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जुगुल किशोर मंदिर पन्ना विवाद व मंदसौर किसानों पर गोली काण्ड सरकार व मशीनरी नियोजित उपक्रम।

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पन्ना मध्य प्रदेश। देश से राजे-रजवाड़ों का कल्चर चला गया है, लेकिन इनके नाम पर कुछ परंपराएं आज चल रही हैं। ऐसी ही एक परंपरा के चलते पन्ना के जुगल किशोर मंदिर में जन्माष्टमी के दिन राजघराने की ‘महारानी’ जितेश्वरी देवी से कथित बदसलूकी का वीडियो सामने आया है। मंदिर प्रशासन का कहना है कि महारानी विधवा हैं, इसलिए नियमों के अनुसार वो मंदिर में भगवान को चंवर नहीं डुला सकतीं। यह कहकर पहले उनसे धक्का-मुक्की की, फिर घसीटते हुए मंदिर से बाहर कर दिया गया।

कुछ लोगों का ये भी आरोप है कि महारानी ने शराब पी रखी थी। मंदिर के प्रबंधक संतोष तिवारी ने महारानी जितेश्वरी देवी पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाते हुए उन पर मुकदमा दर्ज कराया। दो दिन जेल काटकर जमानत पर बाहर आईं महारानी जितेश्वरी देवी ने आखिरी सच से मोबाईल पर बातचीत की।



महारानी जितेश्वरी देवी का आरोप है कि ये पहली बार नहीं है जब मैंने मंदिर के तथाकथित गर्भगृह में प्रवेश किया हो। मुझे इससे पहले कभी नहीं रोका गया है। वो इसे भाजपा के स्थानीय विधायक एवं राज्य सरकार के मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह का षड्यंत्र बताती हैं। कहती हैं कि मंत्री अपने पावर पॉलिटिक्स से सालों से चली आ रही परंपराओं को तोड़ना चाहते हैं। मैंने पिछले दिनों मंत्री की कार्यप्रणाली के खिलाफ आवाज उठाई थी। उस दिन भी मंदिर में बदतमीजी मेरे साथ हुई है, ये उसी का नतीजा है।

महारानी जितेश्वरी देवी ने कहा- पहले से तय थी विवाद की पटकथा

मंत्री पर आरोप लगाते हुए महारानी जितेश्वरी देवी कहती हैं कि जन्माष्टमी की रात पन्ना के जुगल किशोर मंदिर में जो कुछ भी हुआ उसकी पटकथा पहले से लिखी जा चुकी थी। जो भी हुआ उसका कनेक्शन दो दिन पहले 5 सितंबर की घटना से है। 5 सितंबर को भगवान बलदाऊ (बलराम) के जन्मोत्सव के दिन बलदाऊ मंदिर में पूजा के लिए राजघराने के लोग और मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह दोनों जुटे थे। दोनों का एक साथ जुटना कोई बड़ी बात नहीं है।

महारानी जितेश्वरी देवी ने आगे कहा- मंदिर की परंपरा के अनुसार हर साल महाराज चंवर डुलाते हैं। इस बार मंदिर में दो चंवर थे, जबकि होना एक ही चाहिए। इस साल एक चंवर हमारे बेटे छत्रसाल द्वितीय (वर्तमान महाराज), दूसरा चंवर मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने डुलाया था। परंपरा तोड़ने को लेकर राजघराने की ओर से आपत्ति भी जताई गई थी।

अगले ही दिन मैंने (जितेश्वरी देवी) बृजेन्द्र प्रताप सिंह का नाम लिए बिना मंदिर प्रबंधन को एक पत्र लिखा था। इसमें लिखा गया कि पुरातन परंपराओं के अनुसार चंवर डुलाने का अधिकार सिर्फ महाराज यानी छत्रसाल द्वितीय को था। यह कोई ऐसी वस्तु नहीं जो कोई भी डुला दे।

मेरे बेटे और मुझे दोनों को नहीं घुसने दिया

महारानी जितेश्वरी देवी बताती हैं कि मुझे किसी अनहोनी की आशंका पहले से थी। मैं मंदिर प्रबंधन को सूचित भी कर रही थी। ऐसा इसलिए कि यह कोई पहली बार नहीं था जब मंत्री जी ने मंदिर की परंपराओं को तोड़ा हो।

मंदिर प्रबंधन ने राजघराने को जन्माष्टमी का आमंत्रण भी भेजा था और परंपराओं के अनुसार छत्रसाल द्वितीय ही चंवर डुलाते हैं। मगर 7 सितंबर को रात 11 बजे जब वो वहां पहुंचे तो उन्हें मंदिर के अंदर नहीं घुसने दिया गया। मंदिर में साढ़े 11 बजे गोविंद जी की आरती की जाती है। इसके बाद महाराज को मंदिर में जाकर चंवर डुलाना और आरती करनी होती है। यह जिम्मेदारी गोविंद जी मंदिर के पुजारी की होती है कि वो महाराज को साथ लेकर जाएं।

जब छत्रसाल द्वितीय मंदिर पहुंचे तो उनको अंदर जाने ही नहीं दिया गया। जब चंवर डुलाने की परंपरा को बस कुछ ही देर बाकी थे तो छत्रसाल द्वितीय ने मुझे फोन करके सारा मामला बताया। इसके बाद मैं भी वहां पहुंची, ताकि परंपरा नहीं टूटे। मुझे भी अंदर नहीं घुसने दिया जा रहा था। मैंने कहा कि मुझे मत रोकिए, क्योंकि आरती का समय निकला जा रहा है। मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया था, जिससे कि मुझे रोका जाए। मेरे पास ऐसी कोई चीज भी नहीं थी, जिसे मंदिर के अंदर ले जाना निषेध हो। अकारण ही मुझे रोका गया।



षड्यंत्र में सब शामिल थे, क्योंकि कोई मौजूद नहीं था

महारानी जितेश्वरी देवी आरोप लगाती हैं कि जुगल किशोर मंदिर के प्रबंधक ने इसी कार्यक्रम के लिए स्थानीय विधायक एवं मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह को भी आमंत्रण दिया था। मगर वो कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। ऐसा सिर्फ इसलिए कि वो दूर से ही षड्यंत्र करें और उनका नाम नहीं आए। वे बताती हैं कि इस कार्यक्रम में आमतौर पर कलेक्टर, एसपी, नगरपालिका अध्यक्ष, विधायक एवं मंत्री उपस्थित रहते हैं, उस दिन वहां कोई भी मौजूद नहीं था। सब गैरहाजिर रहे ये संयोग कैसे हो सकता है।

एसपी साईं कृष्ण थोटा ने यह कहा 

हालांकि, एसपी साईं कृष्ण थोटा कहते हैं कि बाकी अधिकारी वहां मौजूद थे या नहीं इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन मैं मंदिर के बाहर व्यवस्थाओं पर नजर बनाए हुआ था। लोगों की काफी भीड़ थी और एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन था तो मेरा वहां पर रहना जरूरी था। मैं वहां मौजूद था।

मुझे गालियां दीं, कहा- विधवा होकर अंदर कैसे घुस गई

काफी मशक्कत के बाद मैं (जितेश्वरी देवी) मंदिर के अंदर पहुंची और गर्भगृह के अंदर जाकर चंवर डुलाने लगीं। इसके बाद अंदर का माहौल काफी गरम हो गया। वीडियो में स्पष्ट तौर पर यह दिख रहा है कि जब मैं चंवर डुला रही थीं तो मेरे पीछे खड़े कुछ लोग मेरा विरोध कर रहे थे। महारानी जितेश्वरी बताती हैं कि जब मैंने चंवर डुलाना शुरू किया तो मेरे पीछे खड़े लोगों ने हूटिंग शुरू कर दी। इसके बाद मुझे किसी ने धक्का भी दे दिया और मैं गिरते-गिरते बची।

आरती समाप्त हो गई तो मैंने चंवर वापस सौंप दिया। जब मैंने उनसे आरती देने के लिए कहा तो मुझे बहुत गंदी-गंदी गालियां दी गईं। उन्होंने मुझे कहा कि तुम विधवा हो, यहां से जाओ। आखिर में मैंने आरती ली और जाने लगी। दोबारा इन्होंने धक्का-मुक्की की। इसके बाद कोई जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि मैंने शराब पी हुई है। लड़खड़ाकर जब मैं हवन के पास गिर गई तो ये कहने लगे कि मैं जलने जा रही हूं और ये कहकर वहां के लोगों को भड़कने लगे। किसी ने वहां अफवाह फैला दी कि मैं आग में मरने जा रही हूं तो पुलिस मुझे पकड़कर ले गई।



प्रबंधक से मिलने के बहाने बुलाकर गिरफ्तार किया

महारानी जितेश्वरी देवी पर प्रबंधक ने शराब पीकर मंदिर के अंदर अशांति फैलाने का आरोप लगाया है। उन पर धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में मंदिर के प्रबंधक संतोष तिवारी ने आईपीसी की धारा 295 ए के तहत मुकदमा भी दर्ज कराया।

महारानी जितेश्वरी देवी दो दिनों तक पन्ना के जिला जेल में बंद रही हैं। उनका आरोप है कि यह सब कुछ मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के पावर पॉलिटिक्स की वजह से हुआ है। अगर मैंने शराब पी रखी होगी तो मेडिकल जांच में सामने आ ही जाएगा। जबकि तथाकथित मेडिकल जाँच दूसरे दिन थाने में करावाई गयी।



मंत्री का जवाब मैंने कोई षड्यंत्र नहीं किया, वीआईपी कल्चर मानता ही नहीं हूं

महारानी जितेश्वरी देवी के आरोपों पर मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने मीडिया से कहा कि कोई षड्यंत्र नहीं रचा गया है। वो मुझ पर जो आरोप लगा रही हैं, उसका जवाब देना तब बनता है जब उसमें कोई तथ्य हो। 2022 का एक वीडियो देखेंगे तो उसमें उनके पति महाराज राघवेंद्र सिंह जी के साथ कोई एक अन्य व्यक्ति भी चंवर डुला रहे हैं, इसलिए मैंने ऐसी कोई परंपरा नहीं तोड़ी है। मैं राजघराने की बहुत इज्जत करता हूं, मगर इज्जत व्यक्तिगत आचरण से भी मिलती है।

बृजेन्द्र प्रताप सिंह पर यह आरोप लगाया गया कि जब से वे मंत्री बने हैं, राजघराने के पीछे पड़े हैं। जब भी मौका मिलता है वो उनका अपमान करते हैं। इन आरोपों के जवाब में वो कहते हैं कि उनकी ऐसी कोई भी मंशा नहीं रही है। वे राजघराने की बहुत इज्जत करते हैं और हमेशा पीछे ही रहना चाहते हैं। आगे पलटवार करते हुए कहा कि मेरे पूर्वजों ने हमेशा राजघराने का सम्मान किया है, मगर सम्मान आपके आचरण की वजह से भी मिलता है।

स्थानीय मुद्दों को उठाने पर मंत्री असहज हो जाते हैं

महारानी जितेश्वरी देवी के इस आरोप पर भी मंत्री ने जवाब दिया जिसमें वो कहती हैं कि स्थानीय मुद्दों को उठाने के चलते मंत्री जी असहज हो जाते हैं। मंत्री इस पर कहते हैं कि मुझे जनता ने चुना है और मैं हर एक व्यक्ति के प्रति जवाबदेह हूं। अगर वो समस्याएं उठाती हैं तो यह अच्छी बात है। मेरी सहमति असहमति हो सकती है, लेकिन इस वजह से मैं उनके खिलाफ कोई षड्यंत्र क्यों करूंगा?माइनिंग के लिए जिस ऑक्शन की वो बात कर रही हैं, मुझे उसकी कोई जानकारी नहीं है। आरोप में कोई तथ्य हो तो मैं जवाब दूं। रही बात केन बेतवा प्रोजेक्ट की तो वो केंद्र सरकार का प्रोजेक्ट है। अब उसके अच्छे-बुरे परिणाम पर वो बात करेंगी तो किसी को क्यों आपत्ति होगी?

घटना की रात पुलिस ने जितेश्वरी देवी को घर भेज दिया था। इसके बाद अगले दिन उन्हें थाने बुलाया गया। बताया गया कि मंदिर के प्रबंधक उनसे मिलकर बात करना चाहते थे। जितेश्वरी देवी बताती हैं कि मैंने पुलिस की बात मान ली, लेकिन मैं एसपी को आवेदन देने के लिए निकलने ही वाली थी कि पुलिस हमारे घर पहुंची। पुलिस ने एसपी को दिया जाने वाला आवेदन खुद ले लिया और थाने ले आए। थाने लाने के बाद मुझे गिरफ्तार कर लिया। यहीं मेरा मेडिकल चेकअप हुआ। इसके बाद उसी शाम 8 सितंबर को जेल भेज दिया गया। 9 सितंबर की शाम को बेल मिलने के बाद अगले दिन 10 सितंबर को रिहाई हुई।



आर्मी वेलफेयर फंड और केन-बेतवा प्रोजेक्ट का मुद्दा उठाना भारी पड़ गया

महारानी जितेश्वरी देवी पन्ना की स्थानीय समस्याओं को उठाने के लिए सुर्खियों में रहती हैं। कई बार उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। पन्ना स्टेट के महाराजा महेन्द्र यदुवेन्द्र सिंह बहादुर ने आर्मी वेलफेयर के लिए 1911 गांव दान दिए थे। साल 1950 में महाराज और भारत सरकार के तत्कालीन सचिव वीपी मेनन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया था। महारानी जितेश्वरी आरोप लगाती हैं कि बड़े उद्योगपतियों को ये जमीन बेचकर उन पैसों को आर्मी वेलफेयर फंड में जमा न करना उस समझौते का उल्लंघन है।

महारानी जितेश्वरी देवी ने बताया कि इसी तरह वे केन-बेतवा प्रोजेक्ट से पन्ना टाइगर रिजर्व को होने वाले संभावित नुकसान के खिलाफ भी आवाज उठाती रहती हैं। यही वजह है जो बीते कुछ सालों से लगातार उनके खिलाफ ऐसे षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। स्थानीय समस्याओं को उठाना उनके लिए भारी पड़ता जा रहा है।



मंत्री साथ आ जाएं हम मना नहीं करेंगे, पावर पॉलिटिक्स की जरूरत नहीं

महारानी जितेश्वरी बनाम मंदिर, प्रशासन और मंत्री की इस लड़ाई को महारानी जितेश्वरी देवी अब सुलझाना चाहती हैं। वो कहती हैं कि हर चीज में अपने ओहदे का गलत फायदा उठाना ठीक नहीं है। सब कुछ अच्छा चल रहा था मगर जब से बृजेन्द्र प्रताप सिंह मंत्री बने हैं, तब से ये सारा व्यवधान उत्पन्न हुआ है। वो यहां पले बढ़े हैं और उनका परिवार हमसे जुड़ा रहा है, तो कम से कम उन्हें तो इन परंपराओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। बलदाऊ मंदिर से दो चंवर निकाले गए। रथयात्रा में हमें दो घंटे इंतजार करना पड़ा, क्योंकि इसमें वीआईपी लोगों को शिरकत करना था। वे कहती हैं भगवान के द्वार पर सालों से चली आ रही परंपरा और वीआईपी मूवमेंट की लड़ाई अब नहीं होनी चाहिए। दरअसल, हर कार्यक्रम में मंत्री जी सबसे आगे रहते हैं, लेकिन मंदिर में चीजें अब तक की परंपराओं के हिसाब से चल रही हैं, तो वे एक षड्यंत्र के तहत हमें पीछे करके यहां भी आगे आना चाहते हैं। हमने कभी उन्हें मना नहीं किया। वो हमें सभ्य तरीके से यह कह दें कि वे भी साथ आना चाहते हैं तो हम यही कहेंगे कि आप भी आ जाइए, लेकिन इस बात के लिए इतना षड्यंत्र रचने की क्या जरूरत है? इसके लिए पावर पॉलिटिक्स की कोई जरूरत नहीं है।

मंदिर के प्रबंधन समिति के खिलाफ भी हमारी कोई नाराजगी नहीं है। हमारा मामला तो अब कोर्ट में है ही। मगर हम ये चाहते हैं कि भक्त के भेष में वहां जो दंगाई लोग खड़े थे पुलिस उन्हें भी चिह्नित करके उन पर कार्रवाई करे। यह एक सार्वजनिक मामला है इसलिए मैं चाहती हूं कि शहर के जितने भी बड़े लोग हैं, चाहे वो सामाजिक, राजनीतिक या प्रशासनिक हों, सब मिल बैठकर इस मामले को खत्म करें। इस पर विवाद बढ़ाने से किसी का कोई फायदा नहीं है। यह मामला किसी के भी हित में नहीं है। ना समाज के हित में, ना मंदिर के हित में और ना ही प्रशासन के हित में। इसे बस किसी भी तरह से सुलझाया जाए।



आखिरी सच की पड़ताल में यह निकला

जहाँ तक जमीनी पड़ताल की बात की जाय तो मंदिर में ज़ब राधारानी जो महिला हैं इनके वस्त्र पूजा के पहले कौन बदलवाता है ज़बकि मंदिर में कोई महिला पुजारी य सेवक है ही नहीं। क्या यही सनातनी संस्कृति है, दूसरी बात महाराज की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है जबकि इस आशय की शिकायत पूर्व से दी गयी है लेकिन उस शिकायत पर अभी तक सार्थक कदम क्यों नहीं उठाये गए है।

राज्य सरकार पर भी आखिरी सच के कुछ सवाल शायद इनका जवाब शिवराज सरकार दे भी पायेगी य नही

जी हाँ आम जनता के तथाकथित शुभचिंतक शिवराज मामा से पहला सवाल यह है कि सन 2017 में किसानों पर गोली चलाने का आदेश किसके निर्देश पर किसने दिया था।

दूसरा सवाल उस (मंदसौर) की किसान हत्या की घटना आज छः सालों में कहाँ तक पहुंची शायद यह जांच रिपोर्ट कुछ समयावधी में ही जांच समिति द्वारा सरकार को दी जाने वाली थी? क्या जांच अबतक सरकार को मिली य उक्त मुद्दा ठन्डे बस्ते में सरकार द्वारा नियोजित शाजिस के तहत डाल दिया गया?

तीसरा सवाल क्या पीड़ित परिवारों को उनके दर्द के सापेक्ष उचित न्याय सरकार व उसकी मशीनरी द्वारा प्रदान किया गया यदि किया गया तो उसे सार्वजनिक कब तक किया जाएगा?

जुगुल किशोर मंदिर में जन्माष्टमी को हुए ड्रामे का सच, विवाद सरकारी हिंदू बनाम वास्तविक हिंदू, प्रमुख नियोजक ब्रजेश प्रताप सिंह मंत्री मध्य प्रदेश शासन।

चौथा व अहम सवाल जैसा कि सरकार ने मंदसौर घटना के बाद कहा था कि घटना की जांच करवाई जा रही है जांच में जो भी दोषी पायाजायेगा उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जायेगी, आखिर मंदसौर घटना में दोषी कौन थे उनपर अबतक सरकार द्वारा क्या कार्यवाही की गयी?

मंदसौर घटना के क्रम में उपरोक्त सभी सवालों का जवाब जो आखिरी सच टीम को मिले वह यह हैं कि मंदसौर घटना सरकार नियोजित शाजिस मात्र थी, जिसक़ी प्रमुख नियोजक शिवराज मामा की आत्माविहीन सरकार थी व उसके प्रमुख कर्ता धर्ता पन्ना के एसपी साईं कृष्ण थोटा जी थे। इनके आदेश पर उक्त घटना में किसानों पर गोलियाँ चलवाई गयी थी।


मंदसौर घटना पर आखिरी सच की टीम पीड़ित परिवारों से बात कर रही है शीघ्र ही मंदसौर की होली किसने खेली पर एक विस्तृत आलेख प्रकाशित किया जाएगा। जो भी पीड़ित परिवार मंदसौर घटना के हो जिनतक हमारी टीम न पहुँच सके वह हमें 8960595450 पर व्हाट्सप करके य हमारे मेल aakhirisachinfo@gmail.com पर जानकारी व अपना सम्पर्क सूत्र साझा कर सकते हैं।


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