सुप्रीम कोर्ट। बिकरू कांड की आरोपित खुशी दूबे को ज़मानत मिली। जब राजदंड अन्याय के साथ हो जाता है कानून को संभालने वाले निरंकुश हो जाते है। तो समझो राजा चाटुकारिता से प्रभावित है। हम आपको बताते चलें कि वारदात के समय जुलाई-2020 में 17 साल की थी खुशी।
बिकरू कांड की आरोपित खुशी दूबे की ज़मानत उसके पिता, भाई और बहन ने ली है। पिता और भाई का पता पनकी थानाक्षेत्र का है और बहन का पता नौबस्ता एरिया का। ज़मानतों के वेरिफिकेशन के लिए कोर्ट से भेजी गई डाक 11 जनवरी को थानों में रिसीव हो चुकी है। लेकिन आज सप्ताहांत होनें को है, लेकिन कानपुर पुलिस जमानत दारों का सत्यापन अभी भी पूर्ण नही कर पायी है।
बिकरू नरसंहार में सु्प्रीम कोर्ट ने खुशी दूबे को ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। जिसके सापेक्ष सोमवार को कानपुर देहात की कोर्ट ने खुशी को ₹1.5, 1.5 लाख की दो ज़मानतों पर छोड़ने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस नें उसमे भी पेंच फंसा दिया।
कानपुर के चौबेपुर थाने से कोर्ट में रिपोर्ट भेजी गई है। कोर्ट से गुज़ारिश की गई है कि ज़मानत के साथ शर्तें लगा दी जाए। मसलन, कोर्ट में सुनवाई के अलावा खुशी कानपुर नगर और देहात में नहीं रहेगी। ज़मानत पर छूटने के बाद खुशी जश्न नहीं मनाएगी।
जेल में बंद किसी आरोपित से नहीं मिलेगी, न ही उनके परिवारों से संपर्क करेगी। खुशी के वकील शिवाकांत दीक्षित के अनुसार, यह पुलिस की साज़िश और न्याय प्रक्रिया बाधित करने का प्रयास है। कोर्ट ने पुलिस से कोई रिपोर्ट मांगी ही नहीं थी। श्री दीक्षित नें कहा हम इसके लिये एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
उनका सवाल है, खुशी जेल से छूटकर अपने घर में सुंदरकांड कराएगी तो भी पुलिस उसे रोकेगी? सेशंस कोर्ट ने पहले ही आदेश दिया है कि खुशी हफ्ते के पहले दिन चौबेपुर थाने में हाजिरी लगाए।