जौनपुर। भोलेनाथ सिंह निवासी जामडीह मारिकपुर जौनपुर के मूल निवासी है। जो पेशे से ड्राइवर है। 2020 में अगस्त से दिसम्बर तक अरविंद मिश्रा पुत्र स्व० आशाराम मिश्र से उनके दुकान मिश्रा इलेक्ट्रॉनिक से 27800 रुपए का उधारी का सामान ये बोलकर लिया की जल्दी ही लौटा दुगा। परन्तु आज तक न पैसा लौटाया और अरविंद मिश्रा को झूठी सांत्वना देता रहा।
23 मार्च 2022 को अरविंद मिश्रा भोले सिंह का गाड़ी करके दिल्ली सहादरा स्टेशन अपने पड़ोस की लड़की को लेने जो की अपने परिवार से परेशान होकर आत्महत्या करने चली गई। रास्ते का खर्चा, टोल टैक्स, और सीएनजी का पूरा खर्चा अरविंद मिश्रा ने दिया। और नगद 5000 रुपए भी अरविंद मिश्रा ने भोले सिंह को दिये।
फिर अरविंद मिश्रा के ऊपर उसी लड़की का रेप करने का आरोप लड़की के परिजनों द्वारा लगाया गया और भोले सिंह के द्वारा अरविंद मिश्रा से ये बोला गया की जिस लड़की को लेने गए थे उसने थाना सुरेरी में लिखित मौखिक बयान दिया की लड़की का गैंग रेप हुआ है। जिसमें भोले सिंह का और अरविंद मिश्रा का नाम सामिल है। जबकि 1 महिने बाद अरविंद मिश्रा को पता चला की ऐसी कोई बात नहीं थी लड़की ने कोई झूठा बयान नही दिया है और न ही कोई रेप का मुकदमा ही दर्ज हुआ है।
इसी सब फर्जी अफवाहों की वजह से अरविन्द मिश्रा को अपना गांव बिजनेस सब कुछ छोड़ना पड़ा। फिर कुछ दिनों बाद जब अरविंद मिश्रा ने भोले सिंह से अपना पैसा मांगा तो भोले सिंह ने ये बोलकर देने से इंकार कर दिया की मैंने 5000 रूपए थाने पर दिए थे जिससे की रेप केस में मेरा नाम न आए। और आकार हिसाब कर लेना।
जब अरविंद मिश्रा वापस अपने गांव जून 2022 को गए तो भोले सिंह ने उनके सब नम्बर ब्लॉक कर दिया और कोई भी हिसाब नही किया। फिर लगभग 1 महीने बाद भोले सिंह को दुसरे नंबर से फोन किया तो बोले की थाने पर तुम्हारी वजह से 10000 रूपए दिए है। और बाते बनाने लगे और अरविंद मिश्रा को ही अपना कर्जदार बताते हुए 10000 रूपए की माग की। इससे तो यही सिद्ध होता है की भोले सिंह 27800 न देने के लिए फर्जी रेप केस का मुकदमा होने का अफवाह उड़ाया जिससे अरविन्द मिश्रा बदनाम हो जाए और गांव छोड़ कर चले जाएं और 27800 रूपए भी न देने पड़े।
फर्जी रेप केस के अफवाह के मुकदमा अरविंद मिश्रा के इज्जत का ही नही भोले सिंह ने पुलिस प्रशासन और उस लड़की ने इज्जत के साथ भी खिलवाड़ किया है, फर्जी रेप केस का मुकदमें का अफवाह उड़ाकर भोले सिंह पर कड़ी से कड़ी करवाही होना चाहिए जिससे की भविष्य में कोई भी चंद पैसों के लिए किसी की इज्जत और प्रशासन से खिलवाड़ न करे।
24 जनवरी को इस मामले को ट्विटर पर ट्वीट भी किया गया जिस पर यूपी पुलिस तथा जौनपुर पुलिस का जवाब आया की मामले को संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही किया जाए। पर जब अरविंद मिश्रा की पत्नी अर्चना मिश्रा द्वारा सुरेरी थाना अध्यक्ष को फोन किया गया तो पहले इस मामले से अपने से अनजान बताया गया थाना अध्यक्ष ने पूरा प्रकरण बनाने में ये बोले की कार्यवाही करवाए। पर 3 दिन बीत जाने पर भी कोई कार्यवाही नही हुआ तो अर्चना ने थाना अध्यक्ष को फोन किया तो थाना अध्यक्ष द्वारा ये बोला गया की भोले की का पता नही चल रहा है। पुलिस को भेजा गया था।
वही जब अरविंद मिश्रा ने एक व्यक्ति से फोन करके भोले सिंह के विषय में जानकारी लिया तो ये पता चला भोले सिंह अपने घर पर है अपना काम कर रहे है एक गाड़ी खुद और एक अपनी गाड़ी ड्राइवर से चलवा रहे है। आखिर पुलिस क्यों भोले सिंह को बचा रही है जबकि भोले सिंह ने सुरेरी थाने का नाम लेकर एक लड़की की जिंदगी बर्बाद कर दिया लड़की के बारे में गलत अफवाह उड़ा दिया पुरे समाज में।
क्या मतलब समझा जाय की भोले सिंह सही बोल रहे थे की सुरेरी थाने पहले 5000 रूपए फिर 10000 रूपए दिए जिसकी वजह से यूपी पुलिस के आदेश देने के बाद भी कार्यवाही नहीं कर रही है सुरेरी थाना। और जब पत्रकार द्वारा सुरेरी थाने पर 3 दिन पहले फ़ोन करके 5000 रूपए रिश्वत लेने की थानाध्यक्ष से पुछा गया और कार्यवाही के बारे में पुछा गया तो सुरेरी थानाध्यक्ष ने ये बोलकर फोन काट दिया की भोले नाथ सिंह बोल रहा है तो हम क्या करे? आखिर क्यों सुरेरी थाना और सुरेरी एसएचओ भोले सिंह पर मेहरबान है। क्या सच में कार्यवाही न करने के लिए सुरेरी थाने ने पैसे लिए है।