अखिल भारत हिंदू महासभा के अध्यक्ष होने का दावादेर स्वयं को नही साबित कर पाये स्वामी चक्रपाणि, युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण पाठक की चेतावनी।
सुप्रीम कोर्ट। स्वामी चक्रपाणि महराज द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इस याचिका में स्वामी अखिल भारत हिंदू महासभा के अध्यक्ष होने का दावा करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने उक्त आदेश में उन्हें और अन्य पदाधिकारियों को कई राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। जबकि यथार्थ व जमीन से जुड़े नेतृत्व के जबरदस्त गुणों से पूरित स्वामी चक्रपाणि की अपनी अलग ही सोंच है, जो सनातना को पूर्णतया पोषित करती है।
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यह हैं स्वामी जी के विचार
यह है न्यायालय का मामला
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की खंडपीठ स्वामी चक्रपाणि द्वारा दायर एक याचिका संख्या 21194/ 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश 363/ 2020 में दिनांक 06-09-2021 को चुनौती देने वाली एक विशेष अनुमति याचिका IA No.169518/ 2021 No.169520 / 2021 दाखिल करने से छूट दिनांक 07-02-2022 पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें भारत के चुनाव आयोग को पार्टी के पदाधिकारियों को कई राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
चक्रपाणि महराज की ओर से यह है पक्ष
स्वामी चक्रपाणि की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने तर्क दिया कि वर्तमान मामले पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला करने की जरूरत है। उन्होंने तर्क दिया कि वर्तमान में कोई भी व्यक्ति महासभा के लिए उम्मीदवारों को नामित करने में सक्षम नहीं है, क्योंकि यह शून्य से पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने कहा कि वह याचिकाकर्ता को महासभा के अध्यक्ष के रूप में मान्यता नहीं दे सकता।
महाराष्ट्र में बने अंधश्रद्धा कानून को समाप्त किया जाए यह हिंदू सनातन धर्म को को बदनाम करने और फसाने का एक माध्यम बना हुआ है @PMOIndia @AmitShah
— Swami Chakrapani Maharaj (@SwamyChakrapani) January 21, 2023
यह भी एक यथार्थ परक मांग है।
न्यायाधीश नें यह कहा
जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा, “आप आपस में लड़ रहे हो, क्या किया जा सकता है?” सिंह ने कहा, “इस अदालत को इस मामले को देखना होगा। यह सबसे पुरानी पार्टी है। किसी को पार्टी का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। यह एक ऐसा मामला है जिस पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना चाहिए।” इस पर जस्टिस बनर्जी ने कहा, “सबसे पुरानी पार्टी! आप पार्टी के भीतर लड़ रहे हैं। कोई कहता है कि मैं अध्यक्ष हूं, कोई और कहता है कि मैं अध्यक्ष हूं।” चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की दिल्ली हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने स्वामी चक्रपाणि की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि चक्रपाणि के अध्यक्ष पद पर काबिज होने का तथ्य अत्यधिक विवादित है।
चीफ जस्टिस नें की टिप्पणी
चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की थी, “आधा दर्जन से अधिक लोग इस संगठन के अध्यक्ष होने का दावा कर रहे हैं।” कोर्ट ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग के पास राजनीतिक दल के इस आंतरिक विवाद को तय करने की शक्ति या अधिकार क्षेत्र नहीं है और संबंधित व्यक्ति एक सक्षम सिविल कोर्ट से पार्टी में अपनी स्थिति के बारे में घोषणा की मांग कर सकते हैं।
उच्च न्यायालय मे यह
पृष्ठभूमि स्वामी चक्रपाणि ने अखिल भारत हिंदू महासभा (ABHM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनके नेतृत्व में पदाधिकारियों की सूची को मान्यता देने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने से इनकार करने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट के समक्ष अपील की थी। याचिका में चुनाव आयोग को सूची को मान्यता देने और उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई।
राहुल गांधी बोलते हैं देश पुजारियों का नहीं है, दूसरी तरफ हरियाणा बीजेपी सरकार इमामो का वेतन बढ़ा रही है..और पुजारियों को कोई पूछता नहीं, मतलब दोनों हिंदू विरोधी है pic.twitter.com/C0FGZaw2r7
— Swami Chakrapani Maharaj (@SwamyChakrapani) January 10, 2023
यह भी समझनें वाली बात है।