जाँच हेतु हाई कोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया।
यद्यपि अभी तक उसका कोई परिणाम सामने नहीं आया। जबकि पन्द्रह दिन के भीतर जॉच पूर्ण होने का दावा किया गया था। उक्त समाचार देश के सभी महत्वपूर्ण टी० वी० चैनलों ने दिखाया और सभी पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अग्रिम निवेदन है कि उक्त खुलासे के बाद जाँच की जद में आये अयोध्या स्थित श्री राम जानकी महाविद्यालय राम नगर अमावासूफी के प्राचार्य व क्षेत्र के कुख्यात शिक्षा माफिया अवधेश शुक्ला ने अपने सहयोगी पुलिस अधिक्षक (ग्रामीण) S.K. Singh जनपद अयोध्या में तैनात रही क्षेत्राधिकारी (C.O. रुचि गुप्ता मिल्कीपुर) मिल्कीपुर क्षेत्र के आपराधिक पृष्ठभूमि के विधायक गोरखनाथ बाबा तथा थानाध्यक्ष खण्डासा सुनील कुमार सिंह व एस० आई० प्रेम शंकर पाण्डेय के साथ एक सुविचारित षड़यंत्र के तहत खण्डासा थाने में फर्जी व कूटरचित प्रपत्र तैयार करके समझौते हेतु दबाव बनाने हेतु 3 फर्जी, झूठे व आधारहीन अभियोग पंजीकृत करवाया।
बावजूद इसके प्राथिनी के पति ने कहा कि जब मा० प्रधानमंत्री जी गुजरात में मुख्यमंत्री थे पूरी दिल्ली की काँग्रेसी सरकार उनके विरुद्ध साजिश में दिन रात जुटी रही लेकिन अन्ततः जीत सत्य की ही हुई। अग्रिम निवेदन है कि उत्तर प्रदेश के कई I.A.S. अधिकरी, I.P.S. अधिकारी सचिवालय में तैनात कई अधिकारी भाजपा के कई विधायक अवध वि० वि० के कुलपति/ कुलसचिव/ परीक्षा नियंत्रक, भाजपा/ आर० एस० एस०/ विश्व हिन्दू परिषद के नेता व पदाधिकारीगण अपने – अपने कारणों से न केवल शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ला की मदद कर रहे हैं, अपितु प्रार्थिनी के परिजनों को या तो फर्जी मुकदमें में फंसाकर जेल के अन्दर कोई विवाद दिखाकर हत्या करा देंगे अथवा किसी माफिया व अपराधी गिरोह के हाथों भाड़े पर मरवा देंगे।
शिक्षा माफिया के C.D.R. मँगाकर आरोपों की पुष्टि की जा सकती है। इस सन्दर्भ में प्रार्थिनी व उसके पति ने कई बार प्रदेश व जनपद के जिम्मेदार अधिकारियों को शिकायती पत्र भेजा है, उन पर कार्यवाही तो दूर आज तक जाँच नहीं हुई और सभी शिकायती पत्र थानाध्यक्ष खण्डासा व अन्य कई अधिकारियों ने शिक्षा माफिया के घर पहुँचा दिये। अथवा व्हाट्सअप द्वारा भेज दिये। जिसे उन्होंने स्वयं अपनी तहरीर में स्वीकार किया है।
महोदय से प्रार्थिनी इस आशय से प्रार्थना कर रही है कि शिकायतों की सक्षम ईमानदार एजेन्सी C.B.C.I.D. द्वारा जाँच कराकर दोषी लोगों को दण्डित किया जायेगा। जाँच हेतु कतिपय बिन्दु निम्न प्रकार निवेदित हैं।
1 यह कि प्राथिनी के पति श्री पवन कुमार पाण्डेय को शिक्षा माफिया ने पहले हत्या कराने का प्रयास किया परन्तु असफल रहे। कई बार हमला हुआ परन्तु वे किसी प्रकार बच गये। इसके लिए अवधेश शुक्ला ने किन- किन लोगों को सम्पर्क किया इसे उनकी जुलाई 2019 से अब तक के C.D.R. से पता लगाया जा सकता है।
2. यह कि प्रार्थिनी के पति पवन कुमार पाण्डेय ने नन्द कुमार के खिलाफ जमीन के अवैध कब्जे के बावत मुकदमा दर्ज कराया था। यही नहीं पवन कुमार पाण्डेय जो कि पेशे से अधिवक्ता भी हैं ने गुरु प्रसाद निवासी अपने हाथ में लिया था जिसमें नन्द कुमार ने ही नहीं अपितु थानाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह, रजऊ मिश्र ग्राम सभा इछोई के उस मुकदमे में गुरू प्रसाद को एक विवाद में मारा पीटा था। साथ ही तीन बार 151 में चालान भी कर दिया था। चूँकि मामला हरिजन एक्ट का था इसलिए नन्द कुमार ने अपने जीजा अवधेश कुमार शुक्ल, जो कि एक शिक्षा माफिया है, से कहकर अपने चचेरे भाई ओम प्रकाश मिश्र को तैयार करके फर्जी मुकदमा दर्ज कराया।
यह कि प्रार्थिनी के पति श्री पवन कुमार पाण्डेय के खिलाफ अवधेश कुमार शुक्ला प्रभारी खण्डासा सुनील कुमार सिंह से साँठगाँठ करके एक फर्जी मन गढ़न्त मुकदमा अवधेश ने अपने चचेरे साले ओम प्रकाश मिश्र पुत्र रमाकान्त मिश्र की ओर से अपराध संख्या 452/2019 अन्तर्गत धारा 419, 420, 467, 468, 471, 504, 506 I.P.C. दिनाँक 18/12/2019 को तथा दूसरा मुकदमा स्वयं वादी बनकर अवधेश कुमार शुक्ल ने एक सप्ताह बाद ही खण्डासा थाने में ही थानाध्यक्ष से साँठगाँठ करके अपराध संख्या 457/ 2019 दिनाँक 26/12/2019 को अन्तर्गत धारा 419, 420, 467, 468, 386, 504, 506, दर्ज कराया। जिसकी सूचना पीड़ित के परिवार को 4 बज़कर 32 मिनट पर घर पर अपने पूरे पुलिसबल के साथ आकर स्पीकर लगाकर असम्मानित करते हुए दी और उसी के एक घण्टे बाद मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया।
सम्पूर्ण तहरीर पूर्णतया असत्य तथ्यों पर आधारित है। आश्चर्य की बात यह की सूचना पहले दी जाती है और मुकदमा बाद में लिखा जाता है। यह कि शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ला प्राचार्य श्री राम जानकी महाविद्यालय राम नगर अमावासूफी जनपद अयोध्या के एक भवन को दो बार रिकार्ड पर प्रदर्शित करके फर्जी तरीके से महाविद्यालय की मान्यता डॉ ० राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से प्राप्त करके हुए फर्जी विद्यार्थियों को बिना परीक्षा दिलाये मोटी रकम लेकर प्रथम श्रेणी का प्रमाण पत्र व अंक पत्र उपलब्ध करवाता है जिसके फर्जीवाड़े का खुलासा प्रार्थिनी के पति श्री पवन कुमार पाण्डेय के द्वारा प्रेस कान्फ्रेंस करके कर दिया गया है, जिसमें अवध विश्व विद्यालय द्वारा अवकाश प्राप्त न्यायाधीश इम्तियाज मुर्तजा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जाँच समिति गठित कर दिया गया है। जिसकी जाँच पन्द्रह दिन में आनी थी परन्तु अभी तक नहीं आयी और लम्बित है। इसी से क्षुब्ध होकर अवधेश कुमार शुक्ल ने थाना प्रभारी सुनील कुमार सिंह के सहयोग से एक तीसरा मुकदमा अपराध संख्या 27/2020 अन्तर्गत धारा 376 , 420 , 504 , 506 I.P.C. थाना खण्डासा में ही हसन जहरा पुत्री नज्जन हसन निवासी कुम्हार टोला, खदरा निकट मदेयगंज पुलिस चौकी हसनगंज लखनऊ की तलाश करके शिक्षा माफिया अवधेश शुक्ला व थानाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने प्रार्थिनी के पति पवन कुमार के खिलाफ दर्ज कर दिया जो कि असत्य तथ्यों पर आधारित है।
5. यह कि थाना प्रभारी खण्डासा सुनील कुमार सिंह व शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ला बार- बार प्रार्थिनी व उसके घर वालों को यह धमकी दे रहे हैं कि अपने पति के मुकदमे की पैरवी करना बन्द कर दो, यही नहीं जमानत के लिए प्रयास करना रोक दो और किसी भी प्रकार की शिकायत किसी भी उच्चाधिकारी से करना बन्द कर दो अन्यथा तुम्हारे, तुम्हारे देवर और परिवार वालों के खिलाफ मुल्जिम बनाकर इतने मुकदमे दर्ज करवा दूंगा कि वहीं जेल में सड़ जायेंगे। यही नहीं यह भी धमकी दे रहे कि अभी हसन जहरा का 164 में बयान नहीं हुआ है उसमें आपको (दयावती पाण्डेय) व अन्य लोगों का नाम डालकर न्यायालय में भेज देंगे और उससे कहलवा देंगे।
6. यह कि प्रार्थिनी के पूरे परिवार को थाना प्रभारी सुनील कुमार सिंह व शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ल की ओर से लगातार धमकी मिल रही है कि जैसे पवन पाण्डेय को फर्जी मुकदमे में फँसाकर जेल भेज दिया वैसे ही आपराधिक मामले में अन्य लोगों को भी फँसाकर बर्बाद कर देंगे नहीं तो अपनी भलाई चाहते हैं तो जो फर्जीवाड़े का खुलासा किया है उसे वापस लें। और भविष्य में मेरे विरुद्ध किसी भी प्रकार की शिकायत या फिर जाँच करवाने की हिम्मत न करें। यदि मुँह खोलेंगे तो यही अंजाम होगा।
7. यह कि अयोध्या जनपद में तैनात पुलिस अधिकारियों ने निष्पक्ष कार्य करने के बजाय शिक्षा माफिया और भू माफिया के लिए पक्षकार बनकर क्यों सेवाएँ दी गयीं?
8. यह कि S.P./C.O . मिल्कीपुर/ S.O. खण्डासा सुनील कुमासर सिंह व एस० आई प्रेम शंकर पाण्डेय प्रार्थिनी के पति द्वारा उठाये गये मुद्दों (भ्रष्टाचार के विरुद्ध) पर अतिरिक्त रुचि लेकर समझौते के लिए क्यों पक्षधर थे? ( पैसे का प्रभाव था अथवा किसी शक्ति का?)
9. यह कि शिक्षा माफिया के आर्थिक अवयवों की जाँच ई० डी० से यदि कराई जाती है तो सैकड़ों अदृश्य करोड़ का कालाधन निकलेगा।
10. यह कि परीक्षा सम्बन्धी हुए घोटाले में कुलपति/ परीक्षा नियंत्रक सहित कई अन्य शिक्षा माफियाओं की संलिप्तता है इसलिए मामले की यदि C.B.C.I.D. द्वारा जाँच कराई जाती है तो अवध वि० वि० की साख बचाई जा सकती है।
11. यह कि प्रार्थिनी के पति के विरुद्ध दर्ज सभी मुकदमे फर्जी है इसकी निष्पक्ष जाँच हो इसलिए इसकी विवेचना C.B.C.I.D. के द्वारा या फिर अयोध्या जनपद के बाहर किसी अन्य जनपद के बड़े अधिकारी द्वारा कराई जाय, जो S.P. के कार्यक्षेत्र के बाहर के किसी व्यक्ति (पुलिस अधिकारी) द्वारा कराई जाय।
12. यह कि शिक्षा माफिया द्वारा अपने सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों/ आई० टी० आई० की मान्यता में एक ही भवन एवं कूटरचित खतौनी दिखाकर मान्यता प्राप्त की है। जाँच कराई जाय।
13. यह कि शिक्षा कारोबारी अवधेश शुक्ला ने अपने यहाँ 1999-2000 सहित कई शिक्षा सत्रों में सरकार द्वारा छात्रों को प्राप्त होने वाली छात्रवृत्ति का बड़े पैमाने पर गबन/ घोटाला किया है। पूर्व D.M. नवनीत सहगल ने अपने कार्यकाल में जाँच कराकर तो F.I.R. तक का आदेश किया था। पूरे मामले की जाँच कराई जाय।
14. यह कि शिक्षा माफिया अवधेश शुक्ल ने सत्र 2009-2010 में छात्रों की छात्र प्रतिपूर्ति (शुल्क वापसी) में भारी हेरा- फेरी की है जाँच कराई जाय।
15- यह कि शिक्षा कारोबारी ने जनपद में अब तक स्वयं व परिवार वालों के नाम जितने बैनामे कराये हैं सभी में बड़े पैमाने पर स्टाम्प चोरी की है जाँच कराई जाय।
16- यह कि शिक्षा कारोबारी द्वारा विभिन्न बैंकों व उनके लाकरों में पर्याप्त कालाधन संचित है जाँच कराई जाय।
17- यह कि शिक्षा कारोबारी ने अपने दोनों महाविद्यालयों श्री राम जानकी महाविद्यालय राम नगर अमावासूफी अयोध्या ‘ तथा ‘ श्री राम जानकी शिक्षण प्रशिक्षण महिला महाविद्यालय अयोध्या में मान्यता स्थापना काल से लेकर अभी तक जो भी प्रपत्र लगाये हैं सभी उनके द्वारा स्वतः कूटरचित तरीके से तैयार किये गये हैं जाँच कराकर कार्यवाही की जाय।
18. यह कि शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ला की Ph.D. उपाधि संदिग्ध प्रतीत होती है जाँच कराई जाय।
19. यह कि शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ला ने अपने यहाँ सेवाएँ दे रहे अध्यापकों के अनुमोदन में जो फर्जीवाड़ा किया है वह दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षा घोटाला है जाँच कराई जाय।
20. यह कि शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ला ने अपने यहाँ शिक्षकों के चयन / अनुमोदन में सभी मानकों को दरकिनार करके अवध विश्वविद्यालय के कुलपति/ कुलसचिव को अपने पक्ष में करके निर्धारित प्रक्रिया पूरी न करके अनुमोदन प्राप्त किया है। नमूने के तौर पर 1.7.2017 को जिन शिक्षकों का ( 93 व 13 ) अनुमोदन प्राप्त किया वे न तो चयन प्रक्रिया में शामिल हुए थे, उनमें से दर्जनों को प्रार्थिनी के पति व्यक्तिगत स्तर पर जानते पहचानते हैं, और न ही उनकी शैक्षिक योग्यता शिक्षक बनने की है। उन सभी के अंक पत्र उपाधियों Ph.D. व Net के प्रमाण पत्र शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ला द्वारा स्वतः फर्जी व कूटरचित तरीके से तैयार किये गये हैं। जाँच कराकर अभियोग पंजीकृत कराये जाय ताकि महाविद्यालयों की सम्बद्धता समाप्त करके मान्यता प्रत्याहरण की कार्यवाही की जाय जिससे धर्म की नगरी में चल रहा अधर्म का कारोबार रोका जा सके और कड़ी मेहनत करके Ph.D. व Net Qualify करने वालों के साथ न्याय हो सके।
21. शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ला की किन प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, विधायकों माफियाओं, अपराधियों, पत्रकारों ने बचाने में मदद की है मो० न० की C.D.R. मँगाकर जाँच कराई जाय।
22. शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ला ने कुलपति/ प्रति कुलपति/ कुलसचिव/ परीक्षा नियंत्रक को 25-12-2019 से मोटी रकम दी गई है (जैसा कि जनता में चर्चा है) गम्भीर प्रकरण की जांच सवतंत्र जाँच एजेन्सी (C.B.C.I.D.) से जाँच कराई जाय।
23. यह कि प्रार्थिनी के पति पवन कुमार पाण्डेय के खिलाफ आज तक किसी प्रदेश के किसी भी थाने में न तो कोई आपराधिक मुकदमा न ही N.C.R. व शिकायत ही दर्ज है, अचानक एक ही थाने में एक माह में ही तीन आपराधिक मुकदमे और सभी शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ल व उनके सहयोगियों व रिश्तेदारों के द्वारा ही फर्जी तरीके से असत्य तथ्यों पर आधारित है, दर्ज करके, पीड़ित किया जा रहा, यद्यपि इसकी आशंका प्रार्थिनी के पति ने पहले ही एस० एस० पी० अयोध्या से जताई थी और सुरक्षा की मांग भी की थी।
अत: हम प्रार्थीगण सपरिवार आपसे विनम्र निवेदन करते हैं कि इस सम्पूर्ण प्रकरण की निष्पक्ष C.B. C.I.D. जाँच कराई जाय। अयोध्या पुलिस के ऊपर से विश्वास समाप्त हो गया है, जिससे प्रार्थिनी के पति पवन कुमार पाण्डेय व परिवार को न्याय मिल सके और फर्जीवाड़े, भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले की आवाज तो न बन्द हो। न्याय की प्रतीक्षा में।
वहीं राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय की शान में सन् 2015 में छपी यह रिपोर्ट
केजरीवाल सरकार के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह अकेले फर्जी डिग्रीधारी नहीं हैं, उनके जैसे अनेक शातिर खिलाड़ी डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की शान में गुस्ताखी कर चुके हैं। ऐसे लोगों को बगैर कॉलेज का मुंह देखे मार्कशीट से लेकर उपाधियां मुहैया कराने वाले रैकेट में कुछ पूर्व छात्र नेताओं और बाबुओं की भागीदारी जगजाहिर है।
यहां के कॉलेजों में आई आरटीआई और सत्यापन रिपोर्ट में सबसे अधिक बीएड की फर्जी डिग्रियां मिली हैं। इनके बूते राजस्थान, हरियाणा और मध्यप्रदेश में तमाम लोग शिक्षक बने। यूपीएसआईडीसी के असरदार चीफ इंजीनियर अरुण कुमार मिश्र जिस बीटेक डिग्री से नौकरी कर रहे हैं, उसे हाईकोर्ट ने भी अवैध माना।
अवध विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री बनाने व बेचने का धंधा 1994-95 से शुरू हुआ। तब वर्तमान व पूर्व छात्रनेताओं समेत कॉलेज व विवि के बाबुओं का एक मजबूत गिरोह इसे अंजाम देता था। आज भी साकेत से चंद कदम दूर तपेश्वर मंदिर पर पुराने लोग हकीकत बयां करते हैं।
साकेत पीजी कॉलेज के चीफ प्रॉक्टर डॉ. एसपी सिंह कहते हैं कि जब नए-नए जॉइन किए तब तपेश्वर मंदिर फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का अघोषित दफ्तर हुआ करता था। छात्र नेताओं संग कॉलेज के बाबू से लेकर विवि के गोपनीय विभाग से जुड़े बाबू वहां जरूर दिख जाते थे। बकायदा मोल-भाव होते थे, लेकिन रैकेट पर कार्रवाई कभी नहीं हुई।
कहते हैं बाद के वर्षों में जब वाईआर त्रिपाठी प्रिंसिपल थे, तब शायद ही कोई महीना गुजरता, जब बीएड मार्कशीट के सत्यापन के दस केस फर्जी न मिलते रहे हों। यह सभी ज्यादातर राजस्थान के मामले होते थे। अब भी ऐसे केस आते हैं, मगर पहले जैसे नहीं। अवध विवि के पूर्व प्राक्टर व विभिन्न समितियों से जुड़े रहे प्रो. डॉ अजय प्रताप कहते हैं कि विवि में आज भी रैकेटियर घूमते दिख जाते हैं।
हमने ऑनलाइन सर्टिफिकेट, रिजल्ट शीट, अंकपत्र आदि करने के सुझाव दिया, लेकिन अभी तक सिर्फ रिजल्ट की ऑनलाइन हो पाया है। जबकि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ऑनलाइन व्यवस्था की तरह छात्रों का सबकुछ ऑनलाइन हो सकता है, जिसे कोई भी कहीं से देख सकता है।
साकेत कॉलेज का एक रिटायर बाबू जिससे दिल्ली पुलिस ने भी जितेंद्र तोमर मामले में पूछताछ की है, का कहना है कि फर्जी डिग्री का धंधा 2003-04 तक चला। मगर सबसे अधिक 1994 से 1996 का दौर था। उस समय बीएड की बहुत मांग थी, मैनुअली फर्जी मार्कशीट बनती थी, जिसके आधार पर विवि से उपाधि बनाने वाले परीक्षा विभाग के लोग ही थे। रेट 15 हजार से 60 हजार तक था।
अवध विवि में बड़े पद के अधिकारी कहते हैं कि भाई रैकेट तो चलता है, इसे देखना-समझना है तो कहीं जाने की जरूरत नहीं, बस पता करिए कि जो एक-दो पुराने छात्रनेता आज भी गोपनीय विभाग में गलबहियां करते दिखते हैं, वे यहां आते क्यों हैं।
कहते हैं कि किसी भी कॉलेज का कोई वर्तमान छात्रनेता विवि परिसर में नहीं दिखता, मगर पुराने चंद लोग रोज अड्डा जमाते हैं। यहीं लोग हैं, जो तोमर जैसों को डिग्री ही नहीं बेचते, बल्कि जरूरत पड़ने सत्यापन का भी जुगाड़ फिट करते हैं।
जानकार कहते हैं कि अब तो फर्जी डिग्री पर खासी दिक्कतें है, मगर पहले खुलेआम धंधा चलता था। एक उन लोगों को डिग्री मिल जाती थी, जो कभी कालेज नहीं देखे। सिर्फ उनका पैसा जमा हुआ और डिग्री बन गई। रैकेटियर इसे कॉलेज व विवि में इंद्राज नहीं कराते थे, ऐसे ही जितेंद्र तोमर हैं।
दूसरे वे थे जिन्हें कॉलेज से लेकर विवि में इनरोलमेंट, रोल नंबर आदि सही दर्ज कराते हुए डिग्री बन जाती थी। नंबर बढ़ाना तो खुला धंधा था, जो आज भी क्रॉस लिस्ट की जांच करें तो उसमें कट-पिट के निशान से साफ अंदाजा लग सकता है। कई क्रॉस लिस्ट पर कुलपति से लेकर कुलसचिव आदि के दस्तखत आज भी नहीं मिलेंगे।
चीफ इंजीनियर ने बनवाई फर्जी बीटेक डिग्री
-यूपी स्टेट इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट लिमिटेड (यूपीएसआईडीसी) के मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्रा को फर्जी बीटेक डिग्री में बर्खास्त होना पड़ा था। यह कार्रवाई अनिल कुमार वर्मा की 24 जनवरी 2014 को एक अपील की सुनवाई करते हुई कोर्ट ने दी थी। अनिल की दलील थी कि अरुण ने हाईस्कूल से लेकर सिविल इंजीनियरिंग का जो डॉक्यूमेंट लगाया है, वह फर्जी है।
आरोप था कि 1986 में फर्जी मार्कशीट के बल पर सहायक अभियंता के पद पर एडहॉक ज्वाइन करने वाले अरुण मिश्रा को साल 1998 में प्रमोशन देकर अधिशासी अभियंता बना दिया गया। उसके बाद प्रमोशन होता रहा वह साल इतना ही नहीं साल 2008 में अरुण मिश्रा को मुख्य अभियंता के साथ आर्किटेक्ट कम टाउन प्लानर की जिम्मेदारी शासन ने दे दी। अरूण कुमार मिश्रा की फर्जी बीटेक डिग्री अवध विवि से संबंद्ध कमलानेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सुल्तानपुर से थी। मगर बाद में सुप्रीम कोर्ट से स्टे के बाद फिर वे पद पर कायम हैं।
इस तरह फर्जी अंक पत्र में बढ़ा दिए नंबर
राजामोहन गर्ल्स पीजी कॉलेज प्राचार्य शशि मिश्रा को एमए अंग्रेजी पूर्वार्द्ध वर्ष 1978, रोल नं.3942 में अंक 52, 39, 47, 41 मिले थे, जिसे विवि से फर्जी अंकपत्र में 52, 64, 47, 62 कर दिया गया।
लेकिन संबधित बाबू की पहचान के बाद भी विवि ने कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि उच्चतर सेवा आयोग ने प्राचार्य की सेवाएं समाप्त कर दी।
विवि की एक और लापरवाही
आशा सिंह सफरीवाला, सीताराम बालिका इंटर कॉलेज साहबगंज में सहायक अध्यापिका हैं, उनकी दो डिग्री एलएलबी व एमए एक ही सत्र की पाई गई। मामला विवि तक पहुंचा, जांच के बाद प्रकरण को 28 जनवरी 2014 को विवि कोर्ट सभा में रखा गया। तय हुआ कि एक माह के भीतर अगली बैठक में कार्रवाई होगी, मगर मामला आजतक लटका हुआ है।
यह कहते हैं विश्वविद्यालय के अधिकारी
मामले पर अवध विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक एएम अंसारी का कहना है कि फर्जी डिग्री के मामले में विवि से जितनी पूछताछ या सत्यापन के मामले आते हैं, उसका समुचित उत्तर दिया जाता है। आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के मामले में दिल्ली के पूर्व विधायक राजेश गर्ग की आरटीआई आई है। मगर उसमें उनकी ओर से कोई सर्टिफिकेट नहीं दी गई है। ऐसे में किस बात का सत्यापन करके जवाब भेजें। आरटीआई वापस की जा रही है।
वहीं, एसपी सिटी आरएस गौतम का कहना है कि फर्जी सर्टिफिकेट मामले में कॉलेज या विवि मामले को अपने कैंपस तक ही रखना चाहता है। आरटीआई के जरिए या सत्यापन में मिली गड़बड़ी को कभी भी पुलिस तक नहीं देता। यदि प्राचार्य या कुलसचिव मामले में पुलिस को कंप्लेन करें,तो तत्काल विधिक कार्रवाई होगी।
विश्वविद्यालय के सामान्य सभा के सदस्य ओमप्रकाश सिंह का कहना है कि फर्जी डिग्री रैकेट हो या अंक बढ़ाने के मामले, सब में विवि स्तर से ढिलाई बरती जा रही है। गोपनीय विभाग की तमाम खामियों पर कभी कार्रवाई नहीं हुई। यदि दस्तावेजों में हुए हेर-फेर की जांच कराई जाए तो बड़ा मामला सामने आ सकता है। तमाम लोग फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी कर रहे हैं, कई रिटायर हो गए।
आखिरी सच का घटना पर सार संक्षेप में निर्णय
जैसा कि हम आपको बता दें उपरोक्त केस जोकि एक नियोजित षडयंत्र पूर्ण व्यवस्था की बुनियाद को हिलाता हुआ है जिससे उक्त आकर शिक्षा माफिया व्यवस्था माफिया प्रशासनिक तंत्र व व्यवस्था द्वारा एक नियोजित षडयंत्र में पवन कुमार पांडे एडवोकेट को नियोजित षडयंत्र अंतर्गत फसाया गया जिस शुरुआत 2015 में गांव के ही रामअचल दुबे जोकि इस पूरे नियोजन की प्रमुख रीढ़ हैं द्वारा अपनी 3 बीघा जमीन पवन कुमार पांडे के हाथों बेचा जाना तय किया गया जिसकी कीमत ₹215000 तय हुई उसके आवाज में रामअचल दुबे द्वारा पवन कुमार पांडे से ₹200000 ले लिया गया लेकिन ₹15000 बकाया करते हुए बेचना मा की जगह पर एग्रीमेंट किया गया जिसमें 1 साल बाद जमीन को बैनामा के समय शेष ₹15000 लेने की बात कही गई।
रामअचल दुबे द्वारा उक्त जमीन को पवन पांडे के लड़के आशीष पांडे के हाथों भेजा जाना
उसी जमीन को पुनः रमाकांत दुबे पुत्र रामअचल दुबे ने पवन पांडे के पुत्र आशीष पांडे के हाथों बेचने की बात कही वह पुनः पवन पांडे के ही तरीके से 215000 में से ₹200000 इनसे भी लिया गया वह इनके नाम भी उक्त जमीन का एग्रीमेंट करवा दिया गया।
जिस पर पवन कुमार पांडे के पुत्र आशीष पांडे ने सक्षम न्यायालय में वाद शुरू किया उक्त वाद का ही परिणाम शुरू हुआ गीदड़ भभकी धमकी देख लेने का दौर जिसके देखने के क्रम में रामअचल दुबे के रिश्तेदारों व शिक्षा माफिया अवधेश कुमार शुक्ला उनके चचेरे साले ओम प्रकाश मिश्रा वह अवधेश शुक्ला के साले विनोद शुक्ला तथा विनोद शुक्ला की खास संरक्षण में जिंदा रहने वाली हसन जेहरा उर्फ़ हसन जहीरा उर्फ गजाला पुत्री नजमुल हसन उर्फ नजर हुसैन उर्फ नजन हसन के नियोजित षडयंत्र में एक परिवार को उत्पीड़ित करने के लिए सत्ता व व्यवस्था नियोजित साजिश के अंतर्गत मुकदमों का अंबार लगा दिया गया।
जिस के क्रम में अर्श से लेकर फर्श तक के समस्त कर्मचारियों को मुंह बंद करने व जांच को प्रभावित कर शिक्षा माफिया के पक्ष में लिखने का मोटा मुआवजा भी प्राप्त हुआ इस प्रकार एक इज्जतदार व्यक्ति के दामन को सफेदपोश माफियाओं द्वारा खत्म करने का कूट रचित नियोजन किया गया जिसमें स्थानीय शासन व प्रशासन बराबर हिस्सेदार है।
वही जब इन गांव के लोगों से आखिरी सच टीम ने जानकारी निकालने का प्रयास किया तो अमूमन गांव के लोग एक अजीब डर से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हो रहे थे। वहीं जब युवा लाबी से बात की गई तो युवा लावी ने मुखर होकर पांडे जी पर हुए उत्पीड़न को गलत ठहराया व नियोजित षडयंत्र बताया जिसमें पूर्व विधायक से लेकर शिक्षा माफिया, भू माफिया व एक बलात्कार लगाकर उद्योग चलाने वाली महिला का भी छद्म षड्यंत्र सार्वजनिक हुआ यदि इन सभी तथ्यों की सीबीआई से जांच करवाई जाती है तो पवन पांडे परिवार बेकसूर साबित होगा।
यह गांव की व स्थानीय लोगों की बातचीत पर आधारित रिपोर्ट जो आखिरी सच टीम द्वारा तैयार की गई है विधि व्यवस्था इसका संज्ञान ले और गलत के पक्ष में जो भी जिम्मेदारों द्वारा तथ्य लगाकर एक ईमानदार व्यक्ति को दुष्प्रचारित करने का काम किया गया है। इस पर सार्थक निर्णय लेते हुए दोषियों को उनके मुख्य स्थान जेल तक पहुंचाने का काम किया जाए।
आखिरी सच टीम से बात करने के नाम पर अवधेश कुमार शुक्ला शिक्षा माफिया द्वारा यह कहा गया कि मैंने जो मुकदमा लिखवाया है। उसकी चार्जशीट अदालत में दाखिल हो गई है। आप जानकारी थाने से ले लीजिए। वहीं दूसरी ओर भूमाफिया रामअचल दुबे के उत्तराधिकारी रमाकांत दुबे से जब जमीन बिक्री व उससे पूर्व में हुए सौदों के बारे में जानकारी की गई तो रमाकांत दुबे प्रथम दृष्टया अपने आप को पाक साफ साबित करते हुए स्वयं को पूरे घटनाक्रम से अनभिज्ञ होना दिखा रहे थे। लेकिन आखिरी सच टीम के पास वह रिकॉर्डिंग सुरक्षित है जिसमें रमाकांत दुबे ने अपनें ही द्वारा लिखाई गई शिकायत संख्या 230/ 22 थाना खंडासा का स्वयं खंडन किया है वह इस f.i.r. को दबाव की f.i.r. संज्ञा दिया है। जिससे कि पांडे परिवार द्वारा इन पर किया गया मुकदमा छूट सके या उसमें सुलहनामा हो सके।
वही स्वयं की ग्राम पंचायत के रहने वाले अवधेश कुमार शुक्ला पुत्र हरिशंकर शुक्ला ओम प्रकाश मिश्रा पुत्र रमाकांत मिश्रा, रमाकांत दुबे पुत्र राम अचल दुबे तथा विनोद शुक्ला व नंद कुमार मिश्रा पूरे रजऊ मिश्र के आपसी रिश्तो की तारतम्यता पर उक्त जांच अधिकारी थानाध्यक्ष शिकायत पंजीकरण के पूर्व जांच अधिकारी द्वारा क्या निर्णय निकाले गए थे। जबकि रमाकांत दुबे द्वारा रिश्तेदारी होने से अनभिज्ञता जाहिर की गई है।
लेकिन आखिरी सच की पड़ताल में यह निकल कर आया है कि उपरोक्त वर्णित तथाकथित पीड़ित में सार्वजनिक हुए शिक्षा माफिया भू माफिया गैंग का आपसी रिश्ता उठक बैठक व खानपान का बेहतर समन्वय है जबकि हम आपको बता दें रमाकांत दुबे पुत्र स्वर्गीय रामअचल दुबे जो कि पेशे से प्राइवेट विद्यालय में अध्यापन का काम करते हैं, व सुबह शाम गांजा नामक मादक का लंबे अरसे से प्रयोग करते आ रहे हैं।