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हाथरस केस तीन निर्दोष, संदीप सिंह ठाकुर है निर्दोष, संदीप बाल्मीकि यानी मृतका का भाई है गैर इरादतन हत्या का दोषी, अदालत, सीबीआई व व्यवस्था अपना तरीका बदले, नियोजित षड्यंत्र का पोषण व न्याय एक साथ असंभव।

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हाथरस। बूलगढ़ी कांड में अदालत ने संदीप को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दिया है। कोर्ट के आदेश के पीछे मेडिकल रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और डॉक्टरों के बयानों की भूमिका अहम रही। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवती की गर्दन पर सामने की ओर लिगेचर मार्क पाए गए थे, पीछे की ओर नहीं डॉ. गौरव सिंह अभय ने कोर्ट में बयान दिया कि यह चोट एक झटके या दबावपूर्ण जर्क से आना संभव है। यदि, दुपट्टे से गला घोंटा जाता को लिगेचर मार्क गर्दन के चारों ओर आता। वहीं एमआईएमबी के चेयरमैन प्रो. आदर्श कुमार ने कोर्ट में युवती की मृत्यु के संबंध में मत दिया कि गला दबाने अथवा घोंटने के दौरान पीड़िता की मृत्यु कुछ ही मिनटों में हो जाती।

गर्दन में जबरदस्त झटका से रीढ़ की हड्डी टूटना रहा मौत का मुख्य कारण

हालांकि इस केस में पीड़िता की गर्दन में जबरदस्त झटका लगने से उसकी रीढ़ की हड्डी में फैक्चर की विविधताओं से उसकी मौत हुई, जो घटना के काफी समय बाद हुई। साथ ही कहा कि पड़िता के शरीर पर आई चोटों को देखकर मात्र एक व्यक्ति द्वारा उसे चोट पहुंचाने की संभावना है। पीड़िता घटना के आठ दिन बाद तक बात करती रही। ऐसे में माना गया कि संदीप का उद्देश्य उसकी हत्या नहीं था और हमले के कारण उसकी मौत हो गई। कोर्ट ने इन्हीं आधारों पर संदीप को गैरइरादतन हत्या का दोषी मानते हुए सजा सुनाई।



अदालत के फैसले का आधार यह रहा

अदालत के फैसले का आधार मेडिकल व पोस्टमार्टम रिपोर्ट, डॉक्टरों के बयान रहे। इधर, गैंगरेप संबंधी आरोपों को कोर्ट ने मेडिकल साक्ष्य के आधार पर नकारा। इसके साथ ही कोर्ट ने युवती की मां के बयानों को अविश्वसनीय माना। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से की दी गई दलील में कहा गया कि घटना के पांच दिन बाद यानी 19 सितंबर को जब महिला आरक्षी ने युवती के बयान लिए थे। उस समय युवती ने गैंगरेप की बात नहीं बताई थी।

मुख्य आरक्षी महिला ने लिए बयान जो दो बार शुरु में गैंगरेप की नहीं करते पुष्टि

22 सितंबर को फिर से मुख्य आरक्षी महिला ने बयान लिए। तब भी गैंगरेप के आरोप सामने नहीं आया। इसके बाद इसी दिन युवती के परिवार वाले उससे मिले और इसके बाद से ही गैंगरेप को लेकर बयान सामने आने लगे। इसी दिन नायब तहसीलदार के द्वारा मजिस्ट्रेटी बयान लिए गए। इसमें उसने कई बार में गैंगरेप की बात कही। लेकिन, स्पष्ट रूप से कोई बात नहीं की। बचाव पक्ष ने यह भी बताया कि मेडिकल रिपोर्ट व पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई।

परिवार के साथ वृदांवन सीधे बांके बिहारी की शरण में पहुंचे तीनों दोस्त

बूलगढ़ी कांड में अदालत ने तीन आरोपियों को बरी कर दिया है। शुक्रवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे तीनों को जिला कारागार अलीगढ़ से रिहा कर दिया। यहां से तीनों अपने- अपने परिवार के साथ वृदांवन सीधे बांके बिहारी की शरण में पहुंचे। यहां दर्शन के बाद देरशाम तीनों युवक बूलगढ़ी पहुंचे। बूलगढ़ी कांड में जनपद के एससी एसटी एक्ट कोर्ट ने रामू, रवि और लवकुश तीनों को बरी कर दिया। जबकि संदीप को केवल गैर इरादतन हत्या और एससी – एसटी एक्ट का दोषी माना है। फैसला आने के बाद गुरुवार की शाम को ही कोर्ट से रिहा परवाना जिला कारागार अलीगढ़ के लिये भेज दिया।



आखिरी सच के पास संदीप के भी निर्दोष होने के पक्ष में तथ्य हैं।

आखिरी सच समाचार वेब के  पास संदीप को भी निर्दोष साबित करने के पर्याप्त तथ्य हैं। जो अदालत व सीबीआई को ध्यान देनें चाहिए थे। लेकिन आज ढाई साल चली जाँच व कानूनी कार्यवाही चली जिसमें तीन उन लोगों एक ही निर्दोष करार दिया है। जबकि यह तीनों तो घटना के समय इनमें से दो तो गाँव में ही नहीं थे, जबकि तीसरा गाव में तो था लेकिन पीड़िता के परिवार को सहयोगी गई भूमिका में था, लेकिन उन निर्दोषों को निर्दोष साबित होनें में देश की न्यायिक व्यवस्था को ढाई सालों से ज्यादा का समय बीत गया।

इसलिए जेल प्रशासन ने सुबह तीनों को करीब साढ़े आठ बजे रिहा कर दिया। लवकुश के भाइयों ने बताया कि अदालत का फैसला आने के बाद ही माता- पिता अलीगढ़ ही चले गये थे। रात को वहीं रुके जबकि रामू और रवि के परिजन सुबह अलीगढ़ गाड़ी लेकर पहुंच गये। तीनों के जेल से बाहर आते ही परिवार के लोग सबसे पहले उन्हें वृदांवन बांके बिहारी मंदिर लेकर गए।

सजायाफ्ता संदीप की बेचैनी भरी रही रात

बूलगढ़ी की बेटी RO तथाकथित गैरइरादतन हत्या और एससी- एसटी एक्ट के फर्जी अभियोग में आजीवन कारावास की सजा से दंडित संदीप सिसौदिया को अलीगढ़ कारागार में दस दिन तक क्वारंटीन बैरक में रखा गया है। गुरुवार को सजा मिलने के बाद जेल पहुंचने पर उसके चेहरे पर बेचैनी थी। उसने शाम का खाना भी कम ही खाया। शुक्रवार सुबह उससे जेल प्रशासन के अधिकारियों ने मुलाकात की। उसकी काउंसलिंग की गई। अलीगढ़ कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक बृजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि अभी 10 दिन तक उसकी नियमित निगरानी होगी। सब कुछ सामान्य पाए जाने पर 11 वें दिन दोषी को सामान्य बैरक में शिफ्ट किया जाएगा।

यह है मौत की प्रमुख वजह संदीप सिंह नही लड़की का भाई संदीप बाल्मीकि है दोषी

जबकि संदीप सिंह का दोष इतना है कि संदीप सिंह नें भीमार्मी द्वारा घोषित पर वास्तविकता में तथाकथित गैगरेप पीड़िता से प्यार किया था, व तथाकथित घटना की बुनियाद यह है कि उक्त घटना से पहले संदीप सिंह अपनी प्रेमिका के बुलाये जानें पर बाजरे के खेत में मिलनें पहुंचा था, जिसके पहले मृतिका नें अपनी मां को पानी लेने खेत से घर भेजा था, जबकि संदीप व मृतिका बाजरे के खेत में थे मृतिका की मां वापस आ गयी व मृतिका को खेत में न पाकर आवाज लगाई आवाज सुनकर मृतिका खेत से बाहर निकली जिस पर मृतिका की मां व उसके भाई द्वारा मृतिका के साथ क्रोधवश मारपीट की गयी जिसमें संदीप बाल्मीकि मुख्य अभियुक्त व उसकी मां के द्वारा की गयी बर्बरता के कारण उक्त लड़की की रीढ़ की हड्डी टूट गयी जो उसकी मौत का प्रमुख कारण बनी।


इस कैलेंडर को गाजीपुर व बलिया मे वितरण करवानें के लिए ऊर्जावान युवकों/ युवतियों की आवश्यकता है। कैलेंडर पर वर्णित नंबर पर सम्पर्क, पारिश्रमिक चार अंकों में। यदि बात सही लगे तो डाक्टर साहब को एक फोन कर संवाद करें।
इस कैलेंडर को गाजीपुर व बलिया मे वितरण करवानें के लिए ऊर्जावान युवकों/ युवतियों की आवश्यकता है। कैलेंडर पर वर्णित नंबर पर सम्पर्क, पारिश्रमिक चार अंकों में। यदि बात सही लगे तो डाक्टर साहब को एक फोन कर संवाद करें।

कानून का सम्मान करने की नसीहत देकर छोड़ा गया

जेल अधीक्षक पीके सिंह ने बताया कि रवि, रामू और लवकुश को जेल प्रशासन ने रिहा किया तो उनको कहा गया कि वह सदैव कानून का सम्मान करें। कभी कोई ऐसा काम न करें, जिससे कि जेल की राह देखनी पड़े। जीवन की नये सिरे से शुरुआत करें। जेल में बिताए समय को पीछे छोड़, जीवन को नई दिशा देने का काम करें।

जेल में नहीं किया कोई काम, आचरण था अच्छा

जेल प्रशासन के मुताबिक जेल में रवि, रामू और लवकुश ने मजदूरी नहीं की। इधर, उनके आचरण को लेकर बताया कि साथी बंदियों से इनका तालमेल अच्छा रहा। कभी किसी बंदी से कोई लड़ाई- झगड़ा नहीं किया। बता दें कि 14 सितंबर 2020 को हुए बूलगढ़ी कांड में 23 सितंबर को लवकुश, 25 सितंबर को रवि और 26 को रामू की गिरफ्तारी हुई।

लवकुश 892 दिन व रवि व रामू 889 दिन जेल में रहे अलीगढ़

हाथरस कांड में अदालत से बरी होने वाले रामू, रवि और लवकुश की रिहाई शुक्रवार सुबह अलीगढ़ जेल से हो गई। जेल प्रशासन ने गुरुवार देर शाम ही रिहाई की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। लवकुश 892 दिन और रवि व रामू 889 दिन जेल में रहे हैं। गुरुवार को अदालत से रवि, रामू और लवकुश को बरी किए जाने संबंधी फैसला सुनाए जाने के बाद परवाना तैयार किया गया था। परवाने की तस्दीक व अन्य नियमानुसार प्रक्रिया होने के चलते देश शाम हो गई। इस वजह से उनको रिहा नहीं किया जा सका था।

गले के अलावा नहीं थे शरीर पर चोट के निशान

सीबीआई की विवेचक सीमा पाहुजा ने अपने बयानों में कहा है कि चिकित्सकीय प्रपत्रों मुताबिक पीड़िता के गले की चोट के अलावा कहीं और कोई निशान नहीं थे।

लवकुश के परिवार का हुआ था झगड़ा

सीबीआई की विवेचक ने कोर्ट में अपने बयानों में यह भी कहा है कि लवकुश की मां मुन्नी देवी ने मुकदमा वादी के पिता और उसके परिजनों के खिलाफ इस घटना से पूर्व 3 जून 2020 को एक प्रार्थना पत्र दिया था। शिकायत थी कि मुकदमा वादी के परिजनों ने आबादी की जगह पर पानी भर दिया है। इससे गंदगी फैल रही है। इसे लेकर दोनों के बीच खटास आ गई थी।


शुरुवात हुई एकजुटता की सवर्ण शेरों का नमन, विज्ञापन द्वारा रत्नेश पाण्डेय।
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संदीप ने वादी के घर के फोन पर किये थे 105 कॉल

सीबीआई की विवेचक ने अपने बयानों में यह भी अंकित किया था अभियुक्त संदीप के मोबाइल नंबर से मुकदमा वादी के मोबाइल नंबर पर 105 बार कॉल की गयी थी। घटना से पूर्वभी निरन्तर बातें होती रहती थी। यह भी बात सही है कि पीड़िता के परिजनों ने अपने बयानों में यह बताया था कि मुकदमा वादी अथवा उसकी पत्नी व उसका पिता एवं भाई ने कभी भी अपने फोन से संदीप से कोई बात नहीं की थी।

आखिरी सच प्रमुख की संकलित रिपोर्ट जो फलाना दिखाना पर सितंबर के प्रथम सप्ताह में चली कि उसके हर तथ्य 100% साबित हुए सत्य

बूलगढ़ी कांड में सीबीआइ ने अपने बयानों में कोर्ट में छोटू को चश्मदीद बताया। उसका मनोवैज्ञनिक आंकलन तक कराया, लेकिन छोटू को अपने चार्जशीट में कहीं गवाह नहीं बनाया, परन्तु कोर्ट के फैसले में सीबीआई की विवेचक ने छोटू के बयानों को अदालत में कई बार जिक्र किया। बूलगढ़ी कांड में सीबीआई की चार्जशीट पर कई सवाल खड़े होते है।

सीबीआई पर आखिरी सच के कुछ सवाल

इसमें एक प्रमुख सवाल यह है कि सीबीआई को एक अहम चश्मदीद गवाह मिला। उस गवाह को सीबीआई अपनी विवेचना के वक्त कई बार कई कई घंटे तक ले गई। छोटू ने सीबीआई के सवालों का बड़ी ही बेबाकी से जबाव भी दिया। मगर उसे कहीं चार्टशीट दाखिल करते वक्त गवाह नहीं बनाया। इसलिए सीबीआई की चार्जशीट पर यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा होता है।



विवेचक ने कोर्ट में अपने बयानों में उल्लेख किया है कि छोटू घटना के बाद सबसे पहले पहुंचा था। वहीं पीड़िता के घर पर उसके भाई को सूचना देने के लिये पहुंचा था। विवेचक ने कहा है कि लेकिन छोटू का बयान कोर्ट की चार्टशीट में नहीं लगाया है। जबकि यह सही है कि घटना स्थल के पास छोटू मौजूद था और भी लोग वहां काम कर रहे थे। लवकुश की मां मुन्नी देवी भी वहां मौजूद थी। घटना स्थल के पास पीड़िता की मां के अलावा सबसे पहले आने वाला व्यक्ति छोटू ही था। घटनास्थल भी छोटू का खेत है।

यह भी सही है कि घटनास्थल से पीड़िता की मां ने छोटू को ही अपने घर पर अपने बेटे यानि मुकदमा वादी को बुलाने के लिये भेजा था। छोटू को पीड़िता की मां ने बुलाने के लिये दोबारा नहीं भेजा था। छोटू ने यह भी बताया कि जब उसने पीड़िता के भाई को जानकारी दी तो उसने यह कहा कि अभी कुछ आदमी इकठ्ठा हो जाने दो मैं तब जाऊंगा। विवेचक ने कहा है कि 3 नवम्बर 2020 को छोटू का मनोवैज्ञनिक आंकलन कराया था। उस समय भी छोटू ने यहीं बताया कि मुकदमा वादी और उसकी मां मौके पर थे। उस समय पीड़िता बाजरे के खेत में पड़ी थी।


यदि आखिरी सच का काम सच निकालना आपको समझ में आये तो आप सनातनियो का थोड़ा- थोड़ा आर्थिक मदद चाहिए।

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