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पूर्व प्रधान शिवशंकर ओझा का तिलिस्मी संसार व्यवस्था को धाता बताकर दो नामों से देता रहा व्यवस्था को दग़ा, जिलाधिकारी कौशाम्बी स्वत: लें संज्ञान तब बचेगी निर्दोषों की जान।

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उत्तर प्रदेश। बैरामद करारी गांव ब्लाक नवादा जनपद कौशाम्बी के एक व्यक्ति की डबल रोल कहानी जिसके खिलाफ पूरे गांव में किसी की क्या मजाल य औकात जो उस महापुरुष के खिलाफ एक शब्द भी बोल सके हम कहानी बता रहे हैं उस दुर्दान्त भेड़िये की जो अपने बाहशीपन का शिकार धीरे- धीरे पूरे गांव को बना चुका है। जिसके डर के कारण उसके वैध य अवैध काम के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठता है, आखिरी सच उक्त कथन के सापेक्ष ऐसे ऐसे अकाट्य सत्य सार्वजनिक करेगा जिनको काट पाना व्यवस्था के किसी भी अंग के बस के बाहर की बात होंगी।

नौ दिन थाने में रखे गये साजिशन हत्या के प्रयास में फंसाए गये निर्दोष, पुलिसिया व स्थानीय मीडिया रिपोर्ट भ्रामक, क्या सरकार सीबीआई जाँच करवाएगी? मामला कौशाम्बी जनपद के सराय आकिल थाने का।

आखिरी सच बात कर रहा है जो तीन पंचवर्षीय योजनाओं के पीछे इस गांव का प्रधान रह चुका है। आज उक्त व्यक्ति एक एडेड विद्यालय का अध्यापक भी बना है। लेकिन प्रधान पद पर रहते हुए उक्त व्यक्ति का नाम शिवशंकर ओझा था जबकि वही व्यक्ति ज़ब अध्यापक बनता है तो उसका नाम कौशलेन्द्र प्रताप ओझा है।



जिसका सन 2011 में इस ग्राम पंचायत के राशन कार्ड की सूची पर शिवशंकर ओझा के नाम से राशन कार्ड 165088 नंबर राशन कार्ड के अंतर्गत जारी किया गया था। जिसका आधार दिनांक 11.04.2011 है जिसकी प्रति साक्ष्य के तौर पर संलग्न है।



इनका यह तिलस्मी संसार यही नहीं समाप्त होता है इन महोदय जी का नाम अलग- अलग सन की वोटर सूची में अलग- अलग नमो से दर्ज रहा है जिसमे इनका नाम चायल विधान सभा की सूची में क्रम संख्या 508 पेज संख्या 18 पर दर्ज था जिसका एपिक नंबर KCK2307528 था के अंतर्गत दर्ज था जिसकी प्रति भी साक्ष्य के तौर पर संलग्न है।



जबकि इसी विधान सभा के इसी गॉव की वोटर सूची जो कि सन 2019 में बनी उसमे इसी व्यक्ति का नाम कौशलेन्द्र प्रताप ओझा क्रम संख्या 729 के अंतर्गत दर्ज है जिसका एपिक संख्या XCD2246742 दर्ज है। वही ग्राम पंचायत के अलग- अलग सत्रों की वोटर सूची में उक्त व्यक्ति के अलग- अलग नाम दर्ज रहे ज़ब ये प्रधान थे तो इनका नाम शिवशंकर रहा जबकि वर्तमान सूची में इनका नाम कौशलेन्द्र प्रताप ओझा है।


2022 की नवीन सूची का पृष्ठ


वही हम आपको बताते चलें कि इनकी संतानो में बेटे के नाम में पिता का नाम कौशलेन्द्र प्रताप ओझा जहां दर्ज है वही बेटियों के नाम में शिवशंकर ओझा दर्ज है।

जबकि विश्वष्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह व्यक्ति अध्यापक के जिस पद पर कार्यरत है उस पद में भी काफी झोल है। यह चयन किसी अन्य व्यक्ति का हुआ था, लेकिन प्रबंधन व विभागीय मिलीभगत से यह गिरगिट इस पद पर शोभामान है।


766 पर बेटी व 767 पर बेटे का नाम बाप के नाम में ये अंतर


जिस व्यक्ति पर एससी एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज है वह व्यक्ति किसके संरक्षण में आज भी अपने पद पर सेवाएं दे रहा है। और सराय आकिल थाना आज तक उस अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। जबकि गॉव में हुए हर गैर कानूनी कामो में इस व्यक्ति का नियोजन अवश्य रहा है।

वही गॉव में हो रहे मारपीट दंगे फसादों के साथ ही विभिन्न पंजीकृत मुकदमो में भी इस व्यक्ति ने अपने विरोधियों को राजनैतिक खुन्नस निकालने के लिए फंसाया है। इस व्यक्ति की प्रधानी से लेकर आजतक के दर्ज समस्त मुकदमों का यदि फिर से जाँच करवाई जाय तो 80 प्रतिशत मुकदमों में अभियुक्त कौशलेन्द्र के राजनैतिक विरोधियों को बनाया गया है। जो कौशलेन्द्र प्रताप ओझा की कुशल रणनीति से सम्भव हुआ है।

पूर्व प्रधानपति कौशलेन्द्र ओझा नें एससी विनोद को बनाया मोहरा, पट्टा देकर दूबे व शुक्ला की जमीन पर एससी नें कब्जा, घर पर दूबे की पत्नी को मारा लगाया अनुपस्थिति लोगों पर एससीएसटी एक्ट।

आज की तारीख में ग्राम प्रधान सियाराम पासवान को नियोजित साजिश मैं जेल भिजवाने का उपक्रम कौशलेंद्र ओझा द्वारा अपने खास चमचे के पिता द्वारा नियोजित षडयंत्र के अंतर्गत 307 का मुकदमा पंजीकृत करवाकर दिनांक 2 तारीख को जेल भेजा गया जबकि केस की वास्तविकता यह है कि सियाराम ने इनके नियोजन के खिलाफ काफी काम किए थे जिस कारण से खुन्नस बस सियाराम को एक नियोजित षडयंत्र के अंतर्गत 307 में जेल भेजा गया।


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