इंदौर। सिमरोल थाना क्षेत्र के बीएम फार्मेसी कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ.विमुक्ता शर्मा ने जीवन-मृत्यु से पाँच दिन संघर्ष करने के बाद अंततः शनिवार सुबह चार बजे एक निजी हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। उधर, आरोपी छात्र आशुतोष श्रीवास्तव पर प्रशासन ने शुक्रवार को रासुका लगाई थी। फिलहाल वो पुलिस रिमांड पर है। मामले में पुलिस को चार चश्मदीद भी मिल गए हैं। प्रिंसीपल द्वारा आरोपी के खिलाफ पूर्व में की गई शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेने के मामले में एसपी ने एक एसआई को सस्पेंड कर दिया है।
यह है पूरा मामला
20 फरवरी को बी एम कॉलेज के पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव ने कॉलेज की प्रिंसिपल विमुक्ता शर्मा (54 ) पर पेट्रोल डालकर उस वक्त आग लगा दी थी, जब वह कॉलेज परिसर में बिल्व पत्र तोड़ रही थीं। आग लगने के बाद प्रिंसीपल कॉलेज परिसर में करीब बचाओ- बचाओ की चीख के साथ बदहवास इधर- उधर दौड़ती रहीं। चीख सुनने के बाद दौड़े स्टॉफ के कुछ सदस्यों ने उन्हें संभाला और तुरंत हॉस्पिटल ले गए। गंभीर अवस्था में जली होने के कारण उन्हें लाईफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया था। हालाँकि दिन पर दिन उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी। अंततः उन्होंने आज सुबह चार बजे दम तोड़ दिया।
बेटी ने कहा था- धमकी पर ध्यान नहीं दिया
प्रिंसीपल की बेटी देवांशी ने कहा कि आरोपी ने इस वारदात से पहले मां को धमकी भरे मैसेज भेजे थे। वॉट्सऐप पर मिली धमकियों की वजह से वह मानसिक रूप से बेहद परेशान थीं। इस मैसेजेस को लेकर पुलिस से शिकायत भी की गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया। पुलिस शिकायत पर वक्त रहते एक्शन ले लेती तो आज मां सही-सलामत होतीं। मैं चाहती हूं कि इस जघन्य अपराध के आरोपी कड़ी सजा मिले।
मार्कशीट को लेकर है विवाद
एसपी के मुताबिक आशुतोष श्रीवास्तव ने जुलाई 2022 में बी फार्मा की परीक्षा पास कर ली थी लेकिन कई बार मांगे जाने के बावजूद कॉलेज प्रबंधन उसे मार्कशीट नहीं दे रहा था। उधर, कॉलज के एसोसिएट प्रोफेसर पटेल ने आरोपी के इस दावे को गलत बताया है। उनका कहना है कि हमें राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से उसकी मार्कशीट नवम्बर 2022 में मिली थी। हमने उसे और उसके पिता को कई बार मार्कशीट ले जाने के लिए फोन किया, लेकिन दोनों में से कोई नहीं आया। पटेल का कहना है कि वह पहले हुए विवाद के मामले में मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहा था।