गंगा विलास का चालन गंगा में करना हिन्दू आस्था के विरुद्ध एक सप्ताह में मांगों को ध्यान दें अन्यथा होगी संवैधानिक कार्यवाही- अरूण पाठक
वाराणसी। अरुण पाठक, अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष नें आज दिनांक को श्री राज सिंह जी सीईओ/ फाउंडर एमवी गंगा विलास क्रूज को पत्र लिखकर कहा है कि, आपको बताना चाहूँगा कि गंगा विलास का चालन गंगा में करना हिन्दू आस्था के विरुद्ध है। साथ ही इस क्रूज का नाम ‘गंगा विलास’ भी रखा जाना सर्वथा गलत है। यदि संगठन की मांगों पर जिम्मेदारों द्वारा सार्थक निर्णय नहीं लिया जाता है तो बाध्य होकर संगठन संवैधानिक कार्यवाही करेगा।
अनंतकाल से माँ गंगा हम हिंदुओं ( सनातनियों) की आस्था का प्रतीक हैं। इस गंगा के लिए राजा भगीरथ ने हजारों वर्ष तक तप किया था, तब जाकर ये स्वर्ग से धरती पर आईं। उसी माँ गंगा के नाम के साथ विलास शब्द जोड़ना विवादित व निंदनीय है।
वाराणसी से डिब्रूगढ़ के बीच गंगा के साथ जो 27 नदियाँ पड़ेंगी, जिसमें से बहुत सी नदियाँ ऐसी हैं जो हमारी प्रमुख आस्था का केंद्र हैं, उनमें धनपशु लोग शौच और मलमूत्र का त्याग करेंगे। जबकि आस्था का प्रतीक माँ गंगा और अन्य नदियों में मल मूत्र का त्याग करना तो दूर सोचना भी महापाप है।
इसलिए पूंजीपतियों की सुख सुविधा, भोग विलास और अय्याशी वाले इस क्रूज पर तत्काल रोक लगाई जाए। भोग विलास से युक्त धनपशु एमवी गंगा विलास क्रूज के अंदर जो अय्याशी होगी, उससे गंगा पतित, अपावन और अपवित्र होंगी। अंतारा लक्जरी रिवर्स क्रूज कम्पनी की वेबसाइट पर यात्रियों के खाने पीने की चीजों का जो विवरण दिया गया है।
इससे साफ जाहिर होता है कि अब गंगा में चलते क्रूज पर चिकन, मटन, मछली सहित तमाम तरह की मीट यानी मांस परोसी जा रही है। देशी – विदेशी मदिरा के तमाम ब्रांड भी पिलाए जा रहे हैं। इसमें कोई भक्ति भाव वाले नहीं बल्कि लाखों – लाख रुपये किराया देकर धनपशु चल रहे हैं तो यह अय्याशी का अड्डा नहीं तो और क्या है?
भविष्य में गंगाविलास क्रूज का नदी पर्यावरण के साथ नदी पर आश्रित मछुआरा समाज पर भयानक विनाशकारी दुष्प्रभाव पड़ेगा एवं नदी में उपस्थित जीव- जंतुओं के जीवन पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा।
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— Arun Pathak (@Arunpathak_In) January 18, 2023