संघ प्रमुख की पंडितों पर टिप्पणी के बाद डैमेज कंट्रोल में आई आर.एस.एस. अपने ही बयान में उलझी!
आर.एस.एस. प्रमुख की पंडितों पर टिप्पणी का अंतर्राष्ट्रीय ब्राह्मण संरक्षण समिति ने किया खुला समर्थन
पंडितों पर टिप्पणी पर ब्राह्मण व समाज का बड़ा वर्ग आक्रोशित
भागवत द्वारा ब्राह्मण समाज के विरुद्ध टिप्पणी के बाद चुप ब्राह्मण पितृदोष के भागी : अश्वनी शर्मा
कई भाजपा नेताओं ने भी जताई आपत्ति
मोहन भागवत के विवादित बयान के विरुद्ध सवर्ण समाज ने दिखाई एक जुटता
साभार (ICIJ)। बीते दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए एक बयान में पंडितों की टिप्पणी के बाद देशभर में ब्राह्मण समाज द्वारा विरोध देखने को मिला। देशभर में विभिन्न ब्राह्मण संगठनों द्वारा धरने प्रदर्शन कर मोहन भागवत के बयान की निंदा होने लगी। गौरतलब हो कि पिछले दिनों मोहन भागवत ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए जाति व्यवस्था के लिए ब्राह्मणों को जिम्मेदार ठहराया है।
एक जनसभा में मोहन भागवत ने कहा की भगवान के लिए सभी लोग एक समान है। उनमें कोई जाति या वर्ण नहीं है। लेकिन पंडितों ने अलग-अलग श्रेणी बनाई जो कि गलत था। पंडितों पर कि उक्त टिप्पणी के बाद ब्राह्मण समाज में आक्रोश फैल गया जिसके बाद देशभर में मोहन भागवत के उक्त बयान की निंदा होने लगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी उस समय आई जब हिंदुओं की आस्था से जुड़ी रामचरितमानस की प्रतियां जलाए जाने के बाद हिंदू समाज विशेषकर ब्राह्मण समाज मे रोष की लहर चल रही थी।
आपको यहां बता दें कि रामचरितमानस की एक चौपाई के अपने ही अर्थ निकाल कर जातिवाद का आरोप लगाते हुए एक वर्ग के कुछ लोगों ने रामचरितमानस की ही प्रतियां जला डाली। जिसके बाद रामचरितमानस जलाने वालों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश के केवल लखनऊ में ही लगभग 16 दरखसतें दी गई। केंद्र व उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के चलते देश का हिंदू समाज इस आस उम्मीद में बैठा था की रामचरितमानस जलाने वाले दोषियों को गिरफ्तार कर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी, लेकिन इसी बीच भाजपा के सहयोगी संगठन कहे जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख की पंडितों पर की गई उक्त टिप्पणी से हिंदू समाज सक्ते में आ गया। देश का बुद्धिजीवी वर्ग इस घटना को 9 राज्यों में होने वाले चुनावों तथा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की नजर से भी देख रहा है।
संघ प्रमुख के बयान के बाद ब्राह्मणों में नाराजगी दिखनी शुरू हो गई। इस साल नौ राज्यों में चुनाव होना है। आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी ब्राह्मण वोट बैंक भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। यूपी में ब्राह्मण समाज की करीब 12 फीसदी से ज्यादा आबादी है। आगामी नगरीय निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाज की नाराजगी भांपकर संघ के नेताओं ने भागवत के बयान का बचाव किया है। संघ से लेकर भाजपा तक बचाव में उतरे। सबसे पहले आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि मोहन भागवत ने पंडित शब्द का उपयोग ज्ञानियों के लिए इस्तेमाल किया था, न कि किसी जाति धर्म के लिए। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत ने भाषण के दौरान पंडित शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसका मतलब विद्वान या ज्ञानी होता है। सुनील आंबेकर के इस डैमेज कंट्रोल बयान के बाद अंतर्राष्ट्रीय ब्राह्मण संरक्षण समिति ने भी नहले पर दहला मारते हुए मोहन भागवत के बयान का समर्थन कर दिया। “बदले की आग” किताब का हवाला देते हुए अ.ब.स.स. के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद कुमार पांडे ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा की ” मोहन भागवत जी की बात का समर्थन करता हूँ , बस उनकी जुबान थोड़ा फिसल गई , पंडितों नही पण्डित बोलना चाहते थे , पंडित भीम राव अम्बेडकर ने 6000 जातियां बना डालीं बदले की आग में जल कर, उसी को भागवत जी बता रहे थे।”
भागवत के उक्त बयान के बाद विभिन्न सवर्ण संगठन एकजुट दिखाई दिए। वैश्य समाज से आते साहिल गुप्ता ने कहा की सवर्ण समाज सनातन में एकजुटता व समानता लाने में प्रयासरत है लेकिन आरएसएस व भाजपा सनातन को जातियों में बांटने का काम कर रही है। वहीं क्षत्रिय समाज से आरडीपी प्रमुख रुमित ठाकुर ने भी मोहन भागवत को हिंदू धर्म ग्रंथ पढ़ने की सलाह दी। वही जब इस संदर्भ में भाजपा नेता व ब्राह्मण सभा के जिला अध्यक्ष प्रदीप भारती से बात की तो उन्होंने मोहन भागवत के उक्त बयान पर असहमति जताई। उन्होंने कहा कि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने स्पष्ट किया है कि मैंने वर्ण व्यवस्था बनाई है। वहीं पूर्व भाजपा नेता हरदीप शर्मा, शिवसेना पंजाब के नेता मिक्की पंडित ने भी मोहन भागवत के उक्त बयान को सिरे से नकारा है।
वहीं आ.स.स.स. के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने पंडितों पर मोहन भागवत द्वारा दिए बयान के संदर्भ में कहा कि भागवत द्वारा ब्राह्मण समाज के विरुद्ध टिप्पणी के बाद भी कई ब्राह्मणों की चुप्पी हैरानीजनक है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत ने सीधे तौर पर ब्राह्मणों के पूर्वजों की निंदा की है, जिसे सुनने के बाद भी चुप रहने वाले ब्राह्मण पितृदोष के भागी हैं। श्री अश्वनी का उक्त बयान सीधे तौर पर आरएसएस व भाजपा में शामिल ब्राह्मणों पर निशाना प्रतीत हो रहा है।