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नौ दिन थाने में रखे गये साजिशन हत्या के प्रयास में फंसाए गये निर्दोष, पुलिसिया व स्थानीय मीडिया रिपोर्ट भ्रामक, क्या सरकार सीबीआई जाँच करवाएगी? मामला कौशाम्बी जनपद के सराय आकिल थाने का।

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कौशम्बी। जनपद के थाना सराय आकिल क्षेत्र के गॉव बैर आमद करारी बैर बैर में दिनांक 24 अगस्त की रात्रि में एक घटना घटती है जिसमें राजनैतिक विद्वेशवश वर्तमान प्रधान व उनके परिजनों को पूर्व प्रधान शिवशंकर उर्फ़ कौशलेन्द्र ओझा के सहयोग से अविजित प्रधान ज्ञानचंद्र पुत्र मोहनलाल द्वारा नियोजित साजिश में फंसाया जाता है व उहें कल 2 सितंबर को थाना आकिल द्वारा जेल भेज दिया जाता है। जिसमें मुख्य नियोजक कौशलेन्द्र ओझा हैं।

 

थाना पुलिस से लेकर मीडिया मैनेजमेंट तक का वह जबरदस्त खेल खेला गया कि थानाध्यक्ष व जिले के जिम्मेदार आला अधिकारियों तक नें सच की जांच करना मुनासीब न समझकर एकतरफा कार्यवाई करते हुए सियाराम पुत्र जीतलाल वर्तमान प्रधान, बृजलाल पुत्र नंनका, तोता पुत्र बचई व गैंडा पुत्र मुर्दी को जेल भेज दिया। जबकि घटना के बाद से मतलब 24 अगस्त से 2 सितंबर तक उक्त चार लोगों को थाना परिसर में रखा गया जबकि इन नौ दिनों में उक्त चारो में से किसी को भी परिजनों से नही मिलनें दिया गया।

कौशलेन्द्र ओझा का नियोजन इतना जबरदस्त है कि ओझा जो खुद एससी एसटी एक्ट का अभियुक्त है उसे आजतक पुलिस गिरफ्तार नही कर पायी है, लेकिन वही कौशलेन्द्र ओझा सरकारी अध्यापक उर्फ़ शिवशंकर ओझा पूर्व प्रधान जो कि एक ही व्यक्ति है लेकिन प्रधान ती यह शिवशंकर के नाम से रहे जबकि अध्यापक कौशलेन्द्र ओझा के नाम से हैं। इन्ही लोगों के नियोजन से सियाराम पर पूर्व में भी बलात्कार का अभियोग दर्ज किया गया था।

सबसे मजेदार बात यह है कि शिवशंकर ओझा उर्फ़ कौशलेन्द्र ओझा नें कल इन चारों के जेल जाने के बाद अपने लोगों से एक संदेश उक्त महिला को भी भेजा है कि एससी एसटी का मुकदमा वापस ले लो नही तो सियाराम से भी तगड़े केस में तुमको भी अंदर करवाऊंगा। आज जबकि सियाराम को जेल गये केवल दूसरा दिन ही हुआ है लेकिन ग्राम पंचायत सचिवालय में ग्राम विकास के लिए समिति के गठन का कार्य करवाया जा रहा है।

हम आपको बताते चलें कि शिकायत संख्या 336/24.08.2023/ धारा 307 के शिकायत कर्ता मोहनलाल पुत्र शुकरु, ज्ञानचंद्र पुत्र मोहनलाल, प्रेमचंद्र पुत्र मोहन लाल व जितेंद्र को यदि किसी थाने जनपद व थाने की पुलिस द्वारा उठाकर जांच की जाए तो इस साजिश का पटाक्षेप आसानी से हो जायेगा जिसमे दोषी संबंधित चौकी, थाना, क्षेत्राधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक, व पुलिस अधिक्षक के भी अटैची उद्योग का सच सामने आएगा।

आखिरी की इस बात की पुष्टि इस दम पर कर रहा है कि जितेंद्र के दरवाजे के बालू के ढेर मे दिनांक 28 अगस्त को एक कुल्हाडी मिली थी जिसे बोरी भी ढककर दबाया गया था कारण उस समय उस जगह पर प्रधान की बेटी खड़ी थी उसके जाते ही उक्त बोरी व कुल्हाड़ी उस जगह से गायब कर दी जाती है जिस बात की जानकारी बातचीत ले क्रम में पुलिस उपाधिक्षक से पूछी गयी लेकिन महोदय द्वारा ऐसा जवाब दिया गया कि उनसे बात करना ही बेकार साबित हुआ, वही जब आखिरी सच द्वारा चार बार पुलिस अधीक्षक महोदय से बात करने का प्रयास किया गया तो पीआरओ द्वारा फोन उठाया गया लेकिन बृजेश श्रीवास्तव जी से एक बार भी बात नही करवाई गयी, जबकि इन नौ दिनों में एक भी बार थानाध्यक्ष सराय आकिल का फोन स्विच आन नही मिला।

क्या उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद के इस षड्यंत्र पूर्ण केस की तह तक पहुँचाने के लिए योगी आदित्यनाथ जी बूलगढ़ी हाथरस जैसा कठोर निर्णय लेंगे जैसा इसी कलम की रिपोर्टिंग के बाद हाथरस ही सीबीआई जांच उन्होंनें जारी की थी जिसका परिणाम देश व दुनिया के सामने है तीन निर्दोष जिनको स्थनीय पुलिस नें गैग रेप का दोषी बनाया था आज निर्दोष है। ऐतएव देश के जिम्मेदारों से हमारा अपना अनुरोध है कि निर्दोषों को दोषी न ठहराते हुए वास्तविकता कि जांच सीबीआई से करवाएं व जांच आख्या समय सीमा के अंदर प्रस्तुत करने का आदेश दें। हम किसी की चाटुकारिता नही करते बल्कि हम सच भी सच लगातार लिखते आएं है।


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