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मध्यप्रदेश में ईडब्ल्यूएस संवर्ग के गरीब सवर्ण छात्रों के साथ निरंतर हो रहा छलावा।

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मध्यप्रदेश। शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 शुरू से ही अधिकारियों के कागजों की कठपुतली बनता चला गया है। मनमाने तरीके से नियमों को लागू करते हुए इस भर्ती में बहुत से ऐसे बिंदु सामने आए है। जिससे आम अभ्यर्थी का विश्वास भर्ती प्रक्रिया से उठ सा गया है। ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का मामला हो या फिर पदों की संख्या को लेकर भर्ती अपेक्षाकृत स्वीकृत पदों से काफी कम की गई है, वहीं कुछ विशेष वर्ग को विशेष महत्व दिया गया है, और ईडब्ल्यूएस संवर्ग के गरीब सवर्ण छात्रों के साथ निरंतर ही छलावा किया जाता रहा है।

उच्च शिक्षा विभाग और लोक शिक्षक संचालनालय के वरिष्ठ अधिकारियों को न जाने क्यों ईडब्ल्यूएस के छात्रों के साथ ही छलावा करनें की आदत सी हो गई है। मुख्यमंत्री स्वयं सबका साथ सबका विकास की बात करते हुए आश्वासन दिया है, कि किसी भी वर्ग के साथ अन्याय नहीं किया जाएगा परंतु कथनी और करनी में बहुत अंतर दिखाई दे रहा है, और इंडब्ल्यूएस के छात्र अधिकारी के प्रति संदेह की दृष्टि से देख रहे है। स्वयं शिक्षा मंत्री इंदरजीत सिंह परमार ने आज तक कोई भी सकारात्मक बात ईडब्ल्यूएस छात्रों के पक्ष में नहीं कही है।

ओबीसी उनका विशेष लगाव संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया में स्पष्ट दिखाई दे रहा है और यही कारण है, कि सवर्ण अब सरकार की नीतियों को संदेह की दृष्टि से देख रहा है, उच्च माध्यमिक स्थाई शिक्षक भर्ती 2018-19 में ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों के साथ लगातार छलावा किया जा रहा है। पहले तो उनके पासिंग मार्क्स को कम किए जाने का मामला था, जो जैसे- तैसे वर्तमान शिक्षक भर्ती में लागू हुआ अब मामला प्रथम काउंसलिंग के रिक्त 1,039 पदों को द्वितीय काउंसलिंग में शामिल ताजा ना करने का है।

इस विषय में ईडब्ल्यूएस के अभ्यर्थियों द्वारा मंदसौर वरिष्ठ विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया के साथ विगत 27 दिसंबर 2022 को मुख्यमंत्री निवास पर मुलाकात की गई थी, जिसमे इंडब्ल्यूएस श्रेणी के 200 अभ्यर्थी उपस्थित थे जहां पर मुख्यमंत्री ने इन पदों को द्वितीय काउंसलिंग में शामिल करने का आश्वासन देते हुए कहा था, कि किसी भी वर्ग के साथ अन्याय नहीं होगा नही होगा नहीं होगा, परंतु आज लगभग 3 सप्ताह बाद भी इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई।

इस विषय में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा अभ्यर्थियों को गुमराह करते हुए कहा जा रहा है कि हमें सरकार की तरफ से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है और ना ही हमारे पास ऐसी कोई पॉलिसी है। जैसे ही हमारे पास सरकार की तरफ से आदेश आएगा हम इन पदों पर काउंसलिंग शुरू कर देंगे ज्ञातव्य हो कि शिक्षक भर्ती 2018 की प्रथम काउंसलिंग करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने अक्टूबर 2021 से नियुक्ति देना शुरू किया जिसमे की अगस्त 2022 तक प्रथम काउंसलिंग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई, इसके पश्चात द्वितीय काउंसलिंग में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के रिक्त 1,039 पदों का मामला उलझता जा रहा है।

आश्चर्य की बात यह है कि इन पदों पर वित्त विभाग पहले से ही अपनी मुहर लगा चुका है, और साथ ही बड़ी संख्या में योग्य अभ्यर्थी उपलब्ध है, परंतु ना जाने क्यों स्कूल शिक्षा विभाग पदों को विलोपित करने पर तुला है। जबकि जनजाति कार्य विभाग ने इसी काउंसलिंग में ईडब्ल्यूएस के रिक्त पदों को शामिल किया है। यह बात उम्मीदवारों को हजम नहीं हो रही है। उनका कहना है कि एक ही शिक्षक भर्ती में दो अलग- अलग विभाग अलग- अलग नियम कैसे लगा सकते हैं।

अभ्यर्थियों ने प्रशासन और अधिकारियों से गुहार लगाई है, कि उनकी मांगों को शीघ्र पूरा करते हुए उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के शेष 1,039 सहित कुल 6,530 पदों एवं माध्यमिक शिक्षक भर्ती में प्रथम काउंसलिंग से रिक्त लगभग 2000 पदों पर यथाशीघ्र अगली काउंसलिंग करवाई जाए।


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