अतीक अहमद का राजनैतिक, सामाजिक, संवैधानिक व आपराधिक इतिहास की प्रमुख झलकियां।
उत्तर प्रदेश। एक ऐसा समय था, जब माफिया ही राज करते थे। उनके सहारे सपा और बसपा सत्ता में आते-जाते रहते थे। मुख़्तार अंसारी और आजम खान के अलावा यहाँ का एक और माफिया हैं अतीक अहमद, जिसका नाम हाल ही में उमेश पाल हत्याकांड में आया। उमेश पाल, विधायक राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह थे। उमेश पाल को प्रयागराज में दिन-दहाड़े मार डाला गया। इस हत्याकांड में अतीक अहमद का बेटा भी इस हत्याकांड में खुलेआम गोलियाँ बरसाता हुआ नज़र आया।
विधायक को मरवाया, गवाह का अपहरण करवाया, अब गवाह को ही मार डाला
इस दौरान अतीक अहमद के गुर्गों ने न सिर्फ उमेश पाल, बल्कि उनके सुरक्षाकर्मी यूपी पुलिस के संदीप निषाद को भी मार डाला। आजमगढ़ के संदीप निषाद गरीब परिवार से आते थे और उनकी उम्र मात्र 26 वर्ष थी। अतीक अहमद का आतंक ऐसा है कि उसे उत्तर प्रदेश से गुजरात के जेल में हस्तानांतरित करना पड़ा था। वो साबरमती जेल में बंद है।
2006 में करवाया था उमेश पाल का अपहरण
उमेश पाल की पत्नी जया का ये भी कहना है कि 2006 में भी अतीक अहमद के गुंडों ने उनके पति का अपहरण किया था। तब उमेश पाल का अपहरण कर के जबरदस्ती उससे अतीक अहमद के पक्ष में गवाही दिलाई गई थी। इससे संबंधित सुनवाई अभी तक चल रही थी, जिस मामले में उमेश पाल हात्या के दिन ही प्रयागराज जिला अदालत गए थे। वहाँ से घर लौटते ही उन पर ये हमला हो गया। याद हो कि 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने 2004 के विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद वेस्ट से अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराया था।
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विधायक राजू पाल की हत्या के बाद अशरफ बना था विधायक
उनकी हत्या के बाद उपचुनाव हुआ और अशरफ राजू पाल की पत्नी को हरा कर विधायक बन बैठा। हाल के कुछ वर्षों में अतीक अहमद का राजनीतिक वर्चस्व भी खात्मे के कगार पर है, ऐसे में उसके परिवार ने अपना खौफ बनाए रखने के लिए इस घटना को अंजाम दिया। अतीक अहमद की अब तक लगभग 400 करोड़ रुपयों की अवैध संपत्ति जब्त की जा चुकी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में श्रावस्ती से उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा।
देवरिया जेल ऐड बरेली के व्यापारी को पकड़वा मंगवाया किया था मारपीट व तोड़ी थी उंगलियां
2019 के मध्य में तब यूपी में अतीक अहमद का नाम नए सिरे से चर्चा में आया था, जब पता चला कि उसने देवरिया के जेल में ही एक कारोबारी की पिटाई की है। बरेली के व्यापारी मोहित जायसवाल ने तब बताया था कि उन्हें अतीक अहमद के गुर्गे टांग कर ले गए और पिटाई की। अतीक अहमद और उसके बेटे उमर अहमद के सामने उन्हें मारा-पीटा गया। अहमद ने मोहित के पाँच व्यापार जबरन अपने नाम करा लिए। इसकी क़ीमत 45 करोड़ रुपए आँकी गई थी।
मोहित की लूट ली थी कार व कर रहा था जबरन वसूली
इतना ही नहीं, मोहित के फॉर्च्यूनर कार को भी लूट लिया गया था। इस घटना से 2 वर्ष पहले भी अतीक ने मोहित से कई लाख रुपए जबरन वसूले थे। वो पिछले 4 महीनों से उनसे और रुपयों की माँग कर रहा था। उसने जेल में ही क़ानून को धता बताते हुए मोहित के दाहिने हाथ की दो उँगलियाँ तुड़वा डाली थीं। मोहित के अलावा एक अन्य व्यापारी ने भी उस पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। प्रयागराज के व्यापारी मोहम्मद ज़ाएद ख़ालिद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पुलिस प्रशासन को पत्र लिखकर बताया था कि उसे अतीक अहमद के दर्जन भर गुंडे जबरन टांग कर देवरिया जेल ले गए।
जबरन जामीन करवाया अपने नाम
वहाँ अतीक अहमद ने उससे गाली-गलौज किया और विष्णुपुर में उसके किसी ज़मीन को अपने आदमी के नाम ट्रांसफर करने को कहा। जब ये सब किया जा रहा था तब पीड़ित की मदद के लिए जेल का कोई भी अधिकारी या पुलिसकर्मी नहीं आया। अतीक अहमद को गुजरात भेजे जाने का कारण ये भी था कि देवरिया के जेल में वो जिसे चाहे उसे टांग कर मँगा लेता था और वहाँ से रंगदारी का धंधा चला रहा था। सोचिए, फिर आम जनता पर उसके चरम अत्याचार के दिनों में क्या बीतती होगी!
5 बार विधायक और 1 बार सांसद रह चुका है अतीक अहमद, समाजवादी पार्टी ने दिया संरक्षण
अतीक अहमद पहली बार इलाहाबाद पश्चिम से 1989 में जीत कर विधानसभा पहुँचा। उसे 25,000 (33%) से अधिक वोट मिले थे। 1991 में इलाहाबाद पश्चिम से अतीक अहमद ने अपना दूसरा चुनाव लड़ा। 51% मत पाकर उसने भारी जीत दर्ज की। उसे इस चुनाव में 36,000 से अधिक वोट मिले थे। 1993 के विधानसभा चुनाव में उसे 56,000 मत मिले और उसे मिला मत प्रतिशत 49% रहा। 1996 में न सिर्फ़ उसे मिलने वाले मतों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ बल्कि मत प्रतिशत भी बढ़ गया। उसे कुल मतों का 53% यानी 73,000 के क़रीब वोट मिले।
2002 में अतीक की बादशाहत थोड़ा फीकी पड़ी थी
2002 में उसे मिलने वाले मत और मत प्रतिशत में भारी कमी दर्ज की गई और ये उसके दूसरे चुनाव में मिले मतों के आसपास ही रहा लेकिन फिर भी वो जीत दर्ज करने में कामयाब रहा। इस तरह उसने इलाहबाद पश्चिम को पाँच बार जीता। पहले तीन चुनाव उसने निर्दलीय लड़ा। 1996 में मुलायम सिंह यादव के क़रीब आने के बाद उसने सपा के टिकट पर चुनाव जीता था। इसी तरह 2002 में उसने अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल का विश्वस्त बन कर इसके टिकट पर चुनाव जीता। वो अपना दल का अध्यक्ष भी रहा।
राजू पाल केस की शुरुवात
अब आते हैं राजू पाल हत्याकांड पर, जिसके गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार अतीक अहमद के काले साम्राज्य को तबाह करने के लिए तेज़ी से जुट गई है। गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने जाते समय उनकी दिन-दहाड़े हत्या कर दी गई थी। 2014 में सपा उम्मीदवार के रूप में अतीक अहमद ने दावा किया था कि उसके ऊपर 188 मामले चल रहे हैं और उसने अपनी आधी ज़िंदगी जेल में व्यतीत की है, जिस पर उसे गर्व है।
राजू पाल अतीक अहमद के लिए पहलें करते थे काम।
राजू पाल खुद कभी अतीक अहमद के साथ ही काम किया करते थे। 25 जनवरी, 2005 को हुए इस हत्याकांड में उन्हें कई गोलियाँ मारी गई थीं। उनके समर्थकों ने इसके बाद उन्हें एक टेम्पो में लादा और अस्पताल लेकर जाने लगे। लेकिन, अपराधी इतने बेख़ौफ़ थे कि उन्होंने 5 किलोमीटर तक उस टेम्पो का पीछा किया और घेर कर गोलियाँ बरसाईं। वो हर हाल में राजू पाल को मारना चाहते थे। 9 दिन पहले ही उनकी शादी हुई थी।
पूजा पाल विधायक (शादी के नौवें दिन हुई विधवा)।