देश की सांस्कृतिक एकता और अखंडता के लिए हिंदी व अन्य स्थानीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देना जरूरी- जस्टिस मिश्रा
नई दिल्ली। श्री न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज कहा कि देश की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में भाषाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसलिए देश की सांस्कृतिक एकता और अखण्डता के लिए अपने दैनिक जीवन में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढ़ावा देकर उन्हें जीवित रखना आवश्यक है।
न्यायमूर्ति श्री मिश्रा आज सितंबर, 2022 में हिन्दी पखवाड़े के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के 33 विजेताओं को राजभाषा में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु आयोग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
हालाँकि, NHRC के अध्यक्ष ने कहा कि विभिन्न विदेशी भाषाओं को सीखने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं की कीमत पर इन भाषाओं का अत्यधिक उपयोग हमारी संस्कृति और मूल्य प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, सभी मातृभाषाओं और राष्ट्रीय भाषाओं को बनाए रखने और समृद्ध करने की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने यह भी कहा कि जब विदेशों में संस्कृत भाषा में भारतीय साहित्य का लाभ उठाया जा रहा है, तो यह आवश्यक है कि हम भी अपनी भाषाओं के माध्यम से अपनी संस्कृति की रक्षा करें और दुनिया का मार्गदर्शन करें।
एनएचआरसी के सदस्य डॉ. डी.एम. मुले ने अधिकारियों और कर्मचारियों को भी संबोधित किया और उन्हें अपने काम में राजभाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया। एनएचआरसी के सदस्य श्री राजीव जैन, महासचिव श्री डी.के. सिंह, रजिस्ट्रार (कानून), श्री सुरजीत डे, संयुक्त सचिव, और श्रीमती अनीता सिन्हा सहित अन्य उपस्थित थे।
किसी भी देश के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास में उस देश की भाषाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह संपूर्ण राष्ट्र की एकता और अखंडता की महत्वपूर्ण कड़ी होती है।
विश्व हिंदी दिवस पर सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। हिंदी भाषा अनेकता में एकता को स्थापित करने की सूत्रधार है। pic.twitter.com/6Er0zgF7su
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) January 10, 2022