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अज्ञात कारणों से कोरोना काल में लगी आग में गृहस्थी जलकर हुई खाक, आपदा में मिला राशन कार्ड व आवास पर नहीं मिला तो आवास मजदूरी का पैसा।

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मनकापुर, गोण्डा- अचानक आधी रात में सोते समय घर आग लगने से गरीब परिवार की सारी गृहस्थी जलकर खाक हो गयी। जिसमे ग्राम पंचायत के विरोध के बावजूद स्थानीय समाजसेवियों के कारण राशन कार्ड व आवास तो मिला लेकिन आज तक ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों के द्वारा आवास निर्माण में प्राप्त होने वाली मनरेगा योजना की मजदूरी आज तक नहीं प्राप्त हो सकी है।



मामला थानाक्षेत्र मनकापुर का है जहां ग्रामसभा मिश्रौलिया गोसाई के बनकटवा में रह रहे एक परिवार के लिए शनिवार की रात कयामत बनकर आ गयी। जब सहज राम मौर्या का पूरा परिवार बीबी, बच्चों समेत गहरी नींद में सोया हुआ था तभी रात के लगभग एक बजे अज्ञात कारणों से लगी आग ने देखते ही देखते पूरी गृहस्थी का सर्वनाश कर दिया।



सहज राम मौर्या सब्जी बेचकर गुजारा कर रहे परिवार का इस घटना ने बुरा हाल कर दिया है। अब उसके घर मे न तो खाने के लिए अनाज बचे हैं और न ही पहनने के लिए कपड़े मौर्या ने बताया कि सब्जी बेच कर परिवार का गुजारा कर रहे थे। मेरा सब कुछ खत्म हो गया उनके तीन लड़के और तीन लडकिया हैं, जिसमे घटना के आठ महीने पहले बड़ी लड़की की शादी किया था उसके एक लाख के जेवर, शादी के सारे कपड़े जल गए।


एक अफवाह फैलाती कमेंट जो कि  वास्तविकता यह है कि एक रुपया अनुदान पीड़ित को आज तक नहीं प्राप्त हुई है।


घटना के पहले सहजराम होटल किया करते थे, होटल के सारे समान बर्तन, काउंटर, सब्जी, अनाज, पूरा जल गया। जबकि देश मे चल रहे लॉक डाउन के वजह से एक तरफ गरीबो को पहले ही खान पान को लेकर समस्या खड़ी हो रही थी, ऐसी स्तिथि में सहज राम की गृहस्थी खाक होने से परिवार के सामने दर्दनाक समस्या खड़ी हो गयी थी।


26 अप्रैल 2020 सहज़राम मौर्य के घर की दशा।


जिसके बाद परिवार को माह जून में 5 तारीख को पहली बार राशन कार्ड से राशन मिला था, जबकि उक्त राशन कार्ड स्थानीय समाजसेवी चौबे के अथक प्रयास से मिला था, उक्त राशन कार्ड को निर्गत करनें में ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों नें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई कारण चुनावी रंजिश।


परिवार की वर्तमान दशा।


ग्राम पंचायत के जिम्मेदार सहज राम मौर्य की सहजता का कैसे सहयोगी होनें का ढोंग करके लगातार अंदुरूनी रूप से सहज राम को प्राप्त हो रहे सरकारी अनुदान को भी रोककर गरीब को आर्थिक प्रताड़ना दी जा रही है।



इसका अनुमान आप इसी से लगा लें कि एक अन्य समाजसेवी मिश्रा के प्रयासों से जब मौर्य को आपदा राहत के अंतर्गत जब आवास दिलाया गया जो बनें वर्षो बीत गये लेकिन मनरेगा योजनांतर्गत सरकार से प्रदान की जा रही मजदूरी आज भी परिवार को नहीं मिल पायी है।


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