उत्तर प्रदेश। कानपुर देहात के बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे 30 महीने बाद शनिवार को जेल से बाहर आ गई। पूरे दिन चली जद्दोजहद के बाद अदालत ने उसका रिहाई परवाना जारी किया, तो परिजनों के चेहरे खिल गए। माती स्थित जिला कारागार से शाम करीब साढ़े सात बजे खुशी को जेल से बाहर निकाला गया।
वह माता- पिता के साथ अधिवक्ता की कार से कानपुर नगर के पनकी स्थित अपने घर के लिए रवाना हो गई। बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे को आठ जुलाई 2020 को चौबेपुर पुलिस ने हत्या, हत्या की साजिश, विस्फोटक अधिनियम समेत गंभीर आरोपों में जेल भेजा था। इसके बाद उसे माती कारागार में रखा गया। इसी बीच इस मामले में नया मोड़ आ गया। खुशी को उसके माता पिता ने नाबालिग बताया। अभिलेखों का सत्यापन होने पर उसे नाबालिग पाया गया। इसके बाद उसे माती जेल से बाराबंकी बाल सुधार गृह भेजा गया।
माती जेल से रात करीब साढ़े सात बजे चलकर नौ बजे खुशी पनकी स्थित अपने घर पहुंची। खुशी को देखते ही बहन शिखा व भाई करुणेश के आंखों से आंसू छलक आए। क्षेत्रीय लोग खुशी की रिहाई की खबर पूरे दिन टीवी पर देखते रहे। रात करीब आठ बजे पनकी पुलिस जब खुशी दुबे के घर पहुंची तो सभी लोग झांकने लगे। मगर पुलिस खुशी के भाई करुणेश से पूछताछ करने के बाद चली गई। जैसे ही खुशी की गाड़ी मोहल्ले में घुसी तो सभी लोग उसे देखने के लिए घरों से बाहर निकल आए।
घर पहुंचते ही खुशी ने देहरी के पैर छुए इसके बाद प्रवेश किया। मां गायत्री ने मिठाई खिलाकर खुशी का मुंह मीठा कराया। इसके बाद खुशी ने बड़ी बहन नेहा के बच्चे सगुन व वेद को गले से लगा लिया। खुशी ने पत्रकारों से कहा कि उस रात अमर दुबे मेरे ही साथ थे। क्या विकास दुबे से अमर के संबंध थे? इस बात पर खुशी ने कहा कि मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता। खुशी ने कहा कि ये 30 माह जेल के अंदर मेरे जीवन के सबसे कठिन दिन थे। बाहर आने के बाद बड़ी खुशी मिली है। खुशी कहती हैं कि आगे पढ़ाई कर सफल अधिवक्ता बनना है।
खुशी के मामले की सुनवाई अपर जिला सत्र न्यायाधीश-13 पॉक्सो एक्ट शैलेंद्र वर्मा की अदालत में चल रही थी। खुशी के अधिवक्ता उसके नाबालिग होने का हवाला देकर जमानत की मांग कर रहे थे। हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने पर खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।
खुशी बोली- मुझे कानून पर पूरा भरोसा था
सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी को खुशी की जमानत मंजूर कर दी थी। इस बीच खुशी की उम्र 18 साल पूरी हो गई, तो उसे माती कारागार शिफ्ट कर दिया गया था। शनिवार को जेल से बाहर आकर खुशी ने कहा कि उसे अदालत पर पूरा भरोसा है। मुझे कानून पर पूरा भरोसा था, देर लगी लेकिन न्याय मिला।
उसने कहा कि मुझे आज तक नहीं पता कि किस मामले में जेल गई थी। अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने कहा कि खुशी पूरी तरह से निर्दोष है। पुलिस के पास खुशी के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। सिर्फ पुलिस ने उसे मनमाने ढंग से जेल भेज दिया था। अब जमानत मिल गई है। पूरा भरोसा है कि वह जेल से ससम्मान बरी होगी।
खुशी के खिलाफ सबूत जुटाए नहीं, गढ़े गए हैं : शिवाकांत
खुशी दुबे के खिलाफ पुलिस के पास कोई ठोस सुबूत नहीं थे। बावजूद 17 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने खुशी के खिलाफ सुबूत जुटाए नहीं हैं बल्कि गढ़े हैं। यह बात खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने कही। कहा कि उन्हें भरोसा था कि न्याय जरूर मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट से चार जनवरी को जमानत मंजूर होने के बाद जमानती प्रपत्रों की जांच व सत्यापन में करीब 16 दिन बीत गए। इस बीच कानपुर की नौबस्ता व पनकी पुलिस ने प्रपत्रों की जांच रिपोर्ट भेजने में लापरवाही की। अदालत की नाराजगी के बाद सत्यापन रिपोर्ट आई।
क्षेत्र की गतिविधियों पर पुलिस की नजर
रिहाई की खबर के बाद से शनिवार को पूरा दिन पुलिस की निगाह क्षेत्र की गतिविधियों पर बनी रहे। पनकी इंस्पेक्टर व एसीपी फोर्स के साथ लगातार क्षेत्र के आस पास राउंड लगाते रहे। पुलिस की गाड़ी क्षेत्र में आते ही लोगों को लगता था खुशी आ गई है।
शनिवार को खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित जमानती प्रपत्रों की सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद एडीजे-13 पॉक्सो एक्ट शैलेंद्र वर्मा की अदालत में पहुंचे, लेकिन अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के जमानती आदेश पर सेवन सीएलए व विस्फोटक अधिनियम का जिक्र नहीं था। इस पर रिहाई परवाना जारी होने में विलंब हुआ। हालांकि शाम को अदालत ने सारी औपचारिकताएं पूरी होने पर रिहाई परवाना जारी कर दिया।
हाथों की मेंहदी छूटी नहीं थी पुलिस ने कर लिया था गिरफ्तार
बिकरू कांड के मुख्य आरोपी कुख्यात विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे (मुठभेड़ में मारे जा चुके) की 30 जून 2020 को पनकी कानपुर नगर निवासी खुशी के साथ शादी हुई थी। शादी के दो दिन बाद ही बिकरू कांड हो गया। खुशी ने बताया कि उसका बिकरू कांड से कोई लेना देना नहीं था।
पुलिस ने बुलाया, तो वह चार जुलाई को चौबेपुर थाने गई। इसके बाद उसे चार दिन थाने में रखा गया। इस चार दिन में उसके साथ क्या- क्या हुआ इसे बता नहीं सकती। इससे साफ है कि खुशी के साथ कुछ ऐसा जरूर हुआ, जिसे वह बताना नहीं चाहती है। जेल से बाहर आने पर मीडिया कर्मियों ने उससे कई सवाल किए। जिस पर उसने कहा कि वह इस समय कुछ बताने की स्थिति में नहीं है।
क्या है बिकरू कांड
कानपुर नगर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई 2020 की रात कुख्यात विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर विकास ने साथियों के साथ मिलकर फायरिंग की थी। इसमें बिल्हौर के तत्कालीन सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी। पुलिस ने विकास समेत छह आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराया था। वहीं घटना में कुल 45 लोग जेल भेजे गए थे। इसमें खुशी की जमानत होने के बाद अब 44 लोग जेल के अंदर हैं।
आपको बता दें कि कानपुर देहात की माटी जेल से रिहा होने के खुशी दुबे घर पहुंची। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उनका बिकरु कांड से कोई लेना- देना नहीं था। रात में गांव में इस तरह गोलीबारी हुई, जैसे आतिशबाजी हो रही हो। उसने कहा कि उसे सुबह पुलिस वालों के जरिए मालूम हुआ कि गांव में क्या हुआ है। उसने कहा कि सुबह जब पुलिस वाले उसके घर पहुंचे, तब उसने कहा था कि क्या वह अपने मायके चली जाए। इस पर पुलिस कर्मियों ने उसे ससुराल में ही रुकने की हिदायत दी थी। वहीं, बिकरू कांड के दो दिन बाद पुलिस उसे थाने ले गई। उसने बताया कि उसे चार दिनों तक थाने में रखा गया, जिसके बाद उसे कानपुर देहात की माती जेल भेज दिया गया।
खुशी दुबे ने कहा कि वह चार दिन जिंदगी में कभी नहीं भूल सकती। उसके साथ बहुत गलत हुआ लेकिन वह इस बारे में अभी बात नहीं करना चाहती। वक्त आने पर इस बात का खुलासा करेंगी कि 4 दिनों में पुलिस ने उसे कैसे प्रताड़ित किया गया। वहीं, खुशी का कहना है कि विकास दुबे के बारे में वह पहले कुछ नहीं जानती थीं। शादी वाले दिन ही उन्होंने विकास दुबे का नाम सुना था। उन्होंने कहा कि वह मेडिकल फील्ड में जाना चाहती थी, लेकिन इस घटना के बाद उसका कैरियर बर्बाद हो गया। हालांकि खुशी का जेल में इलाज न कराने की बात का उन्होंने खंडन किया। उन्होंने कहा कि जेल में उन्हें समुचित इलाज मिला। जेल में उनकी तबीयत बार- बार बिगड़ रही थी।
प्रियंका गांधी सहित अन्य नेताओं का किया शुक्रिया
आपको बता दें कि बिकरू कांड की सह अभियुक्त खुशी दुबे ने सहयोग करने के लिए प्रियंका गांधी सहित अन्य नेताओं और अधिवक्ताओं का शुक्रिया किया है। दरअसल, बिकरू कांड के मुख्य आरोपी कुख्यात विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे की 30 जून 2020 को पनकी कानपुर नगर निवासी खुशी के साथ शादी हुई थी। शादी के दो दिन बाद ही बिकरू कांड हुआ था।
निर्दोष थी इसीलिए जमानत मिली: मां
खुशी की मां गायत्री ने पत्रकारों से कहा कि खुशी निर्दोष थी, इसीलिए उसे कोर्ट ने जमानत दी है। मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है। आगे भी खुशी को न्याय मिलेगा। अब आगे क्या करना है, इसके लिए अभी कुछ सोचा नहीं है।