चौधरी नेतृपाल सिंह (एससी) नें रामप्रकाश के मंडप में खेला फाग, सात ठाकुरों पर फर्जी एससी एसटी एक्ट, कोई विवाद य मारपीट हुई नहीं- अनोखेलाल जाटव
उत्तर प्रदेश। गाजियाबाद जिले से एक बारात एटा आई जिसमें दलिया की इकलौती बेटी की बारात को गांव के कथित तौर पर उच्चजाति (ठाकुरों) के लोगों ने रोक लिया। उन लोगों ने लगभग दो घन्टे तक घोड़ी जाम से रोके रखा। बेटी के परिजनों ने इसका विरोध किया तो उन लोगों ने बारातियों समेत बेटी के परिजनों को पीटा। हादसे में कई लोग घायल हो गए और शादी के बंधन में बंधने लगे। परिजनों ने मामले की पुलिस को जानकारी दी। जिसके बाद भारी पुलिस बल गांव में ऑपरेट करना पड़ा। पुलिस की निगरानी में बारात शक। पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर इसकी तलाश शुरू कर दी है। यह खबर देश की एक विशेष तबके व देश की अखंडता-विरोधी तथाकथित मीडिया द मोटिवेंटनाइक के रिपोर्टर की रिपोर्ट प्रसारित करती है लक्षित प्रसारण का ट्वीटर लिंक यह है।
द मूकनयक के अनुसार यह मामला
यूपी के एटा में मरहरा क्षेत्र के लालपुर देहामाफी ग्राम पंचायत खकराई में रामप्रकाश पुत्र इतवारी लाल अपने तीन बेटों और इकलौती बेटी के साथ रहते हैं। राम प्रकाश के अनुसार, 22 फरवरी 2023 को उनकी एकलौती बेटी शशि की शादी गाजियाबाद से तय हुई थी। धूमधाम से बाराती गांव में बारात लेकर पहुंच गए। 22 फरवरी की रात को बैंड बजना शुरू हुआ तो बाराती नाचने गाने लगे। दुल्हा और बाराती गांव में आगे तो गांव के ही ठाकुरों ने विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था-‘बारात गांव में नहीं जाएगा।’ और बारात को आगे बढ़ने से रोका।
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द मूकनायक के अनुसार बारात को रोकने पर गांव में फैला तनाव
रामप्रकाश के घर में उनकी इकलौती बेटी की बारात ना जाने की बात सुनकर गांवों के लोग इकट्ठे हो गए। इसके बाद दूसरे पक्ष के लोग भी जुड़ गए। रामप्रकाश ने बताया, “जब हमने उन्हें ऐसा करने से मना किया तो उन्होंने बरातियों और घर के लोगों से गली-गलौच करना शुरू कर दिया। उन्होंने शादी में घुसकर डीजे का तार काट दिया और कहने लगे ‘यह गांव ठाकुरों का है, यहां च …. रों की बारात नहीं चढ़ेगी।’ उनके आगे के हाथ-पैर जोड़े।मैंने कहा-‘मेरी इकलौती बेटी की बारात है, बड़ी बेइज्जती हो जाएगी साहब!’ लेकिन वह माने और हमारे साथ मारपीट की। कुछ देर बाद उनके कुछ लोग लाठियां और डंडे लेकर आ गए और बारातियों की पिटाई शुरू कर दी। कथित तौर पर ” गाजियाबाद से आए बाराती यह सब देखकर डर गए। इस घटना में करीब आठ से दस लोग घायल हो गए। बारात में अफरा-तफरी मच गई थी”, राम प्रकाश ने बताया। ऐसा द मूकनायक का कहना है। जबकि कोई मारपीट की घटना हुई ही नही यह भी एक जमीनी सच है।
सूचना पर पहुंचने वाली पुलिस डायल 112, द मूकनयक के अनुसार गांव बना छावनी
मामले की जानकारी थाना पुलिस को दी गई। सूचना मिलते ही थाना पुलिस गांव में पहुंच गई। इसके बावजूद भी बारात रोकने वाले डरे नहीं। क्षेत्रीय थाने ने और पुलिस बल मंगाया। पूरा गांव छावनी में परिवर्तित हो गया था। इसके बाद पुलिस बल की मौजूदगी में बारात जाती है। जबकि हकीकत यह है कि द्वारपूजन के बाद डायल 112 की गाड़ी पहुंची थी जो मात्र 15 मिनट में वापस आ गई थी। इस बात को ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ओम प्रकाश जी ने बताया क्योंकि ग्राम पंचायत के गाव में ही थाना के क्षेत्रीय एक दरोगा के साथ थे। जो कि गांव में हुए एक अन्य विवाद में आए थे।
पुलिस के जाने के बाद विरोध करने वाले लोगों ने बारातियों
मूकनायक के अनुसार, पुलिस के जाने के बाद उन लोगों ने फिर से मारपीट की घटना को अंजाम दिया। आक्रमण करने वालों में गाँव के ही रहने वाले ठाकुर बिरादरी के करू पुत्र मुन्नालाल, विवेक और कौशल पुत्र डिम्पी, टिन्नू पुत्र राजकुमार, बॉबी पुत्र ओमवीर, टिंकू पुत्र बंटी और शिवम पुत्र बीरेश सिकरवार शामिल थे। इस मामले में पुलिस ने रामप्रकाश की तहरीर पर सात लोगों पर आईपीसी की धारा-147, 452, 504, 506 व सूचना जाति एवं जनजाति अधिनियम की धारा 3 (1) (द)(घ) व 3(2) (व) के मुकदमा दायर किया है। उपयुक्त विवरण यह एक नया अध्याय है, जिसका नियोजत/रचयिता चौधरी नेतृपाल सिंह हैं, जिन्होंने आखिरी सच प्रतिनिधि को स्वयं मोबाइल नंबर 94128 ***66 जिन्होने हमारे रिपोर्टर को टेलीफोन किया गया।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
इस मामले में थाना प्रभारी मारहरा ने बताया, “पीड़ित की तहरीर पर सुंसगत धाराओ में मुकदमा पंजीकृत किया गया है। अभी तक एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है। शेष अन्य की भी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।” जबकि जिस व्यक्ति को 112 उसके घर से गिरफ्तारी की बात, उसके करीबी रिपोर्टर कहते हैं, बरात को अभद्रगीतों से रोकनें के लिए गए राजकुमार को डायल 112 ने गिरफ्तार किया था व शान्तिभंग मे मामूली धारा में चालान कर दिया था। जबकि गीदड़ भाभकी देकर राजकुमार से पैसे भी वासुले गये थे। चौधरी नेपाल को तो एससी एसटी अधिनियम की लागत से मुक्त उद्योग दिख रहा था। जिससे लखपति बनाना तय था। इसमें लंगोटिया यार के मड़वा में फाग खेला गया था।
