लखनऊ (अटल बिहारी शर्मा)। हर किसी की नज़र टीवी चैनलों पर तथा सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर टिकी हुई थी। कि कब अतीक अहमद की गाड़ी पलटी मार दे।
पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और अतीक अहमद मुछो पर ताव देते हुए नैनी जेल में सुराक्षित पहुंच गया। अब 28 तारीख को कोर्ट क्या फ़ैसला सुनाता है ये देखने वाली बात होगी।
श्री प्रकाश शुक्ला हों या बिकास दूबे इनका एनकाउंटर एस टी एफ ने करके सरकार की वाहवाही करवा दी। लेकिन मुख्तार अंसारी अतीक अहमद को सुरक्षित रखना कहीं ना कहीं से सरकार की जिम्मेदारी इस लिए है कि ये दोनों माफिया मुस्लिम हैं।
यदि पुलिस इनका एनकाउंटर कर देती तो शायद आज विपक्ष चुपचाप ना बैठता और देश विदेश को सरकार को जवाब देना पड़ता। जिससे सरकार बड़ी आसानी से गिर सकती थी।
एक तरफ राहुल गांधी के सदस्यता रद्द होने को लेकर पूरा विपक्ष एक जुट हो कर भाजपा पर सवाल खड़ा कर रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ अतीक अहमद को लेकर भी विपक्ष योगी आदित्यनाथ महराज की सरकार को घेरता और अतीक अहमद के एनकाउंटर पर सवाल खड़ा करता।
जिसके कारण सड़कों पर भीड़ उतरती और लोगों को दिक्कत का समाना करना पड़ता। इन्हीं सब कारणों से अतीक अहमद बार बार गाड़ी रुकवाता रहा पुलिस को आंख दिखाता रहा मुछो पर ताव देता रहा और सुरक्षित नैनी जेल के चार दिवारी में आकर चैन से सांस ले कर आराम फरमा रहा है।
विकास दूबे और श्री प्रकाश शुक्ला से कम अपराधिक मामले अतीक अहमद पर नहीं है। पर श्री प्रकाश शुक्ला और विकास दूबे ब्राह्मण था और अतीक अहमद मुस्लिम। सच्चाई यही है।
पर इस लेख को पढ़ कर तमाम लोग ग़लत असर निकालेंगे और लेख लिखने वाले पर कार्यवाही की मांग भी करेंगे। पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता इस लिए कि मैं सच लिखता हूं सच बोलता हूं, कड़वा सवाल करता हूं। जिससे कुछ लोग हमारे शब्दों को बर्दाश्त नहीं कर पाते और हमारी लेखनी को दबाने के लिए कार्रवाई करने की बात करने लगते हैं।
जान हर किसी को प्यारा होता है। जिस तरह अतीक अहमद पुलिस वालों के बीच भय के साये में नज़र आ रहा था उसी तरह विकास दूबे भी। पर विकास दूबे इतना मनबढ़ की पुलिस हिरासत में रह कर भी पुलिस वालों पर फायरिंग करके भागने की कोशिश की।
और अतीक अहमद इतना सुलझा हुआ इंसान कि कोई ऐसी हरकत नहीं की। बाकी आप की क्या राय है कमेंट बॉक्स में जरुर लिखिए।