हरियाणा। भिवानी जिले में एक जली हुई बोलेरो से मिले जुनैद और नासिर के जले हुए शवों की खबर ने देश में हड़कंप मचा दिया था। ये मामला 16 फरवरी का है। दरअसल राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले 32 वर्षीय जुनैद और 28 वर्षीय नासिर के परिजनों ने एक दिन पहले 15 फरवरी को पुलिस में शिकायत दी थी। इसमें नासिर और जुनैद के अपहरण और उनके साथ मारपीट का आरोप लगाया था। धीरे-धीरे इस मामले में कई खुलासे हुए। आरोप लगाया गया कि इन दोनों को मारा गया है। हालांकि जुनैद और नासिर की हत्या सिर्फ एक अनोखा मामला नहीं है। हरियाणा में इस तरह की हत्याओं में पुलिस की मिलीभगत भी होती है।
इस मामले को लेकर मीडिया की पड़ताल में खुफिया कैमरे पर कई खुलासे हुए हैं। दरअसल यह कथित गोरक्षकों का गुट गायों को बचाने के नाम पर जान लेने को तैयार बैठा रहता है। इसके लिए पुलिस भी इन गुटों की मदद करती है। गोरक्षकों का गुट उन कसाइयों की हत्या कर देता है जो कि गायों को मारने की प्लानिंग कर रहा होता है।
मीडिया पड़ताल ने इस चौंकाने वाले सच का खुलासा किया है कि किस तरह ये गोरक्षकों का समूह रात में मवेशियों को ले जा रहे वाहनों पर हमला करने के लिए बंदूकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, गाय ले जाने वालों को गंभीर रूप से घायल कर रहे हैं। रोहतक के एक गोरक्षक दस्ते के नेता रमेश कुमार ने कबूल किया कि उनका गिरोह स्थानीय पुलिस में बेईमान तत्वों की मिलीभगत से काम करता है।
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पुलिस की मिलीभगत से होती है कसाइयों की हत्या
रमेश कुमार ने मीडिया को बताया, ‘हम पुलिस के लिए एटीएम की तरह काम करते हैं। हम गो तस्करों को पकड़ते हैं, पुलिस को सौंपते हैं और पुलिस रिश्वत लेकर उन्हें छोड़ देती है।’ उन्होंने दावा किया कि गोरक्षकों का गुट पुलिस के साथ मवेशियों को ले जाने वाली सड़कों पर रात के समय में घूमते हैं और रात के समय में ही गोतश्करों पर हमला करते हैं। रमेश कुमार के अनुसार, उनका गिरोह पहले पुलिस को मवेशियों और कसाइयों को ले जाने वाले किसी भी वाहन की आवाजाही के बारे में सूचित करता है और जब कानून प्रवर्तन उसके आदमियों को इशारा करता है, तो वे कदम बढ़ाते हैं।
एक रिपोर्टर ने पूछा, ‘क्या पुलिस आपको इस बारे में सूचना देती है कि उन्हें (गाय व्यापारियों को) कहां पकड़ा जाए?’ इसके जवाब में रमेश कुमार ने कहा, ‘बेशक, वे (पुलिस) ही हमें इस मामले में सूचित करती है। पुलिस हमारे बिना छापा नहीं मारती। हम पहले पुलिस को ‘गौ माता’ ले जाने वाले किसी भी वाहन और कसाइयों की आवाजाही के बारे में सूचित करते हैं। जब तश्करी बढ़ जाती है तो हम इस ओवर फ्लो को रोकने के लिए पुलिस के इशारे पर ही काम करते हैं।’
तस्करों की जान लेने को तैयार रहते हैं गोरक्षक
इसके बाद रमेश कुमार ने चौंकाने वाला कबूलनामा किया कि कैसे उनका गोरक्षक दस्ता मामूली संदेह पर जानलेवा बन सकता है। रमेश ने कहा, ‘हम ऐसे कसाइयों को मार भी सकते हैं जिनपर हमें संदेह होता है कि वे गायों का वध करने वाले हैं। गायों को मारने वाले हमारी भावनाओं को आहत करते हैं।’ रमेश कुमार ने कहा, ‘मेरे पास कुछ 850 पुरुष हैं जो मेरे अधीन काम कर रहे हैं।’
कसाइयों को मारने के लिए हथियार देते हैं लोग
रोहतक के गोरक्षक ने कहा कि वे जिन बंदूकों का इस्तेमाल करते हैं, उनमें से अधिकांश उनके कट्टर समर्थकों द्वारा दान की जाती हैं। ‘हमारे संगठन में 23-24 लाइसेंसी हथियार हैं। बहुत से लोग हैं जो सिर्फ (गाय) की सेवा करना चाहते हैं। हम उन्हें बताते हैं कि हमें ईंधन और गोलियों की जरूरत है। हमें धन की आवश्यकता नहीं है। कोई महीने में 100 तो कोई 50 डोनेट करता है। कुछ लोग अपनी बंदूकें इस शर्त पर दे देते हैं कि कसाई मारे जाएं।’
राइफल, रिवॉल्वर और पंप बंदूकों का इस्तेमाल
पलवल के एक समूह के साथ एक अन्य स्वयंभू गोरक्षक रवि पुजारी ने आजतक के खुफिया कैमरे में खुलासा किया कि कैसे उसके आदमी पंप गन का उपयोग करके रात में पशुओं के वाहनों पर हमला करते हैं। रवि पुजारी ने कहा, ‘अगर हम यहां खड़े हैं और हमें इस तरह के नंबर वाले वाहन के बारे में कोई सूचना मिलती है, तो हम स्पाइक्स का उपयोग करके इसके टायरों की हवा निकालने की कोशिश करेंगे। अगर वाहन नहीं रुका, तो हम उस पर गोली चला देंगे। ‘रवि पुजारी ने कहा, ‘मेरी पंप गन आठ शॉट फायर कर सकती है। मैं इसे एक बार में खाली कर देता हूं।’
रवि पुजारी ने स्वीकार किया कि उसके गिरोह ने इस तरह के घातक छापे मारने के लिए अवैध हथियारों का स्टॉक किया है। उसने कहा, ‘हमें किसी लाइसेंसी हथियार की जरूरत नहीं है। हम अवैध हथियारों के साथ उनका सामना करते हैं। एक बार गोली मारने के बाद यह कहीं भी वार कर सकता है। यह वाहन को टक्कर मार सकता है। यह किसी और को भी मार सकता है।’
‘भीड़ को न्याय दिलाने के लिए जरूरी’
इसके अलावा नूंह के एक गोरक्षक ठाकुर मनीष ने स्वीकार किया कि पशु ट्रांसपोर्टरों पर उनके हमले भीड़ को न्याय दिलाने के लिए भी जरूरी हैं। मनीष ने कबूल किया, ‘हमारे द्वारा किए गए हमले में एक आदमी तो अब मर चुका है। हमने उसपर छह महीने पहले हमला किया था। डेढ़ महीने पहले उसकी मौत हो गई।’ मनीष ने साफ कहा, ‘मैं (पीड़ित) की पिटाई करने वाला अकेला नहीं था। इस दौरान जनता भी इसमें शामिल हुई। हमारे पास विभिन्न स्थानों पर हमारा नेटवर्क है।’ मनीष ने गो रक्षा के लिए रायफल और रिवॉल्वर के इस्तेमाल की बात कबूल की है। मनीष ने स्वीकार किया, ‘मैंने दो तरह के हथियार इस्तेमाल किए हैं। एक 315 बोर राइफल और एक रिवालर।’
‘जबरन वसूली करने वालों ने गो रक्षकों का वेश धारण किया है’
आजतक की इस जांच में वरिष्ठ पुलिसकर्मियों ने खुलासा किया कि ये गोरक्षक वास्तव में जबरन वसूली करते हैं। हरियाणा के नूंह के फिरोजपुर झिरका में डीएसपी सतीश कुमार ने कहा कि गोरक्षक पशु व्यापारियों को ब्लैकमेल करने पर उतारू हैं। सतीश कुमार ने कहा, ‘अगर आप मुझसे पूछें, तो वे ब्लैकमेलर हैं। वे एक मवेशियों से भरा वाहन पकड़ते हैं, सौदा करते हैं। जब उन्हें अपना पैसा मिल जाता है, तो वे इसे जाने देते हैं।’ डीएसपी ने कहा, ‘कोई मवेशी वाहन ला रहा है तो यह उससे पैसे कमाते हैं। किसी से 10 हजार, किसी से 20 हजार और किसी से 50 हजार रुपये तक वसूलते हैं और फिर उन्हें जाने देते हैं। ये गुंडे हैं।’
गोरक्षकों के पक्ष में पुलिस?
डीएसपी ने यह भी स्वीकार किया कि पुलिस उनके खिलाफ उस तरह से कार्रवाई नहीं करती जैसा उन्हें करना चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि पुलिस कार्रवाई के बजाय गोरक्षकों का पक्ष लेती है।
शुरुवात हुई एकजुटता की सवर्ण शेरों का नमन, विज्ञापन द्वारा रत्नेश पाण्डेय।
सतीश कुमार ने कहा, ‘वे हमारे लिए कानून-व्यवस्था बिगाड़ने जैसी स्थिति पैदा करते हैं। यहां तक कि वे हमारे साथ न होते हुए भी छापेमारी करते हैं। वे लाइसेंसी हथियार रखते हैं।’ रिपोर्टर ने पूछा,’क्या होगा अगर वे किसी को पीटते हैं और पीड़ित को पुलिस स्टेशन लाते हैं? आप अदालत के सामने मामले को कैसे पेश करते हैं?’ इस पर सतीश कुमार ने जवाब दिया, ‘हम पीटे गए लोगों के मामलों को स्वीकार नहीं करते हैं।’
वे हिंदू-मुस्लिम के नाम पर बहुत कुछ कर रहे हैं’
मीडिया की खास पड़ताल में यह देखा गया कि यह पैटर्न हरियाणा के अन्य हिस्सों में सामान्य है। राज्य के फरीदाबाद जिले के धौज में, एडिशनल एसएचओ धर्मवीर सिंह ने भी पुष्टि की कि कैसे गोरक्षक मवेशी ट्रांसपोर्टरों पर हमला करते हैं, उन्हें बेरहमी से पीटते हैं और फिर उन पीड़ितों को पुलिस के पास लाते हैं।
एडिशनल एसएचओ धर्मवीर सिंह ने कहा, ‘कुछ गोरक्षक सेवा कर रहे हैं। लेकिन यह पूरी तरह से सेवा नहीं है। कोई ऐसा नहीं करता। हाथों में पिस्तौल लेकर वे सोचते हैं, कि चलो बाहर जाकर मारते हैं।’ धौज के एडिशनल एसएचओ के मुताबिक, धार्मिक सेवा की आड़ में हिंसक हमले किए जाते हैं। ‘वे हिंदू-मुस्लिम के नाम पर बहुत कुछ कर रहे हैं।
बेबस है पुलिस
पुलिस अधिकारी ने बताया कि गोरक्षकों के इन मामलों में पुलिस की क्या भूमिका रहती है? रिपोर्टर ने पुलिस अधिकारी से पूछा, ‘तो पुलिस खुद को असहाय महसूस करती है?’ इस सवाल पर धर्मवीर सिंह ने स्वीकार किया, ‘पुलिस बेबस है। हम हिन्दू हैं। अगर हम मुसलमानों का पक्ष लेते हैं, तो हमें देशद्रोही करार दिया जाता है। लेकिन अगर हम उन्हें (गोरक्षकों) देखें, तो हम अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रहे हैं।’
पुलिस के रिकॉर्ड्स में भी झोल
पुलिस अधिकारी ने खुलासा किया कि कैसे हमले में घायल हुए मवेशी ट्रांसपोर्टरों को कई दिनों तक अवैध हिरासत में रखा जाता है, जब वे गिरफ्तार हो जाते हैं तो उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें (पीड़ितों को) जाने नहीं देते हैं, लेकिन जब तक वे (पीड़ित) ठीक नहीं हो जाते, तब तक तुरंत मामला दर्ज नहीं करते हैं। यह अंदर की जानकारी है। हमने उसे दो-तीन दिन के लिए हवालात में डाल दिया, लेकिन रिकॉर्ड से बाहर। हम उस समय इसे (गिरफ्तार) नहीं दिखाएंगे। हम इसे कागजों में बाद में गिरफ्तार दिखाते हैं।’
भिवानी हत्याकांड में क्या अपडेट?
गौरतलब है कि जुनैद और नासिर की हत्या के 9 आरोपियों में से 8 आरोपी अब भी फरार हैं। इससे पहले 6 मार्च को राजस्थान पुलिस ने हरियाणा से संबंधित सभी वांछित संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले हर शख्स को 5000 रुपये के इनाम की पेशकश की है। इन 9 आरोपियों की पहचान नूंह के रहने वाले अनिल और श्रीकांत के रूप में हुई है। इनके अलावा कैथल से कालू, करनाल से किशोर और शशिकांत, भिवानी से मोनू और गोगी और जींद से विकास इस मामले में आरोपी हैं। अभी तक सिर्फ एक संदिग्ध गोरक्षक रिंकू सैनी को हिरासत में लिया गया है।