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ओमप्रकाश राजभर नें किया यथार्थपरक राजनीति का सूत्रपात, समस्त विपक्षी दलों में मची हलचल।

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उत्तर प्रदेश। बागी बलिया की धरती सदैव व्यवस्था व सत्ता की कमियों के विरोध में बगावत करती आयी है, वह चाहे मुग़ल काल रहा हो य ब्रिटिश उपनिवेश का शासनकाल रहा हो हर बार बागी बलिया नें राजनैतिक सुचिता व सामाजिक समरसता के लिए बगावत का काम किया है। ऐसा ही नवीन बगावत का सूत्रपात बागी बलिया की पैतृक विरासत को संजोये सुभासपा ( सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) प्रमुख नें एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में एक जायज बयान दिया है, जिसके कारण उनके समस्त पूर्व सहायोगियों यथा बसपा, सपा व भाजपा की नींद उड़ गयी है।

वैसे ड्राइवर की दुनिया से अपने जीवन की शुरुवात करने वाले ओमप्रकाश राजभर नें सरकार तक को ड्राइव करते हुए उत्तर प्रदेश के किंग मेकर तक का सफर तय किया है। समाज की राजनैतिक सामाजक ताने बाने की दुखती रग को ससमय पकड़ना कोई ओमप्रकाश राजभर साहब से सीखे, जबकि एक्ट्रॉसिटी एक्ट जो कि गैर दलित समुदाय यथा सामान्य, पिछड़ी व अल्पसंख्यक जातियों के लिए मौत के पैगाम से कम नही है, जिसे बम का रूप वर्तमान देश के तथाकथित चौकीदार, प्रधान सेवक नें बम बनाकर परोसा, जिसके विरोध में बोलने की हिम्मत कोई भी विरोधी राजनैतिक पार्टी य नेता नही जुटा पाया व इस सामयिक बम से कितने गैर दलित काल के गाल में समा गये। लेकिन समस्त राजनेता व उनके दल दलित वोट बैंक के लालच मे इसका विरोध करने का साहस नही जुटा पाए, ऐसे समय में सुभासपा प्रमुख की यह आवाज समाज को सोचने पर विवश करती है।

इस बिंदु पर आवाज उठाने के कारण सुभासपा प्रमुख आज देश के गैर दलितों के प्रमुख नेता बनकर उभरे हैं, उनके पक्ष में गैर दलित समुदाय रातोरात एकजुट हुआ है। जिसको देखते हुए समस्त गैर भाजपाई पार्टियों व भाजपा में भी सुगबुगाहट नें हलचल का रूप ले लिया है व समस्त गैर दलित नेताओ के समाज के लोग अपनी जाति के नेताओ से प्रश्न पूछना शुरु कर दिया है और उक्त समस्त गैर दलित नेता मौन हैं कारण उमके मुह में दही जम चुकी है।

सुभासपा प्रमुख की यह मांग देश दुनिया के लिए एक संदेश है, खैर देखना होगा सदैव मनुवाद की बुराई करने वाले राजभर जी अपने इस स्टैंड पर खड़े रहते हैं य किसी भी उकसावे में आकर फिर मनुवाद पर अपनी जुबान गंदी करके प्रमुख जननायक की कुर्सी से उतर कर फिर अपने उसी स्टैंड पर पहुंच जाते है।


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