प्रतापगढ़ (रमेश श्रीवास्तव)। एससी/एसटी के सभी मामलों में चार्जशीट अनिवार्य नही, यह बात हाईकोर्ट नें कही, विद्वान अधिवक्ता उपेंद्र नाथ मिश्र और ज्ञानेंद्र सिंह की तार्किक और न्यायिक बहस को सुनने के बाद कोर्ट ने दिया आदेश। कोर्ट के फैसले के बाद गैर एससी/एसटी जातियों को मिली बड़ी राहत।
एससी/ एसटी एक्ट के सभी मामलों में पुलिस द्वारा चार्जशीट ही लगाई जाय, ऐसा जरूरी नही है। आरोपी के खिलाफ प्रमाण न मिलने पर पुलिस मामलें में अंतिम रिपोर्ट भी लगा सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में प्रतापगढ़ जिले के महेशगंज थाना क्षेत्र के भैसाना गांव के रहने वाले ज्ञानेंद्र मौर्य पुत्र राम मनोहर ने याचिका दायर कि थी उनके विरोधियों ने उनके खिलाफ साजिश करके एससी/ एसटी एक्ट मुकदमा दर्ज करा दिया था।
जबकि घटना के समय वे घटना स्थल पर मौजूद भी नहीं थें। याची ज्ञानेंद्र की तरह से विद्वान अधिवक्ता ज्ञानेंद्र कुमार सिंह और उपेंद्र नाथ मिश्र की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश दिया है एससी/ एसटी के सभी मामलों में आरोप पत्र दाखिल हो, ऐसा जरूरी नही है। याची ज्ञानेंद्र का कहना है कि उनको न्यायालय पर पूर्ण भरोसा था और फैसला उनके पक्ष में आया है।
अधिवक्ता ज्ञानेंद्र सिंह और उपेंद्र नाथ मिश्र का कहना है कि कोर्ट के इस फैसले से गैर एससी/ एसटी जातियों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि आपसी रंजिश में फर्जी तरीके से लोग एससी/ एसटी का मुकदमा दर्ज करा देतें हैं। जिस तरीके से न्यायालयों में मुकदमों का बोझ है, कोर्ट से इस फैसले से पुलिस का अधिकार बढ़ जाने से मुकदमों की संख्या में कमी भी आएगी और गैर एससी/ एसटी जातियों को बड़ी राहत भी मिलेगी।